राज्य
08-Feb-2023


अयोध्या (ईएमएस)। अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर में हिंदू समाज के वंचित लोगों, अर्थात दलितों को पुजारी बनाया जाएगा। विहिप ने अपने स्तर पर दलित पुजारियों को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया है। विहिप नेताओं का ऐसा विश्वास है कि मंदिर निर्माण होने के बाद वहां दलित पुजारियों को रखा जा सकता है। इसके लिए विहिप का अर्यक पुरोहित विभाग दलित समुदाय के लोगों को खास तरह की ट्रेनिंग दे रहा है। विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार, अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए केंद्र सरकार अभी ट्रस्ट गठित करने में जुटी है। इसी ट्रस्ट के जरिए पुजारियों का भी चयन होना है। विश्व हिंदू परिषद का मानना है कि राम मंदिर में दलित पुजारी की नियुक्ति के जरिए सामाजिक समरसता का बड़ा संदेश दिया जा सकता है। विहिप कई दशकों से अपने स्तर पर सामाजिक भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रयास करता रहा है। अर्यक पुरोहित विभाग, यह विहिप का एक ट्रेनिंग विंग है। इसमें खासतौर पर धार्मिक प्रयोजन से जुड़े लोगों को ट्रेनिंग दी जाती है। इन्हीं में पुजारी भी आते हैं। विहिप ने अपनी इस विंग के जरिये अभी तक सैंकड़ों मंदिरों में दलित एवं वंचित समुदाय के लोगों को पुजारी नियुक्त कराया है। विहिप को उम्मीद है कि राम मंदिर के लिए जो भी ट्रस्ट बनेगा, वह सामाजिक समरसता के महत्व को ध्यान में रखेगा। बंसल के अनुसार अर्यक पुरोहित विभाग के पास पुजारियों की सूची रहती है। कितने लोगों को पुजारी की ट्रेनिंग कब और कैसे देनी है, विभाग ही तय करता है। ट्रेनिंग के लिए कम से कम दो तीन माह का समय चाहिए। इस दौरान पुजारी की ट्रेनिंग ले रहे व्यक्ति को कई तरह के धार्मिक अनुष्ठानों से गुजरना पड़ता है। पूजा की विधि और मंदिर से जुड़े दूसरे कामकाज सिखाए जाते हैं। बारीकि से संस्कारों की विधि बताई जाती है। कई प्रतिष्ठित धार्मिक संस्थानों का दौरा कराया जाता है। बता दें कि नवंबर 1989 को जब राम मंदिर का शिलान्यास हो रहा था, तब पहली ईंट बिहार के दलित कार्यकर्ता कामेश्वर चौपाल के हाथों रखवाई गई थी। उस वक्त इसके जरिए यह संदेश देने का प्रयास किया गया कि राम मंदिर आंदोलन के पीछे संपूर्ण हिंदू समाज खड़ा है। सुबोध\०८\०२\२०२३