नई दिल्ली (ईएमएस)। वेटलिफ्टिंग सिर्फ वजन उठाने का खेल नहीं, बल्कि यह ताकत, संतुलन और मानसिक दृढ़ता की गहरी परीक्षा है। इसमें मुख्य रूप से स्नैच और क्लीन एंड जर्क दो तकनीकें शामिल होती हैं, जिनके लिए मजबूत मांसपेशियां, लचीला शरीर और आत्मविश्वास जरूरी होता है। आज यह खेल ओलंपिक का एक प्रतिष्ठित हिस्सा है, लेकिन इसकी शुरुआत प्राचीन काल में ताकत मापने की परंपरा से हुई थी। पुराने समय में योद्धा और सैनिक अपनी क्षमता साबित करने के लिए भारी पत्थरों और वस्तुओं को उठाते थे। धीरे-धीरे यह प्रतियोगिता का रूप लेकर ग्रीस, चीन, मिस्र और मेसोपोटामिया सहित कई देशों में लोकप्रिय हो गई। 19वीं शताब्दी के अंत तक यह एक अंतरराष्ट्रीय खेल के रूप में स्थापित हो चुका था। 1896 के एथेंस ओलंपिक में पहली बार वेटलिफ्टिंग को शामिल किया गया। हालांकि कुछ वर्षों 1900, 1908 और 1912 के दौरान इसे जगह नहीं मिली, लेकिन बाकी सभी ओलंपिक में यह लगातार खेला जाता रहा है। भारत ने इस खेल में आधिकारिक रूप से 1936 बर्लिन ओलंपिक में कदम रखा, जब एक साल पहले 1935 में भारतीय भारोत्तोलन महासंघ की स्थापना हुई थी। इसके बाद भारतीय खिलाड़ियों ने इस खेल में अपनी पहचान बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए। महिलाओं ने वेटलिफ्टिंग में 2000 सिडनी ओलंपिक के बाद हिस्सा लेना शुरू किया, और इसी ओलंपिक में भारत की कर्णम मल्लेश्वरी ने 54 किलोग्राम वर्ग में ब्रॉन्ज जीतकर इतिहास रच दिया। उनके बाद 2020 टोक्यो ओलंपिक में मीराबाई चानू ने 49 किलोग्राम भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर देश का गौरव बढ़ाया और वेटलिफ्टिंग के प्रति नई प्रेरणा जगाई। ओलंपिक में वेटलिफ्टर्स अलग-अलग बॉडीवेट कैटेगरी में प्रतिस्पर्धा करते हैं और स्नैच तथा क्लीन एंड जर्क दोनों में तीन-तीन प्रयास मिलते हैं। दोनों में किए गए सर्वश्रेष्ठ वजन को जोड़कर विजेता तय होता है। स्नैच में बारबेल को एक ही मोशन में सिर के ऊपर उठाना होता है, जबकि क्लीन एंड जर्क में पहले इसे छाती तक लाया जाता है और फिर रुककर सिर के ऊपर ले जाया जाता है, जहां कोहनियां पूरी तरह सीधी होनी चाहिए। भारत में अब यह खेल सिर्फ सीनियर स्तर तक सीमित नहीं, बल्कि युवा और जूनियर स्तर पर भी तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय वेटलिफ्टर्स अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रभावी प्रदर्शन कर रहे हैं। बेहतर ट्रेनिंग, संसाधनों, कोचिंग और सपोर्ट के साथ भविष्य में ओलंपिक में और पदक आने की उम्मीद मजबूत है। यह खेल अब देश में नए सपनों और नए चैंपियनों की पहचान बन रहा है। डेविड/ईएमएस 07 दिसंबर 2025