राज्य
19-Nov-2022
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-यूनियनों ने सरकार से सीबीआई जांच की मांग की नई दिल्ली (ईएमएस)। जब बैंक घाटे में था तो फिर सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक प्रबंधन ने लगभग 485 करोड़ रुपए का आयकर क्यों भरा ? प्रबंधन के सामने ऐसी क्या मजबूरी थी कि लगभग 650 करोड़ रुपए के घाटे को छिपा कर बैलेन्स शीट को लगातार मुनाफ़े का बनवाया जाता रहा ? भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए गए सेंट्रल ऑडिटर की रिपोर्ट को बदल दिया गया आखऱि क्यों ? ये वो सवाल थे जो शुक्रवार को प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस वार्ता में भारतीय मज़दूर संघ से सम्बद्ध सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक ऑफि़सर्स ऑर्गनाईज़ेशन और गुडग़ाँव ग्रामीण बैंक वर्कर्स ऑर्गनाईज़ेशन के चीफ़ कोओर्डिनेटेर मुकेश जोशी ने उठाए। वार्ता में इस अरबों रुपए के घोटाले की जाँच सीबीआई जैसी किसी केंद्रीय एजेन्सी से कराने की माँग की गई । इस अवसर पर मुख्य रूप से NOBW के पूर्व उपाध्यक्ष अश्वनी राणा दीपक शर्माकुलदीप शर्मा देवराज मंगला डी सी शर्मा भारत भूषण इलाहाबादीनेमचंद गोयल देवेंद्र असरानी आदि मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान अध्यक्ष प्रणव मोहंती के कार्यकाल में भ्रष्टाचारी निर्भय हैं। जो अधिकारी घोटालों में पकड़े जा रहे हैं जांच में दोषी सिद्ध हो रहे हैं उन्हें बेहद मामूली सजा देकर छोड़ दिया जा रहा है जबकि इन मामलों में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ पुलिस में मुकदमें दर्ज होकर उनकी गिरफ्तारी होनी चाहिए। प्रेस कॉन्फ्रेंस में श्री जोशी ने आरोप लगाया कि ग्रामीण बैंकों की स्थापना किसानों को साहूकारों के चंगुल से निकाल कर कृषिकार्यों के लिए उन्हें कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए की गई थी। लेकिन उच्च अधिकारियों ने कमिशन के दबाव में कर्मचारियों को मजबूर किया कि वे किसान को मिलने वाले कृषि लोन में से लगभग 56000 रुपये काट कर 5 साल का हेल्थ इंश्योरेंस कर दें। किसानों को ओवरड्राफ्ट देकर बीमा कम्पनियों को करोड़ों रुपए का भुगतान किया है जबकि ओवरड्राफ्ट के लिये किसी शाखा प्रबंधक को कोई शक्ति बैंक प्रबंधन द्वारा प्रदान नहीं की गई है। बैंक मे घपले करने मे सभी विभागो मे कम्पीटिशन चल रहा है। कसी भी दस्तावेज के गायब होने का कोई जिम्मेवार नहीं है। बैंक ने पिछले छह सालों में लगभग 6 हजार करोड़ रुपये का निवेश किया है जिसे पोर्टल के माध्यम से किया जाना था लेकिन बैंक प्रबंधन ने यह निवेश कमिशन के चक्कर में दलालों के माध्यम से किया है। सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक 2013 में अपनी स्थापना से ही भ्रष्टाचार का अड्डा बना है। वर्ष 2018-19 में इस बैंक ने सेंट्रल आडिट के लिए भारत सरकार द्वारा भेजे गए पैनल में से सनमार्क नामक फर्म को ऑडिटिंग के लिए लगाया। पोल खुल जाने के डर से बैंक प्रबंधन ने ऑडिटिंग फ़र्म को सम्बंधित कागज़़ात उपलब्ध नहीं करवाए तो सनमार्क ने अपनी रिपोर्ट बना कर अनेक्सर -1 30 जून 2019 को और अनेक्सर -2 26 जुलाई 2019 को प्रस्तुत कर दी। बैंक प्रबंधन ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने की बजाय एक अन्य फ़र्म को निदेशक मंडल के माध्यम से अवैध तरीक़े से नियुक्त कर री ऑडिट करवाया। जबकि री ऑडिट का कोई भी प्रावधान नहीं है।