राज्य
20-Apr-2023
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भोपाल (ईएमएस)। मध्य प्रदेश का प्रशासन और सरकार संविधान के अनुसार नहीं बल्कि साम्प्रदायिक तत्वों के इशारे पर चल रही है। साम्प्रदायिक तत्वों के इशारे पर ही साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण करने के लिए अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने कहा है कि मैहर माता मंदिर प्रबंध समिति में कार्यरत एक मात्र अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारी को बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद के नेताओं की शिकायत और प्रदेश सरकार की धर्मस्व विभाग की मंत्री ऊषा ठाकुर की अनुशंसा पर हटाने के आदेश दिए हैं, जबकि वह कर्मचारी 80 के दशक से कार्यरत है। मंत्री महोदया ने संविधान को दरकिनार करते हुए लिखा है कि मैहर मंदिर की प्रबंध समिति में तैनात मुस्लिम कर्मचारी को हटाया जाए। माकपा नेता ने कहा है कि यह कोई अकेला मामला नहीं है, दूसरी ओर धार जिले में हिंदू जागरण मंच के नेता कान्हा मंडलोई की शिकायत पर मुस्लिम युवा फरहान को जेल पहुंचा दिया है। उल्लेखनीय है कि फरहान ने बिना किसी स्थान और संकेत बनाये अपने वाट्सएप पर स्टेटस लिखा था कि जंजीरों में बंधे शेरों पर कुत्तों का हमला। इसी के स्क्रीन शॉट के आधार पर हिंदू जागरण मंच ने धार जिले के नालछा पुलिस थाने में शिकायत की और पुलिस ने उसे दो समुदायों के बीच वैमनस्यता फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जबकि न तो इस स्टेटस में किसी के खिलाफ कुछ है और न ही फरहान या उसके परिवार का कोई आपराधिक रिकॉर्ड है। पुलिस की हरकत से लगता है कि दो समुदायों में वैमनस्ता फरहान के स्टेटस से नहीं बल्कि साम्प्रदायिक तत्वों के इशारे पर पुलिस के इस प्रकार के कृत्यों से फैलती है। जसविंदर सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर मदरसों का सर्वे करने का आदेश देकर अल्पसंख्यकों में दहशत फैलाने की हरकत की है। उल्लेखनीय है कि मदरसों को मिलने वाली ग्रांट को नरेंद्र मोदी सरकार 2014 से ही बंद कर चुकी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि शिवराज सरकार के यह कदम अल्पसंख्यक विरोधी ही नहीं, संविधान विरोधी भी हैं, जिसे न केवल रोका जाना चाहिए बल्कि सभी धर्मनिरपेक्ष और जनवादी ताकतों को इसका विरोध भी करना चाहिए।