- वरिष्ठ पत्रकार बनारसी लाल भोला ने बतायी जिला बनने की कहानी फिरोजाबाद (ईएमएस)उत्तर प्रदेश का फिरोजाबाद जनपद आज यानी की 5 फरवरी को 35 साल का हो गया। 5 फरवरी 1989 को आगरा जनपद की इस छोटी सी तहसील को जिले का दर्जा मिला था। हालांकि इस अवधि में काफी काम हुए लेकिन यह भी सच है कि आज भी कई बुनियादी सुविधाओं की इस शहर को दरकार है। इस जनपद की स्थापना को लेकर फिरोजाबाद के वरिष्ठ पत्रकार बनारसी लाल भोला ने पूरी जानकारी साझा की है। उन्होंने यह भी कहा कि जिला बनाने के लिए संघर्ष करने वालों को आज के दिन भुलाना नहीं चाहिये। वरिष्ठ पत्रकार बनारसी लाल भोला ने बताया कि फिरोजाबाद को जनपद का दर्जा दिलाने के लिए हुए आंदोलन में सभी वर्गों के प्रमुख लोगों ने विभिन्न माध्यमों से आंदोलन में भाग लेकर योगदान किया। फिरोजाबाद को जिला बनाने के लिऐ एक लंबा इतिहास रहा है वर्ष 1965 के बाद नागरिकों द्वारा समस्याओं के समाधान के लिए आवाजें उठने लगी थी उस वक्त स्थिति बिगड़ती जा रही थी वर्ष 1975 के बाद कानून एवं सफाई व्यवस्था की स्थिति बहुत ही बिगड़ गई थी। आए दिन हत्याऐं एवंअपराधों का सिलसिला चल रहा था, वर्ष 1975-76 में जब वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी (बादशाह वकील) ने लखनऊ में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा से मुसिंफी कोर्ट फिरोजाबाद में स्थापित करने की मांग को लेकर प्रतिनिधिमंडल के रूप में उनसे मिले थे और मांग की थी तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि आप मुझसे मुसिंफी कोर्ट की मांग कर रहे हैं मैं तो फिरोजाबाद को जिला बनाने की सोच रहा हूं। यहां आने पर बादशाह वकील, प्रमुख उद्योगपति बालकृष्ण गुप्ता, चंद्र कुमार जैन, उमेश जोशी, मथुरा प्रसाद मानव, वरिष्ठ पत्रकारों में गोपाल प्रसाद अग्रवाल, प्रेम नारायण द्विवेदी, बनारसी लाल भोला, जगदीश मृदुल आदि ने पद्मभूषण दादा बनारसीदास चतुर्वेदी जी से इस बारे में चर्चा की, दादाजी ने समस्याओं के समाधान के लिए एवं जिला बनाने के कार्य में लगे रहने के लिए कहा की आप सभी संघर्ष करते रहे, तभी यहां की समस्याओं का समाधान हो सकेगा तथा जिला बन सकेगा, तभी यहां की गंदगी दूर हो सकेगी। मैं यहां की समस्याओं के लिए नगर को स्वच्छ बनाने के लिए जिला बनाने कि मांग को लेकर शासन-प्रशासन को पत्र लिखता रहूंगा। उन्होंने जनप्रतिनिधियों, संस्थाओं के पदाधिकारियों को संघर्ष करने के लिए कहा था उस समय कानून का भय समाप्त हो चुका था। सन 1984-85 में नगर के सभी वर्गों के प्रमुख लोगों द्वारा नागरिक समिति बनाकर समस्याओं के समाधान हेतु आंदोलन चलाया गया। वहीं नागरिक समिति द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप चंद जैन के नेतृत्व में फिरोजाबाद बंद के आह्वान पर फिरोजाबाद ऐतिहासिक बंद रहा था, फिर भी समस्याओं का समाधान नहीं होने पर सबकी जुबान पर एक ही बात थी कि बिना जिला बने किसी प्रकार से समाधान नहीं हो सकेगा। मुझे याद है कि आगरा में जब मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह आए थे। तब यहां के प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने गया था, जिसमें बादशाह वकील, नन्नूमल मित्तल,अनूप चंद जैन एडवोकेट रघुनाथ प्रसाद चतुर्वेदी, अशोक चतुर्वेदी, चंद्र कुमार जैन, बालकृष्ण गुप्ता, पीके तेलिंग, पत्रकारों में गोपाल प्रसाद अग्रवाल, प्रेम नारायण द्विवेदी, बनारसी लाल भोला ने मुख्यमंत्री से मिलकर फिरोजाबाद को जिला बनाने की मांग कर ज्ञापन दिया था। मुख्यमंत्री ने कहा इस विषय पर विचार करेंगे। इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्रियों सेे जिला बनाने की मांग की जाती रही। दादा जी ने बहुत पहले ही पत्रकारों को कहा था कि वह अपने समाचार पत्रों में अधिक से अधिक यहां की समस्याओं के समाधान कराने के लिए व जिला बनाने के लिए लेख लिखते रहें। उस समय के समाचार पत्रों अमर उजाला, पंजाब केसरी, आज, स्वराज्य टाइम्स, युग प्रर्वतन में विस्तार से लेख प्रकाशित होते रहे। मैं दादा जी से बहुत प्रभावित था वह मेरे गुरु जी थे। 