कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अपनी-अपनी भूमिका बदलती हुई दिख रही हैं। कांग्रेस पार्टी का जो कल्चर था, वह अब भाजपा में देखने को मिल रहा है। विपक्ष में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी का जो कल्चर था अब वह कांग्रेस में देखने को मिल रहा है। दोनों ही राष्ट्रीय राजनीतिक दल बदली हुई भूमिका में उन्ही गुण दोषों के साथ रहना सीख गए हैं। भारतीय जनता पार्टी का वर्तमान केंद्रीय नेतृत्व पुरानी कांग्रेस पार्टी की तरह एकाधारवादी हो गया है। सारे अधिकार एक व्यक्ति पर जाकर केंद्रित हो गए हैं। पहले इंदिरा गांधी और उसके बाद गांधी परिवार के आसपास ही कांग्रेस का सत्ता केंद्र होते थे। वही स्थिति अब भारतीय जनता पार्टी में देखने को मिल रही है। राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के प्रवक्ता अब आक्रामक स्वरूप में अपनी बात कहने लगे हैं। यह आक्रामकता पहले भारतीय जनता पार्टी के नेताओं में देखने को मिलती थी। अब यह आक्रामकता कांग्रेस नेताओं में देखने को मिल रही है। हाल ही में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने जिस तरह से केंद्र सरकार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह पर निशाना साधा है, उससे स्पष्ट है कि अब कांग्रेस विपक्ष की भूमिका में आक्रामक होना सीख गई है। उसमें अब कोई भी डर और भय नहीं रहा, जो सत्ता में रहते हुए बना रहता था। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी में सामूहिक नेतृत्व का एक नया दौर सभी को आश्चर्यचकित कर रहा था। वहीं भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भरोसे पांच राज्यों मैं चुनाव प्रचार करती हुई नजर आई। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सभी प्रदेशों में एकजुट नजर आई। वहीं भारतीय जनता पार्टी कई गुटों में बंटी हुई नजर आई। पहली बार भारतीय जनता पार्टी में इस तरह की बगावत देखने को मिली, जो कभी कांग्रेस में हुआ करती थी। बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने जिस तरह से प्रादेशिक नेताओं की अनदेखी करते हुए केंद्रीय नेताओं को जिम्मेदारी दी है। पहले यह सब पहले कांग्रेस की संस्कृति में हुआ करता था। ठीक इसके विपरीत कांग्रेस ने इस बार अपने प्रादेशिक नेताओं के ऊपर दायित्व सौंपते हुए, उनके चुनाव प्रचार में मदद की है। जिसके कारण पांचो राज्यों में कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत के साथ केन्द्रीय नेतृत्व प्रादेशिक नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने समन्वय बनाकर चुनाव लड़ा है। कांग्रेस का यह समन्वय सभी राजनेताओं और पत्रकारों के बीच में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीधे निशाने पर लिया है। उन्हीं के भाषण और उन्हीं के शब्दों को आधार बनाते हुए पांच राज्यों में प्रधानमंत्री को अविश्वसनीय और झूठा बनाने का काम किया है। कांग्रेस नेता ऐसा बोल पाएंगे, इसको लेकर भी राजनीतिक हल्कों में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। सनातन और हिंदुत्व का मुद्दा भी लगता है, कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी के हाथ से छीनने की कोशिश की है। कांग्रेस पार्टी इस प्रयास में काफी हद तक सफल होते हुए दिख रही है। कमलनाथ ने तो मध्य प्रदेश में कमाल कर दिया। उन्होंने अपने संसदीय क्षेत्र में 101 फीट की हनुमान जी की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कराई थी। इस विधानसभा चुनाव में उन्होंने जिस तरह से बागेश्वर धाम के पीठधीश्वर को बुलाकर तथा कथाएं कराकर हिन्दुत्व का जवाब भाजपा को दिया है, हिंदू धर्म को मानने वाले कांग्रेस नेता भी हैं। भाजपा के नेता पाखंड करते हैं। इसका भी चुनाव में असर होता हुआ दिखा है। प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस बार के चुनाव अभियान में प्रधानमंत्री के 2013 से लेकर अभी तक के बयानों को आधार बनाकर उनके ऊपर लगातार हमले किए हैं। उन्होंने आम जनता के घावों को कुरदने का काम किया है। जिसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ रहा है। अविश्वसनियता का संकट इस बार आम जनता तथा भारतीय जनता पार्टी के प्रादेशिक, जिला स्तर के पदाधिकारियों के साथ-साथ कार्यकर्ताओं के बीच में भी देखने को मिला। पहली बार संघ के अनुवांशिक संगठन और भाजपा संगठन के कार्यकर्ताओं ने बेमन चुनाव में काम किया है। मतदान के दौरान उनकी उपस्थिति और उनकी सक्रियता वैसी देखने को नहीं मिली, जितनी पिछले चुनावों में देखने को मिलती थी। भारतीय जनता पार्टी अभी भी धार्मिक दुव्रीकरण, राम मंदिर, धारा 370, राष्ट्रीयता, सनातन भारत और पाकिस्तान के मुद्दे पर उलझी रही। वहीं कांग्रेस ने इस बार महिलाओं बेरोजगारी, महंगाई, रसोई गैस, पेट्रोल, डीजल की समस्या को लेकर आम मतदाताओं के बीच में अपनी जगह बनाई है। वहीं राहुल गांधी ने अपने प्रत्येक भाषण में जातीय जनगणना और सभी वर्गों की हिस्सेदारी की बात करके भाजपा के हिन्दू जनाधार में सेंध लगाने का काम किया है। यह देखकर कहा जा सकता है कि कांग्रेस पार्टी अब हर मोर्चे पर चुनाव लड़ना सीख गई है। एसजे / 21 नवम्बर 2023