लेख
05-Jun-2023
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बालासोर की रेल दुर्घटना से सबक लेने की जरूरत थी। सबक लेने के स्थान पर जिस तरह से इस दुर्घटना को लेकर लीपापोती के प्रयास शुरू हुए हैं।उससे आम जनमानस में गुस्सा और निराशा देखने को मिल रही है। बालासोर की रेल दुर्घटना में 289 लोगों की अधिकृत मौत का आंकड़ा जारी हुआ था। मृतकों की संख्या इससे ज्यादा बताई जा रही है। 1100 से ज्यादा यात्रियों को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती किया गया है। भारतीय रेलवे ने शुरुआती दौर में सुरक्षा की कमी का संकेत भी दिया था। रेलवे मंत्रालय द्वारा यह भी कहा गया ,कि रेलवे को पर्याप्त बजट वर्ष 2022 में दिया गया था। जिस तरह की दुर्घटना हुई है, उससे सबक लेने और आगे दुर्घटनाएं ना हो। इसको लेकर जिम्मेदारी तय करने और कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए ठोस प्रयास रेलवे को करने चाहिए थे। दुर्घटना के कारणों को सुधारने के स्थान पर,पूर्व रेल मंत्री ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और मोदी सरकार के बीच में तुलनात्मक अध्ययन के जरिए ,वर्तमान रेल मंत्री और वर्तमान सरकार अपना बचाव करती हुई नजर आ रही है। सरकार दावा कर रही है ,कि यूपीए सरकार के समय में ज्यादा हादसे हुए थे।मोदी सरकार के समय पर कम हादसे हुए हैं।पिछले 9 वर्षों में रेलवे द्वारा बड़े-बड़े दावे किए गए। 120 किलोमीटर से अधिक रफ्तार की ट्रेनें चलाई जा रही हैं।ट्रेन -पटरी को बनाने और उनमें सुधार के लिए अरबों रुपए खर्च किए गए हैं।तकनीकी सुधार और इलेक्ट्रिकल सिस्टम में अरबों रुपए रेलवे ने खर्च किए हैं। 9 साल के बाद अपने पूर्ववर्ती रेल मंत्रियों के समय हुई, दुर्घटनाओं से बचाने का जो प्रयास वर्तमान रेल मंत्री द्वारा किया जा रहा है। उसकी सभी और निंदा हो रही है। रेल मंत्रालय ने अप्रैल माह में सुरक्षा समीक्षा बैठक का आयोजन किया था। 2023 में 48 दिन दुर्घटनाएं हुई थी। जो पिछले वर्ष 2022 की तुलना में अधिक थीं। समीक्षा बैठक में रखरखाव और पॉइंट मेन की संख्या में कमी, कई रेलवे जोन में चालक दल के सदस्यों की संख्या में भारी कमी, रेल पायलटों से 12 से 18 घंटे तक निरंतर ट्रेन चलवाने तथा रेलवे में कर्मचारियों की भारी कमी को लेकर चिंता जताई गई थी। समीक्षा बैठक में यह जानकारी भी दी गई थी। 12 घंटे से ज्यादा किसी भी पायलट को ट्रेन चलाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। 17 मई को ऐसी ही एक बैठक रेलवे बोर्ड में हुई थी। जिसमें 36 फ़ीसदी कर्मचारियों को 1 दिन में 12 घंटे से अधिक काम कराए जाने की जानकारी सामने आई थी। निश्चित रूप से रेलवे के जो सुरक्षा नियम है। उनका पालन नहीं हो रहा था। इसका मुख्य कारण कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी थी। इसकी जानकारी रेलवे के सभी स्तर के अधिकारियों की थी। उसके बाद भी लगातार लापरवाही बरती जा रही थी। रेलवे बोर्ड ने कवच तकनीकी को काफी सुरक्षित बताया जा रहा था। इसको लेकर भी समीक्षा बैठक में संदेह सामने आते रहे हैं।रेलवे ने ट्रेनों की संख्या बढ़ाई, तेज गति की ट्रेनें बड़ी तेजी के साथ रेल की पटरियों पर दौड़ रही हैं। चार लाख से ज्यादा कर्मचारियों के पद रेलवे में खाली पड़े हुए हैं। पिछले कई वर्षों से भर्ती नहीं हो रही है। कर्मचारी रिटायर होते जा रहे हैं। रेलवे का काम बढ़ता जा रहा है। लेकिन कर्मचारियों की संख्या कम होती जा रही है। रेलवे का सुरक्षा की ओर ध्यान कम, कमाई की ओर ज्यादा है। जिसके कारण दुर्घटनाओं का रुक पाना संभव ही नहीं है। रेलवे खुद अपनी रिपोर्ट का अध्ययन कर ले,और अपनी गलती का एहसास करते हुए भविष्य में इस तरह की गलती ना हो। जो खामियां हैं ,उन्हें तुरंत जल्द से जल्द पूरा किया जाए। इस बात पर ध्यान होना चाहिए था। लेकिन जिस तरह से सरकार और रेल मंत्रालय 2014 के पहले की रेल दुर्घटनाओं की आड़ में छिपकर अपने आप को बचाने का प्रयास कर रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार ने 2023 में रेलवे के लिए 2.40लाख करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है. सरकार दावा कर रही है, कि पिछले 9 वर्षों में यूपीए सरकार के समय से यह बजट 9 गुना ज्यादा है। 2014 के बाद से ही मोदी सरकार नई रेल लाइनें और गेज परिवर्तन का कार्य प्राथमिकता के साथ कर रही है। रेलवे को बजट भी खूब दिया जा रहा है। उसके बाद भी खाली पदों का नहीं भरा जाना, रेलवे में क्या चल रहा है? यह बताने के लिए पर्याप्त है। कोरोना के बाद पूर्व में चल रही बहुत सारी ट्रेनें अभी भी बंद है। वंदे मातरम, स्पेशल ट्रेन चलाकर रेलवे यात्रियों से भारी-भरकम राशि रेलवे वसूल कर रहा है। ट्रेनों की संख्या कम होने से यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जो ट्रेनें चल रही है, वह अपनी क्षमता की 100 फ़ीसदी से ज्यादा यात्रियों को ढो रही हैं। अभी भी नियमित ट्रेनें पूरी तरह से रेलवे शुरू नहीं कर पाई हैं। रेलवे ने बुजुर्गों और बीमारों की रियायत भी बंद कर दी है। छात्रों को भी रियायती सुविधा प्राप्त नहीं हो रही है। वर्षों से चल रही पुरानी ट्रेनों को अभी तक शुरू नहीं कर पाना, यात्रियों की सुविधा में कटौती,लगातार और बड़ी-बड़ी दुर्घटनाएं होने के बाद भी, यदि रेल मंत्री अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। तो इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा। एसजे / 5 जून 2023