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08-Jun-2023
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- सत्ता-संगठन की लड़ाई में फंसे शिवराज-वीडी को बचाने की कवायद... - वर्चस्व की लड़ाई में मोहरा बन गए भूपेंद्र! - विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर हमलावर हुई कांग्रेस को चुप कराने की कोशिश भोपाल (ईएमएस)। मप्र भाजपा में सत्ता और संगठन में वर्चस्व को लेकर मची खींचतान और बगावत को कंट्रोल करने और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा को बचाने की कवायद के तहत प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह को बलि का बकरा बना दिया गया है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि हाईकमान के निर्देश पर ही भूपेंद्र सिंह के खिलाफ लोकायुक्त में मामला दर्ज हुआ है। इस एक प्रकरण से भाजपा हाईकमान जहां पार्टी में शिवराज और वीडी के बीच की खाई कम करेगा, वहीं कांग्रेसियों के मुंह पर ताला जडऩे का प्रयास किया है। भाजपा सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री वीडी शर्मा की जगह भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहते थे। इससे भाजपा ओबीसी बनाम अन्य के गुट में बंट गई। इससे प्रदेश में सरकार बनाने की कोशिश में लगी भाजपा को बड़ा झटका लग रहा था। इसी दौरान कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति का मामला उछाल दिया। अपनों तथा विपक्षियों से पार्टी को घिरता देख आलाकमान ने भूपेंद्र सिंह को मोहरा बनाने का प्लान बनाया और मुख्यमंत्री को इसे अमलीजामा पहनाने का निर्देश दिया। - भूपेंद्र पड़ रहे थे सब पर भारी मप्र की राजनीति में प्रदेश के नगरीय प्रशासन और विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह एकमात्र ऐसे नेता हैं जो सब पर भारी पड़ रहे थे। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री की शह पर वे पार्टी के अन्य नेताओं पर भारी तो पड़ ही रहे थे, सीएम के लिए भी खतरा बनते जा रहे थे। हमेशा अकड़ मिजाज में रहने वाले भूपेंद्र सिंह की अति महत्वाकांक्षा अब उन पर भारी पडऩे लगी है। पहले उन्हीं के जिले के दो मंत्रियों गोपाल भार्गव और गोविंद सिंह राजपूत तथा विधायकों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला, फिर कांग्रेस ने उन्हें भ्रष्टतम मंत्री बताकर लोकायुक्त में उनके खिलाफ शिकायत कर दी थी। मप्र कांग्रेस की शिकायत पर लोकायुक्त ने भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच शुरू कर दी है। लोकायुक्त ने उनके खिलाफ पीई दर्ज की है। - शिवराज के प्लान में फंस गए सिंह भाजपा सूत्रों का कहना है कि मप्र की राजनीति में पिछले 18 साल से एकछत्र राज कर रहे शिवराज सिंह चौहान ने उमा भारती, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, प्रभात झा जैसे नेताओं को हाशिए पर ढकेल दिया है। लेकिन वीडी शर्मा उन पर भारी पड़ते जा रहे थे। वीडी शर्मा को जहां संघ का भरपूर समर्थन मिल रहा है, वहीं शिवराज विरोधी नेता भी उनके समर्थन में खड़े हैं। ऐसे में शिवराज ने वीडी को साइडलाइन करने के लिए भूपेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनने का सपना दिखाया। इस सपने में भूपेंद्र सिंह ऐसे खो गए कि उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी महत्व देना छोड़ दिया। यही नहीं उन्होंने सागर में मनमानी करनी शुरू कर दी। मंत्री भूपेंद्र सिंह की यही मनमानी उनपर भारी पडऩे लगी है। भूपेंद्र सिंह को सीएम शिवराज सिंह चौहान का करीबी माना जाता है। ऐसे में वे ने केवल सागर जिले में बल्कि सत्ता और संगठन में भी अपना वर्चस्व कायम करना चाहते हैं। यही नहीं वे विपक्ष के नेताओं को भी दबाव में रखने की कोशिश करते रहते हैं। यही वजह है कि जब कांग्रेस 15 साल बाद सत्ता में आई थी तो उसने भूपेंद्र सिंह के अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलवाया था। वहीं अब उनकी मनमानी से उनकी पार्टी के नेता भी उनके खिलाफ हो गए हैं। आरोप है की भूपेंद्र सिंह जिले के नेताओं के खिलाफ लगतार मुहिम चलाते रहते हैं। - छवि बचाने की कवायद उधर, कांग्रेस द्वारा मंत्री भूपेंद्र सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का आरोप लगाए जाने के बाद भाजपा पूरी तरह बैकफुट पर आ गई थी। रातोंरात पार्टी की साख ऐसी गिरी कि उसे बचाने के लिए सत्ता-संगठन के साथ ही संघ भी सक्रिय हो गया। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की साख और पार्टी की छवि बचाने के लिए भूपेंद्र सिंह पर लोकायुक्त द्वारा मामला दर्ज करवाया गया है। गौरतलब है कि मप्र कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जेपी धनोपिया और कांग्रेस के आरटीआई प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पुनीत टण्डन ने इस संबंध में शिकायत की थी। कांग्रेस नेताओं ने बीते 30 मई को पीसीसी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह पर चुनाव आयोग में प्रस्तुत उनके शपथ पत्रों, एडीआर रिपोर्ट और खसरा अभिलेखों के आधार पर अनुपातहीन संपत्ति होने के आरोप लगाए थे। कांग्रेस नेताओं की इस शिकायत पर लोकायुक्त ने जांच क्रमांक 0035/ई/ 2023-24 के मामले में पुलिस महानिदेशक लोकायुक्त से 8 अगस्त 2023 तक जांच रिपोर्ट मांगी है। कांग्रेस नेताओं ने मंत्री भूपेंद्र सिंह पर यह भी आरोप लगाया था कि उनके और उनके परिवारजनों ने 10 साल के भीतर लगभग 46 करोड़ की अकूत संपत्ति अर्जित की है। ये भी कहा था कि आश्चर्यजनक रूप से वर्ष 2018-19 में लगभग 7 करोड़ रूपये वार्षिक आय होने संबंधी रिटर्न प्रस्तुत करना भी अर्जित अनुपातहीन एवं आय से अधिक संपत्ति को दर्शाता है। - सत्ता बचाने अब तक दो की बलि मप्र भाजपा के एक पदाधिकारी का दावा है कि सत्ता बचाने के लिए शिवराज अपने करीबी नेताओं को ऐसे ही निपटाते हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री ने पहले रामपाल सिंह और फिर राजेंद्र शुक्ल को भी हासिए पर धकेल चुके हैं। ये दोनों नेता शिवराज के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते थे। इसी कड़ी में तीसरा मोहरा भूपेंद्र सिंह बने हैं। मप्र कांग्रेस की शिकायत पर लोकायुक्त ने भूपेंद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में जांच शुरू कर दी है। लोकायुक्त ने उनके खिलाफ पीई दर्ज की है।