-दिल्ली के स्मॉग के लिए ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री और पावर जनरेशन मुख्य कारण नई दिल्ली,(ईएमएस)। दिल्ली-एनसीआर में नवंबर सबसे प्रदूषित महीना रहा। इस दौरान भारत के टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहरों में गाजियाबाद इस सूची में सबसे ऊपर रहा, जबकि राजधानी दिल्ली चौथे नंबर पर आई। एक रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के बहादुरगढ़ को छोड़ दें तो टॉप 10 शहरों में से किसी में भी एक दिन भी हवा साफ नहीं रही। यह प्रदूषण पूरे एनसीआर में फैला है और एक शहर का प्रदूषण दूसरे शहरों की हवा को भी खराब कर रहा है। दिल्ली में नवंबर में पीएम2.5 का औसत स्तर 215 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटररहा, जो अक्टूबर के मुकाबले दोगुना था। अक्टूबर में यह स्तर 107 था। दिल्ली में 23 दिन हवा बहुत खराब श्रेणी में रही और 6 दिन गंभीर श्रेणी में। इससे पता चलता है कि सर्दियों में स्मॉग यानी धुएं और कोहरे का मिश्रण कितना खतरनाक हो जाता है। गाजियाबाद में नवंबर में पीएम2.5 का औसत स्तर 224 दर्ज किया गया, जो राष्ट्रीय सुरक्षित सीमा से तीन गुना से भी ज्यादा है। गाजियाबाद में 19 दिन हवा बहुत खराब और 10 दिन गंभीर रही। इस लिस्ट में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, बहादुरगढ़, हापुड़, बागपत, सोनीपत, मेरठ और रोहतक जैसे शहर भी शामिल थे। इस तरह एनसीआर देश का सबसे प्रदूषित इलाका बन गया। यूपी के 6 शहर टॉप 10 में थे, हरियाणा के 3 और दिल्ली का 1 शहर। एनालिस्ट मनोज कुमार ने कहा कि पराली जलाने का असर काफी कम होने के बावजूद, एनसीआर के 29 शहरों में से 20 में पिछले साल से ज़्यादा प्रदूषण रहा। कई शहरों में तो एक दिन भी हवा राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक मानकों के अंदर नहीं रही। इससे साफ पता चलता है कि प्रदूषण के मुख्य कारण साल भर रहने वाले स्रोत हैं, जैसे कि गाड़ियां, इंडस्ट्री, पावर प्लांट और दूसरी तरह के जलने वाले स्रोत। अगर इन क्षेत्रों में प्रदूषण कम नहीं किया गया, तो शहर लगातार मानकों को तोड़ते रहेंगे। यह बात गौर करने वाली है कि इस नवंबर में दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान काफी कम रहा। पिछले साल जहां यह 20फीसदी था, वहीं इस साल यह औसतन 7फीसदी रहा। सबसे ज्यादा योगदान भी 38फीसदी से घटकर 22फीसदी हो गया। इससे यह संकेत मिलता है कि अब दिल्ली के स्मॉग के लिए स्थानीय, साल भर रहने वाले स्रोत जैसे कि ट्रांसपोर्ट, इंडस्ट्री और पावर जनरेशन मुख्य कारण बन गए हैं। सिराज/ईएमएस 07दिसंबर25