रायपुर (ईएमएस)। आजादी की लड़ाई में जब कांग्रेस ने वंदे मातरम का गायन किया, तब भाजपा उसका विरोध करती थी। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर भाजपा का हर छोटा-बड़ा नेता खुद को बड़ा देशभक्त साबित करने वंदे मातरम पर बयान दे रहा, लेकिन यह सिर्फ भाजपाइयों का दिखावा है। कांग्रेस की हर बैठक की शुरूआत में वंदे मातरम के गायन की परंपरा है। वंदे मातरम को लेकर संसद में प्रधानमंत्री बड़ी-बड़ी बात करते है लेकिन भाजपा की बैठकों में, कार्यक्रमों में, आरएसएस की बैठकों में, कार्यक्रम में वंदे मातरम का गायन नहीं किया जाता। भाजपा को चुनौती है कि आरएसएस की एक भी बैठक में वंदे मातरम का गायन हुआ हो तो उसका वीडियो जारी करने का साहस दिखाये। श्री शुक्ला ने कहा कि वंदे मातरम् पर बात करने के पहले भाजपा को कांग्रेस का धन्यवाद करना चाहिए। कांग्रेस पार्टी ने 1896 में अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में सामूहिक गायन करके प्रथम बार इसको मान्यता दी, सम्मान दिया और 1937 में राष्ट्रीय गीत घोषित किया। ये संघी भाजपाई क्या मानेंगे? पहले संविधान और तिरंगा को नकारा और अब झुकना पड़ रहा है। कंपनी राज के दलाल पहले अंग्रेजी की चापलूसी करते थे, अब अडानी के। सत्ता में बने रहने के लिए ये अब गिरगिट की तरह रंग बदल रहे हैं। दरअसल भाजपा नेता अपने पितृ संगठनों के कालिख भरे इतिहास पर पर्देदारी करने का कुत्सित प्रयास कर रहे है। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम आजादी की लड़ाई का अग्र गीत था, आजादी के परवाने वन्दे मातरम गीत गागा के अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करते थे। जब देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था तब भाजपा के पितृ संगठन के लोग मुस्लिम लीग के साथ मिल कर अंग्रेजी सरकार की चाटुकारिता करते थे। आरएसएस के उस समय के सभी नेताओं ने आजादी की लड़ाई का विरोध किया था। आरएसएस का मूलतः गठन 1925 में हुआ देश आजाद 1947 में हुआ इन 22 सालों में देश की आजादी की लड़ाई में इनका क्या योगदान था भाजपा बताए ।अंग्रेजों की चाटुकारिता करने वाले किस नैतिकता से वंदे मातरम की वर्षगांठ मना रहे। श्री शुक्ला ने कहा कि राष्ट्रगीत वंदे मातरम भारतीयों के भावना का प्रतीक है, जन-जन के हृदय में बसा है, यह स्वतंत्रता आंदोलन का नारा था जिसका विरोध भारतीय जनता पार्टी के पितृ संगठनों ने आजादी के आंदोलन के दौरान करते रहे। आरएसएस और महासभा के लोगों ने अंग्रेजों के साथ मिलकर स्वतंत्रता आंदोलन को कुचलने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में नकारात्मक भूमिका निभाई। 1876 में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सन्यासी विद्रोह की पृष्ठभूमि पर रचित इस देश भक्ति गीत का प्रथम प्रकाशन 1882 में हुआ उसके बाद, 1896 के कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन के बाद से ही प्रसिद्धि मिली, जन-जन तक पहुंचा और तब से ही कांग्रेस के प्रत्येक कार्यक्रम में होता है, भाजपा और आरएसएस बताएं कि राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान से उनको इतनी ही हिकारत क्यों है? क्यों भाजपा और आरएसएस अपनी शाखा और भाजपा कार्यालयों में वंदे मातरम गाने से परहेज़ करते रहे? भाजपा बताएं कि अब तक जिसका विरोध करते रहे उस पर इवेंट आयोजित करना सियासी विवशता है या राजनैतिक पाखंड? सत्यप्रकाश/चंद्राकर/9 दिसंबर 2025