- रस्सी से गला घोटंकर की थी हत्या, बेटे ने पिता से बीयर मंगवाई, फिर मांगने लगा 30 हजार - वैज्ञानिक जॉच में हुई लापरवाही, साक्ष्यो में आभाव में पिता हुआ बरी भोपाल(ईएमएस)। पुराने शहर के हनुमानगंज थाना इलाके में मानसिक रूप से दिव्यांग बेटे की रस्सी से गला घोटंकर हत्या के आरोप में गिरफ्तार पिता को अदालत ने साक्ष्यो के आभाव में बरी कर दिया। अपर सत्र न्यायाधीश मयंक कुमार शुक्ला ने फैसले सुनाते हुए कहा कि पुलिस ने मामले की वैज्ञानिक जांच ठीक ढंस से नहीं की। * यह था मामला जानकारी के अनुसार बाल बिहार में किराये से रहने वाले बृदांदावन नामदेव टेलर का काम करते थे। उनकी पत्नि गृहिणी है, बड़ा बेटा योगश एक दुकान पर काम करता है, वहीं छोटा बेटा हेमंत नामदेव उर्फ हनी (28) मानसिक रूप से कमजोर था। परिवार वाले उसका बीते काफी समय से इलाज करा रहे थे, लेकिन हेंमत को कोई फायदा नहीं हो रहा था, बल्कि समय के साथ उसकी बीमारी बढ़ती जा रही थी। मानसिक रुप से बीमार हेंमत को नशे की लत लग गई थी, और आये दिन किसी न किसी बात पर विवाद कर माता-पिता के साथ मारपीट करने के साथ ही घर का सामान तोड़फोड़ देता था। हेमंत परिवार वालो से मंहगे शौक पूरा करने और खर्च के लिये पैसै मी मांग करता था। मंहगे शौक और पैसा न मिलने पर वह उत्तेजित होकर गालियां देते हुए मारपीट करता था। उसकी हालत और हरकतो से परेशान परिवार वाले कर्ज लेकर उसकी मांग को पूरा करते थे, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही थी। परेशान परिजन हेंमत की कई बाद पुलिस से भी शिकायत कर चुके थे, पुलिस उसे पकड़कर थाने ले जाती उसकी मानसिक हालत देख उसे कड़े शब्दो में समझाइश देकर कुछ घंटो बाद छोड़ देती थी। घटना वाले दिन 6 दिसंबर 2024 की शाम बृदांवन नामदेव की पत्नि दुर्गा बाई ने थाने पहुंचकर पुलिस को बताया हेमंत फिर हिंसक होकर विवाद करते हुए उन्हें और उनके पति के साथ मारपीट करने पर उतारु हो गया था, जिससे गुस्से में आये पिता ने रस्सी से गला दबाकर उसकी हत्या कर दी है। मौके पर पहुंची पुलिस ने मॉ की शिकायत पर पिता के खिलाफ बेटे की हत्या का मामला कायम कर उसे गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में पिता ने बताया कि घटना से पहले शाम के समय बेटे हेमंत ने उनसे शराब पीने की मांग की जिस पर उन्होनें उसे शराब की बोतल लाकर दे दी थी। इसके बाद वह खर्चे के लिये 30 हजार रुपये देने की मांग करने लगा था, इतनी बड़ी रकम देने में जब उन्होनें समर्थता जताई तब बेटा हेमंत फिर से मारपीट करने पर उतारु हो गया था, जिसके बाद उन्हें जानलेवा फैसला लेना पड़ा। * कोर्ट ने कहॉ वैज्ञानिक जॉच ठीक ढंस से नहीं हुई कोर्ट ने कहा की आरोपी पर रस्सी से गला घोंटकर हत्या का आरोप था, लेकिन रस्सी पर फिंगरप्रिंट नहीं लिए। आरोपी की खून लगी शर्ट मिली, लेकिन उसका डीएनए टेस्ट भी नहीं कराया। इसी अधूरी जांच के कारण अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। अपर सत्र न्यायाधीश मयंक कुमार शुक्ला ने फैसले में कहा- जब हत्या गले में रस्सी का फंदा कसकर की गई है, तो सबसे पहले रस्सी पर फिंगरप्रिंट जांच होनी चाहिए थी। पुलिस ऐसा करने में असफल रही। हत्या के दौरान पिता की सक्रिय भूमिका के भी कोई ठोस सबूत नहीं मिले। इस वजह से घटना को हत्या सिद्ध नहीं किया जा सका। अदालत ने कहा कि जब मूल वैज्ञानिक साक्ष्य ही नहीं जुटाए गए, तो आरोपी को दोषी ठहराना कानून के विरुद्ध होगा। इसलिए पिता वृंदावन नामदेव को बरी कर दिया गया। जनेद / 9 दिसंबर