नए ऑडिटर ने असंवैधानिक ढंग से अपनी बैलेंस शीट में 85 करोड़ रुपए घाटे में दिखाकर आडिट कर दिया। वास्तव में बैंक प्रबंधन ने लगभग 485 करोड़ का आयकर जो 2014 से 2018 तक भरा वह गैर कानूनी है। अन्तत: बैंक को 2019 में 1700 करोड़ रुपए का एनपीए दिखाना पड़ा। इसमें कुछ तथ्य निम्न हैं -आरटीआई से प्राप्त सूचना के मुताबिक आडिट फर्म को पैनल भारत सरकार द्वारा ही निर्धाारित किया जाता है तथा भारत सरकार ही पैनल में संशोधन कर सकती है लेकिन बैंक प्रबंधन ने अपने कृत्यों को छिपाने के लिए बोर्ड को गुमराह करते हुए पैनल में संशोधन किया।जब सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक की बैंलेंस शीट फर्जी थी तो फर्जी बैंलेंस शीट पीएनबी बैंलेंस शीट में सम्माहित करने के कारण पीएनबी की भी 2018-19 की बैलेन्स शीट फर्जी हैं। इसका अर्थ है कि जो पीएनबी में मुनाफा दिखाया गया वह गलत है। 2. क्षेत्रफल घटाकर पैसे बढ़ा दिए : बैंक के भवन निर्माण में लगभग 15 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया। जब इस बिल्डिंग के निर्माण का टेंडर दिया गया तो उसकी निविदा 15 करोड़ रुपए के लिए आमंत्रित की गई जिसमें लगभग 52000 वर्ग फीट का निर्माण तथा बेसमेंट का प्रावधान था लेकिन प्रबंधन ने बाद में निविदा के विरूद्ध इस में सिफऱ् लगभग 37000 वर्ग फीट निर्माण करवाया वह भी बिना बेसमेंट के और उस पर लगभग 25 करोड़ रुपए खर्च कर दिए गए। भवन की छत दो सालों में ही गिर गई। निर्माणकर्ता फ़र्म प्रसार भारती ने पीएमओ पोर्टल को बताया है कि उसे कुल 11.85 करोड़ रुपए की रकम बैंक से प्राप्त हुई जबकि बैंक से भुगतान लगभग 25 करोड़ रुपए का दिखाया गया है। 3. प्रमोशन व सीधी भर्ती घोटाला : अपने चहेतों को पदोन्नति देने और नियम से चल कर प्रबंधन के हर आदेश को आँख बंद कर न मानने वालों को रोकने के लिए बैंक प्रबंधन ने नई भर्ती व विभागीय पदोन्नति में इंटरव्यू के अंक 40 फ़ीसदी कर दिए। इस आशय का जो बोर्ड प्रस्ताव पास किया गया उसमें बाक़ायदा मुकेश जोशी व आर के वर्मा के नामों का उल्लेख किया गया है कि इस तरह के अधिकारी प्रमोट न हों इस लिए इंटरव्यू के अंक 40 फ़ीसदी किए जाने चाहिए।प्रमोशन के लिए 65 लाख रुपए की रिश्वत बैंक अकाउंट में मँगवाई गई और दो अधिकारियों को उसी दिन प्रोमोट कर दिया गया। कई योग्य और मेधावी बेरोजगार उम्मीदवारों को नियुक्ति से और बैंक के अधिकारियों और कर्मचारियों को पदोन्नति से खारिज कर दिया। जिसे बाद में वित्त मंत्रालय भारत सरकार और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने ख़ारिज कर दिया लेकिन पॉलिसी में छेड़छाड करने वालों के ख़िलाफ़ कोई कार्यवाही नहीं हुई। 4. सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में सक्रिय है होम लोन कराने वाला गिरोह सर्व हरियाणा बैंक के पूर्व अध्यक्ष और महा प्रबंधकों ने 100 करोड़ से लेकर 150 करोड़ के लगभग के संदिग्ध ऋण दिए जिनमें करोड़ों रुपए की रिश्वत की आशंका है। किसानों और ग्रामीण परिवेश के लोगों को साहूकारों के चंगुल से बचाने के उद्देश्य से बनाए गए सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक में इन दिनों फर्जी कागजात के बूते होम लोन दिलवाने वाला गिरोह सक्रिय है। जिसमें सर्व हरियाणा ग्रामीण बैंक का रिटायर बैंक महा प्रबंधक भी शामिल है। उच्च् स्तरीय शिकायतों में आरोप लगाया गया है कि बैंक में महाप्रबंधक रहते हुए राजेश गोयल