नई दिल्ली,(ईएमएस)। लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की संस्था हिमालनय इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (एचआईएएल) को शिक्षा पर संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट में रोल मॉडल बताया गया है। संसद में पेश रिपोर्ट में समिति ने एचआईएएल की सफलता को सामुदायिक जुड़ाव, अनुभवात्मक शिक्षा, और भारतीय ज्ञान प्रणालियों को सशक्त बनाने के संदर्भ में सराहा। समिति ने सिफारिश की कि यूजीसी न केवल एचआईएएल को मान्यता दे, बल्कि इस नई शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन का आदर्श मान इस संस्था की स्टडी करे। जुलाई में संसदीय समिति ने लद्दाख का दौरा किया था और साइमोल और एचआईएएल में आधे दिन का समय बिताया था। इस समिति को शिक्षा मंत्रालय के प्रदर्शन की समीक्षा करने का कार्य सौंपा गया है। संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एचआईएएल लद्दाख में अलग तरीके से, करके सीखने वाली पढ़ाई कराई जाती है। यह पढ़ाई स्थानीय संस्कृति और पर्यावरण से जुड़ी है। यूजीसी ने अभी तक एचआईएएल को मान्यता नहीं दी, लेकिन समिति ने सिफारिश की हैं कि इस मान्यता मिलनी चाहिए। एचआईएएल ने आइस स्तूप जैसी गतिविधियों से स्थानीय लोगों को मदद दी और अंतरराष्ट्रीय पहचान पाई। समिति चाहती है कि एचआईएएलके मॉडल को देश के अन्य स्थानों पर भी अपनाया जाए। संसदीय समिति की रिपोर्ट का वह भाग जिसमें एचआईएएल की सराहना की गई है। आशीष दुबे / 09 दिसंबर 2025