राज्य
07-Dec-2025


जीएसटी और पीडब्ल्यूडी रजिस्टर में नहीं हुआ संशोधन छिंदवाड़ा जबलपुर (ईएमएस)। यूनिक इंफ्रा नामक फर्म को लेकर गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार फर्म के पार्टनर रहे विनोद गोनेकर का निधन कोरोना काल में लगभग चार वर्ष पूर्व हो चुका था, लेकिन इसके बाद भी उनका नाम न तो फर्म की पार्टनरशिप सूची से हटाया गया और न ही जीएसटी रजिस्ट्रेशन में कोई संशोधन किया गया। इतना ही नहीं, पीडब्ल्यूडी विभाग के ठेकेदार रजिस्ट्रेशन में भी उनका नाम आज तक दर्ज बताया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि फर्म लगातार सरकारी टेंडर ले रही है, जबकि कानूनी रूप से मृतक व्यक्ति के नाम पर फर्म संचालन संभव नहीं है। इससे फर्म की संरचना, उसके जीएसटी दस्तावेज और सरकारी पंजीकरण पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। कानून क्या कहता है कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी पार्टनरशिप फर्म में यदि कोई पार्टनर निधन हो जाता है, तो भारतीय पार्टनरशिप अधिनियम-1932 के अनुसार फर्म या तो पुनर्गठित की जानी चाहिए या समाप्त मानी जाती है। ऐसी स्थिति में फर्म को जीएसटी पोर्टल पर पार्टनर परिवर्तन की अनिवार्य रूप से जानकारी देनी होती है। जीएसटी नियमों के तहत फर्म की संरचना में बदलाव होने पर नाम, भागीदारी और प्रबंधन में हुए परिवर्तन को अपडेट करना जरूरी होता है। मृतक पार्टनर का नाम बरकरार रखना नियमों का उल्लंघन माना जाता है। टेंडर प्रक्रिया पर भी असर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर फर्म ने मृतक पार्टनर के नाम के आधार पर दस्तावेज जमा किए या ठेके प्राप्त किए हैं, तो यह न केवल अनियमितता है बल्कि नियमों के तहत टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। पीडब्ल्यूडी जैसे विभागों में रजिस्ट्रेशन के लिए सक्रिय और जीवित पार्टनरों की सूची अनिवार्य मानी जाती है। चार साल बाद भी मृतक का नाम दर्ज होना विभागीय लापरवाही या सूचना के दुरुपयोग का संकेत है। जांच की मांग तेज फर्म की इस कार्यप्रणाली को लेकर कई नागरिकों ने संबंधित विभागों से जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है कि यदि फर्म ने नियमों का उल्लंघन करते हुए दस्तावेजों में मृत व्यक्ति का नाम चलाया है, तो यह वित्तीय और कानूनी रूप से गंभीर मामला है। स्थानीय स्तर पर यह भी आशंका जताई जा रही है कि फर्म ने चार साल में कई टेंडर मृतक पार्टनर के दस्तावेजों के आधार पर लिए होंगे, जिससे पूरा रिकॉर्ड खंगालने की आवश्यकता है। करीब चार साल से चली आ रही इस अनियमितता ने अब प्रशासन और विभागों की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। मामले में आधिकारिक जांच होने पर कई तथ्य उजागर हो सकते हैं। ईएमएस / 07/12/2025