ने बादशाह पुर ब्रांच से लगभग 15 करोड़ सेक्टर 44 गुरुग्राम से लगभग 15 करोड़ शीतला माता मंदिर ब्रांच से 10 करोड़ झाडसा ब्रांच से लगभग 7 करोड़ खांडसा से पांच करोड़ वजीराबाद ष्ठरुस्न से लगभग 7 करोड़ बल्लबगढ़ ब्रांच में लगभग 3 करोड़ रुपए ऐसे लोन कराए जिनकी फाइलें या तो पूरी नहीं थीं या उनमें फर्जी दस्तावेज लगे थे। प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह गिरोह बैंक के अधिकारियों की मिली भगत से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर फाइल तैयार करता है और फिर बैंक से पैसा बेहद सस्ते ब्याद दर पर मोटा कमिशन लेकर दिलवाता है। इस गिरोह द्वारा दिलवाए गए लोन थोड़े ही दिन बाद एनपीए हो जाते हैं या कंप्लेंट होने के बाद बंद करवाए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर बिमला देवी के नाम शीतला माता मंदिर शाखा से 10 करोड़ का ऐसा ही एक फ्रॉड लोन किया गया। जिस प्रॉपर्टी पर यह लोन हुआ वह ऋतु गुप्ता के नाम थी औ बिमला देवी ने 15 करोड़ रुपये में वह प्रॉपर्टी ऋतु गुप्ता व कपिल गुप्ता से खरीदी हुई दिखाई। मजे की बात यह है कि ऋतु गुप्ता को एक-एक करोड़ रुपये के दो लोन सेक्टर 44 ब्रांच से दिलवा दिए गए । इसी गिरोह ने बादशाह पुर ब्रांच से एक ही परिवार को 6.08 करोड़ के तीन हाउस लोन दिया गया। जबकि यह पैसा कमर्शल लोन के रूप में देना चाहिए था क्योंकि यह पार्टी फ्लैट बना कर बेचने का काम करती है। एक साल के भीतर पार्टी ने दो एक-एक करोड़ रुपये के लोन बंद करके सेक्टर 44 ब्रांच से 4.17 करोड़ व 4.03 करोड़ के दो लोन ले दिए। ये लोन 10.5 प्रतिशत ब्याज दर पर दिए गए लेकिन भ्रष्टाचारियों ने कमाल किया। बैंक चेयरमैन ए.के.नंदा हुए मेहरबान तत्कालीन बैंक चेयरमैन ए.के.नंदा इन दोनों पार्टियों पर इतने मेहरबान हुए कि उनकी बिना किसी रिक्वेस्ट के ही दो प्रतिशत ब्याज दर कम कर दी। यह बात बैंक ऑडिटर ने अपनी एनुअल रिपोर्ट में भी दर्शाई हैं। कई अन्य खामियां भी थीं मसलन नक्शा पास न होना। एनओसी न होना आदि। ऑडिटर के मुताबिक ये पैसा जो नारायण भड़ाना ने घर बनाने के लिए लिया था वह अपनी ही फर्म मैसर्ज फोरएस डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर कर लिया जिसमें वह खुद डायरेक्टर हैं। इससे भी मजेदार यह कि इन सब लोन फाइलों को लोन डिपार्टमेंट के महाप्रबंधक बी.के.सिंह ने पास करने से इनकार कर दिया था तब महाप्रबंधक श्री राजेश गोयल ने उनकी ट्रांसफर के बाद दो दिन की पावर लेकर सभी फाइलों को पास कर दिया 5. सब्सिडी के ग़बन के लिए नाबार्ड को चूना बैंक ने नाबार्ड को चूना लगाकर भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से डेयरी स्कीम के ऋणों में शाखा रानिया केहरवाला व फतेहाबाद के फज़ऱ्ी ग्राहकों को 20 करोड़ का लोन और लगभग 3 करोड़ रुपए की सब्सिडी का ग़बन किया गया। 6. रेग्युलर पढ़ाई व रेग्युलर नौकरी : बैंक का एक अधिकारी बैंक की सर्विस के दौरान ही एलएलबी की डिग्री प्राप्त किए है वह अधिकारी था एमडी अरोड़ा। क्या कोई अधिकारी जिसकी डयूटी धनाना शाखा में हो वह रोज 125 किलोमीटर का सफर कर पिलानी जाकर कैसे हाजिर हो सकता है। उसने या तो बैंक या अपने कालेज से फ्रॉड किया है तथा वह अधिकारी अपना सारा कार्यकाल मानव संसाधन विभाग में सर्विस करता है तथा स्वंय को बचाकर ले जाता है। बैंक ने उस अधिकारी से तीन सालों की सेलरी की उगाही करने का कोई प्रयास नहीं किया है। प्रवीण/19/11/2022