:: चंद्रभागा मंदिर पर चल रहे भागवत सप्ताह में धूमधाम से मना रुक्मणी विवाह :: इन्दौर (ईएमएस)। सुख और दुख जीवन के क्रम हैं, जिनसे कोई भी बच नहीं सकता। संसार को दुखों को महासागर कहा गया है। हमारी जितनी कामनाएं बढ़ेंगी, उतना ही दुख भी बढ़ेगा। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु होता है। पतन से बचने के लिए अहंकार को कभी भी पास नहीं फटकने देना चाहिए, लेकिन अहंकार ऐसा घुसपैठिया है, जो किसी भी रास्ते से प्रवेश कर सकता है। ये प्रेरक विचार हैं भागवत मर्मज्ञ आचार्य पं. सौरभ तेनगुरिया के, जो उन्होंने सनाढ्य ब्राह्मण समाज की मेजबानी में चंद्रभागा जूनी इन्दौर स्थित राधाकृष्ण मंदिर पर चल रहे संगीतमय श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ में कृष्ण रुक्मणी विवाह प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। आज कथा में विवाह का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। वर एवं वधु पक्ष ने परंपरागत परिधान में सज-धजकर एक दूसरे की अगवानी की। महिलाओं ने साफे बांधकर कन्यादान दिया। बैंडबाजे, ढोल-ढमाके और आतिशबाजी के साथ रंग-गुलाल के बीच विवाह के उत्सव को धूमधाम से मनाया गया। व्यासपीठ का पूजन श्रीमती नीति दुबोलिया, उषा जोशी, पूर्णिमा शर्मा, सुधा शर्मा, अंजू बिरथरे, घनिष्ठा शर्मा, सीमा शर्मा, शिखा स्थापक ममता बुधोलिया आदि ने किया। संतश्री की अगवानी दीपक बिरथरे, राधेश्याम शर्मा, शेखऱ शुक्ला, संतोष चौरे, संजीव वशिष्ठ, इंद्रदमन बिरथरे, कमल शर्मा, रिपूसूदन शर्मा, प्रभाशंकर शर्मा आदि ने की। अध्यक्ष पं. देवेन्द्र शर्मा एवं महासचिव पं. संजय जारोलिया ने बताया कि कथा में गुरुवार 28 सितम्बर को दोपहर 1 से 4 बजे तक कथा के बाद समापन समारोह होगा। आचार्य पं. तेनगुरिया ने कहा कि भगवान की लीलाओं को समझने के लिए अंतर्मन की दृष्टि चाहिए। भारतीय समाज में विवाह एक संस्कार माना गया है, जबकि पश्चिमी देशों में यह सौदा या अनुबंध होता है। हमारे यहां विवाह सात जन्मों के लिए होता है, लेकिन पश्चिम की धरती पर सात दिन या सात माह की भी ग्यारंटी नहीं होती। यही कारण है कि अनेक विदेशी लोग भी भारत भूमि पर आकर अपने विवाह की रस्में संपन्न कराते हैं। उमेश/पीएम/27 सितम्बर 2023 संलग्न चित्र – इन्दौर। सनाढ्य ब्राह्मण समाज द्वारा चंद्रभागा स्थित राधा कृष्ण मंदिर पर आयोजित भागवत ज्ञान गंगा सप्ताह में कृष्ण-रूक्मणी विवाह का उत्सव मनाते श्रद्धालु।