ज़रा हटके
29-Aug-2023
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-वैज्ञानिक बता रहे मानवीय गतिविधियों को जिम्मेदार नई दिल्ली (ईएमएस) । जर्मनी के एक शोध में पाया है कि यूरोप और दुनिया के कई अन्य इलाकों में कीट-पतंगों की संख्या में तेजी से गिरावट देखने को मिली है और इसमें अधिकांश के लिए सीधे तौर पर इंसानी गतिविधियां जिम्मेदार हैं जिनसे कीटों के आवास प्रभावित होते हैं। शोध में पिछले 82 अप्रकाशित अध्ययनों की समीक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जिनमें कीटों के दो समूहों पर अध्ययन किया गया था।हाल के सालो में इन इलाकों में कीट-पतंगों की प्रचुरता और विविधता में कमी चिंताजनक हो गई है। जर्मनी के रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर इकोसिस्टम एनालिसिस एंड एसेसमेंट की अगुआई में वैज्ञानिकों की टीम ने इस अध्ययन में पाया है कि जनसंख्या में गिरावट का यह चलन बहुत ही ज्यादा जटिल है।क्योंकि कुछ प्रजातियों के कम होने से दूसरी कुछ प्रजातियों को प्रतिस्पर्धा का लाभ मिला और उनकी जनसंख्या बढ़ गई।जहां कमी के कारण कई थे, लेकिन ये स्पष्ट नहीं थे इससे इनसे निपटना एक चुनौतीपूर्ण काम हो गया है। इस मुद्दे को स्पष्ट करने के लिए शोधकर्ताओं ने वर्तमान में मौजूद 82 अध्ययनों की समीक्षा की जिसनमें कैरेबिडे (जमीनी झींगुर) और लेपिडोप्टेरा (तितलियां और कीट) वाले दो बड़े समूह वाली मध्य और पश्चिमी यूरोप की जनसंख्या में बदलाव लाने वाले कारकों पर ध्यान केंद्रित किया था।जहां कुछ अध्ययनों ने एक ही समूह पर अध्ययन किया था तो वहीं अन्य में दनों समूहों पर ध्यान दिया गया था। लेकिन सभी में पिछले छह साल की जनसंख्या निगरानी वाले आंकड़ों को शामिल किया गया था और अधिकांशतः यूके, जर्मनी और नीदरलैंड के कृषि भूभागों पर ध्यान दिया गया था।जहां विश्लेषण में दोनो कीट समूहों की विविधता और प्रचुरता के मामले में इजाफे और कमी दोनों का खुलासा किया गया था।कमी ज्यादा व्यापक तौर पर देखी गई थी जिसमें मध्य और पश्चिमी यूरोप मे कमी वाले चलन को रेखांकित किया गया था। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने पाया कि मानवगतिविधियां कीटों की जनसंख्या में बदलाव, चाहे कमी हो या बढ़ोत्तरी, की प्रमुख कारक पाया था।इनमें कृषि संबंधी क्रियाकलाप, शहरी करण, जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संरक्षण जैसी गतिविधियां शामिल थीं।जहां अधिकांश गतिविधियां सीधे तौर पर कीटों को प्रभावित नहीं करती हैं।लेकिन वे उनके आवास को निश्चित तौर पर प्रभावित करते हैं। पड़ताल के नतीजों से हमें यह जानकारी मिल सकत रहै कि हमें अपने गतिविधियों को किस तरह से रखना चाहिए और उन्हें नियोजित करने चाहिए जिससे जरूरतें पूरी होने के साथ ही प्राकृतिक पारिस्तिथिकी तंत्रों को नुकसान कम से कम हो.लेकिन कीटों के जनसंख्या में हो रहे बदलाव के सभी कारकों को जानने के लिए और ज्यादा शोध की जरूरत है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कीड़ों की संख्या की कमी का मूल कारण जानना चुनौतीपूर्ण काम है क्योंकि इसके लिए उन प्रक्रियाओं को समझना होगा जो सालों यहां तक कि दशों से घट रही हैं। कीट पतंगों का हमारे पर्यावरण और यहां तक कि इंसानों के अस्तित्व तक से गहरा नाता है।इनकी जनसंख्या और विविधता में बदलाव पूरी दुनिया के पर्यावरण को प्रभावित करता है। सुदामा/ईएमएस 29 अगस्त 2023