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24-Jan-2023
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गण-तंत्र को साधने बजेगा डमरू जबलपुर (ईएमएस)। वर्षो से उपेक्षित जबलपुर की अब प्रदेश के मुखिया को याद सताने लगी। पिछले 18 सालों से प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यानि बच्चों के मामा को अब जबलपुर से रिश्तेदारी और भांजे-भांजियों की फिक्र होने लगी। दरअसल माना यह जा रहा है कि लगभग 08 महीनें बाद मप्र में चुनाव होने है। पिछले चुनाव में जबलपुर जिले की 8 में से 4 सीटें कांग्रेस ने भाजपा से छीन ली थी और 7 महीनें पहले हुए नगरीय निकाय चुनाव में महापौर की कुर्सी भी भाजपा ने गवा दी। यही वजह है कि शिवराज सरकार को अब जबलपुर में व्याप्त आक्रोश दिखाई देने लगा। गाहे-बगाहे भाजपा की अंदरुनी पीड़ा भी सोशल मीडिया में उजागर होती रही है इन सब बातों को ध्यान में रखकर इस बार मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के बहाने गण और तंत्र दोनों को साधने के लिए गणतंत्र दिवस समारोह को जबलपुर में एक मेगा इंवेट के रुप में करने का फैसला लिया है। इस बहाने मुख्यमंत्री जहां शहर के नेताओं और कार्यकर्ताओं यह संदेश देने की कोशिश करेंगे कि जरुरत पड़ी तो वह जबलपुर की कमान खुद संभाल लेंगे। वहीं प्रशासनिक तंत्र को भी यह संदेश देंगे की मैदानी स्तर पर गड़बड़ी नहीं दिखना चाहिए क्योंकि प्रदेश में 20-20 क्रिकेट मैच की तरह चुनावी पारी खेलने का अंदाज वे दिखा चुके है लेकिन यह पब्लिक हैं सब जानती है। अभी से शहर में यह चर्चाएं होने लगी है कि चुनाव आते ही चुपड़ी-चुपड़ी बातों का डमरु बजाने अपनापन जताने मुख्यमंत्री आ रहे है। कहा जा रहा है की सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने अब तक के सम्पूर्ण कार्यकाल में जबलपुर का सबसे लम्बा प्रवास करेंगे। वे नर्मदा में महाआरती करेंगे सिने कलाकारों के साथ देश भक्ति गीत सुनेंगे बच्चों के साथ खाना खाएंगे ध्वजा रोहण करेंगे। धार्मिक सांस्कृति राजनीतिक प्रशासनिक बैठकों और कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। निर्माण कार्य देखेंगे अधिकारियों को निर्देश देंगे बच्चों को प्रेरणा और बड़ों को संदेश देंगे। सीएम के आगामी मेगा ईवेंट अभी शुरु भी नहीं हुआ है की उनके इस दौरे के कारण और प्रभाव पर चिंतन मंथन शुरु हो गया है। कोई इसे निकट भविष्य में आने वाले चुनावों से जोड़ रहा है तो कोई इसे भूत में की गई जबलपुर की उपेक्षा से। तो कोई कह रहा है चुनाव आते ही शिवराज सिंह विकास का डमरू बजाने लग गए। दो दिन चलेंगे कार्यक्रम...... गौरतलब है की इस बार गणतंत्र दिवस पर 25 एवं 26 जनवरी को जबलपुर में कार्यक्रम की शृंख्ला आयोजित की जाएगी। दो दिवसीय आयोजन में सीएम स्वयं मौजूद रहेंगे। 25 को नर्मदा महाआरती से कार्यक्रमों की शुरुआत होगी तो 26 को मशहूर सिंगर सोनू निगम के शो से समापन। जिला प्रशासन इस दो दिवसीय ईवेंट के मैनेजमेंट का काम देख रहा है। कहा जा रहा है की यह कार्यक्रम जबलपुर के इतिहास का सबसे बड़ा और सबसे सफल गणतंत्र दिवस कार्यक्रम होने वाला है। उपेक्षा के दंश पर मरहम! ...... कमलनाथ सरकार का डेढ साल निकाल दिया जाए तो उसके बीते 8-9 साल से जबलपुर को एक वैसबिनेट मंत्री देने के लायक भी नहीं समझा गया है। इस बार भी गोपाल भार्गव ध्वजारोहण करते लेकिन फिर सागर खाली हो जाता है। प्रोटोकाल के लिहाज से केबिनेट मंत्री न होने पर महापौर को मौका मिलता। लेकिन महापौर कांग्रेस का है। राजनीतिक विषलेश्कों का कहना है की अन्य कई वजहों के साथ यह भी एक वजह यह भी है जो सीएम स्वयं आ रहे हैं। अब जब सीएम आ रहे तो सीएम के कार्यक्रम को अधिकारी मेगा ईवेंट बना रहे हैं। सालों से जियोस की बैठक तक नहीं की.... जिले के विकास के प्रति प्रदेश सरकार कितनी गंभीर है। उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की सालों से जिला योजना समिति की बैठक तक नहीं हुई। बच्चों को स्कालरशिप नहीं मिल रही। स्वरोजगार लोन योजना सब बंद उसके जगह एक ऋण अनुदान योजना। विद्युत विभाग संविदा भरोसे न स्टॉफ न जिम्मेदार न संसाधन। शहर में दर्जनों इलाकों में बिजली कटौती रोज का खेल। एक फाल्ट को सुधारने में घंटों लग रहा। जबलपुर नगर निगम प्रशासन के पास पैसा नहीं निगम द्वारा संचालित विकास योजनाएं सालों से अधर में अटकी हैं। जिले की सरकारी भूमि को कौडिय़ों के भाव बेचने के आरोप भी लग रहे हैं। आक्रोश को शांत करने का प्रयास! ...... जबलपुर शहर की बात की जाए तो मूलभूत व्यवस्थाओं और प्रशासन के लिहाज से शहर में अराजकता का माहौल है. अधूरे और बेतरतीब निर्माण कार्यों के भंवर में जबलपुर शहर इस तरह जकड़ा हुआ है हर तरफ धूल मिट्टी जाम और हादसे हैं। घमापुर-रांझी हो घंटाघर-तैय्यब अली चौक या फिर शहीद स्मारक ऐसे करीब दर्जनों मार्ग और स्थान हैं जहां 1-2 साल का कार्य 6-7 साल में भी पूरा नहीं हुआ। जिससे शहर की जनता में आक्रोश साफ देखा जा रहा है। वहीं जिले में विकास के नाम पर फिलहाल ऐसी कोई उपलब्धि नहीं दिख रही जिसे चुनाव में दिखाया जा सके। समय देने के लिहाज से सीएम के इस दरियादिल दौरे को इसी आक्रोश को शांत करने के रूप में देखा जा रहा है। ईएमएस/24/01/2023