नई दिल्ली (ईएमएस)। अधिकतर मरीजों को डॉक्टर ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने के लिए दवाइयां देने की सलाह देते हैं, लेकिन कई बार दवा लेने के बावजूद भी बीपी कंट्रोल नहीं होता। चिकित्सा में ऐसी स्थिति को अनकंट्रोल्ड या रेसिस्टेंट हाइपरटेंशन कहा जाता है। आंतरिक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि कुछ गलत आदतें और परिस्थितियां दवा के असर को कमजोर कर देती हैं, जिसकी वजह से दबाव फिर से बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार बीपी की दवा लेने के बाद भी रक्तचाप बढ़ने का सबसे बड़ा कारण है दवाओं को सही तरीके से न लेना। कई मरीज बीच-बीच में दवा की डोज मिस कर देते हैं, रोजाना एक ही समय पर दवा नहीं लेते या बीपी थोड़ा कम होते ही दवा बंद कर देते हैं। कुछ मामलों में एक दवा से बीपी नियंत्रित नहीं होता और दवाओं के संयोजन की जरूरत पड़ती है, लेकिन मरीज अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। विशेषज्ञों का कहना हैं कि लाइफस्टाइल की गलतियों की वजह से भी बीपी कंट्रोल नहीं होता। ज्यादा नमक का सेवन, शराब, स्मोकिंग, तनाव, कम नींद, व्यायाम की कमी, कैफीन और हर्बल सप्लीमेंट्स का अधिक सेवन ब्लड प्रेशर को बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा शोध बताते हैं कि ठंड में बीपी नियंत्रण दर लगभग 5 प्रतिशत कम हो जाती है, इसलिए सर्दियों के मौसम में बीपी मॉनिटरिंग और दवा की डोज पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। कुछ अन्य बीमारियां भी दवा के असर को कमजोर कर देती हैं, जैसे किडनी की खराबी, थायरॉयड समस्या, एड्रिनल ग्लैंड का डिसऑर्डर, स्लीप एपनिया और आर्टरी का संकुचित होना। वहीं कुछ दवाएं भी बीपी की दवा के असर को कम कर सकती हैं जैसे पेनकिलर, स्टेरॉयड, कुछ एंटी-डिप्रेसेंट, गर्भनिरोधक गोलियां और सर्दी-जुकाम की ओटीसी दवाएं। दवा के साथ सही लाइफस्टाइल नमक कम करना, वजन नियंत्रित रखना, शराब और स्मोकिंग से बचना, योग और मेडिटेशन अपनाना बीपी नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अनकंट्रोल्ड बीपी की स्थिति में किडनी जांच, थायरॉयड, लिपिड प्रोफाइल, ईसीजी और स्लीप स्टडी जैसी जांच करानी चाहिए। साथ ही घर पर बीपी मॉनिटर करते रहना जरूरी है क्योंकि कई लोगों का बीपी डॉक्टर के सामने घबराहट में बढ़ जाता है जिसे व्हाइट कोट हाइपरटेंशन कहा जाता है। सुदामा/ईएमएस 07 दिसंबर 2025