10 साल तक राष्ट्रीय समाचार पत्र पंजाब केसरी में फिरोजाबाद को जिला बनाने की मांग को लेकर विस्तार से बड़े लेख में दिल्ली जाकर प्रकाशित कराता था। लेख देखने पर दादा जी प्रसन्न होते थे, पंजाब केसरी के प्रधान संपादक माननीय स्व. अश्वनी कुमार (मिन्ना जी) का बहुत सहयोग रहा था। वहीं तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी ने मुख्यमंत्री बहुगुणा जी को नहीं हटाया होता तो 10 वर्ष पूर्व ही फिरोजाबाद जिला बन गया होता। मुझे याद है मोरारजी देसाई जी की सरकार बनने के बाद विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी फिरोजाबाद में आए तो वह दादा जी से मिले। वे दादा जी का बड़ा सम्मान करते थे। जब बाजपेयी जी ने दादा जी से पूछा कि उनकी क्या आशाएं हैं। दादा जी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि फिरोजाबाद जनपद बने यहां की गंदगी दूर हो अटल जी ने कहा कि वे प्रयास करेंगे वहीं पर उपस्थित तत्कालीन विधायक रघुवर दयाल वर्मा तथा जगदीश प्रसाद उपाध्याय, गोपाल प्रसाद अग्रवाल से उन्होंने कहा कि आप मुख्यमंत्री से मिलकर दादा जी की इस भावना को पूर्ण कराऐं और यहां की जनता के द्वारा उठाई गई मांग को जोर-शोर से समर्थन दें। मैं भी मुख्यमंत्री से बात करूंगा उस समय मोरारजी देसाई जी की सरकार ढाई वर्ष में ही चली गई। फिर जिला बनने में देरी होने लगी परंतु जनप्रतिनिधियों और विभिन्न संस्थाओं के लोगों ने अपने संघर्ष को नहीं छोड़ा। फिरोजाबाद का यह सौभाग्य था कि फिरोजाबाद से स्नेह रखने वाले नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने और यहां के प्रमुख लोगों का उनसे भेंट करना शुरू हो गया। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी (बादशाह वकील) अन्य के साथ मुख्यमंत्री के संपर्क में रहे और जब अंतिम पांच वर्षाे में आभास होने लगा कि अब जनपद बन सकता है। तभी आंदोलन में तेजी आ गई। इसी बीच उस समय के युवा कर्मठ संघर्षशील झब्बूलाल अग्रवाल ने जिला बनाने के लिए युवा समिति बनाकर आंदोलन शुरू कर दिया। धुन के पक्के झब्बूलाल ने हिम्मत नहीं हारी और वह लगे रहें। युवा जुड़ते रहे धरना प्रदर्शन, जुलूस, प्रभात फेरी कर आंदोलन चलता रहा। झब्बूलाल अग्रवाल द्वारा बनाई गई युवाओं की टोली में हर्षकुमार तिवारी, द्विजेंद्र मोहन शर्मा, उमाकांत पचौरी, सुनील वशिष्ठ, सुशील लहरी, विजेंद्र यादव आदि युवाओं को अपने साथ जोड़कर सड़कों पर धरना प्रदर्शन कर आंदोलन को तेज किया। पुलिस-प्रशासन के बल प्रयोग का सामना करना पढ़ा, वहीं कुछ आंदोलनकारियों को जेल भी जाना पढ़ा। जनपद बनाने की मांग को लेकर करीब 15 वर्ष तक अनेक स्तरों पर विभिन्न रूप में शासन से पत्राचार प्रतिनिधि मंडलों का मिलना चलता रहा। जनपद बनाने की घोषणा होने तक सभी वर्गों की सामूहिक कोई भी जनपद बनाओ संघर्ष समिति नहीं बन सकी थी अलग-अलग प्रतिनिधिमंडल शासन प्रशासन से मिलकर कार्य करते रहे। प्रदेश के मुख्यमंत्री से लगातार वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश चंद्र चतुर्वेदी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल का लंबे समय तक मिलना जारी रहा। वह तर्कों के आधार पर इतिहास के आधार पर और क्षेत्रीय जनसंख्या के आधार पर शासन को अवगत कराते रहें। जिला बनाने के संघर्ष में प्रकाश चंद चतुर्वेदी एडवोकेट बादशाह वकील व झब्बूलाल अग्रवाल का बहुत बड़ा योगदान था। सांसद गंगाराम जी ने जिला बनाने के लिए अपने प्रभाव का केंद्र-राज्य स्तर तक प्रयोग किया और मुख्यमंत्री तिवारी जी ने भी स्वीकार किया। वह शुभ दिन 5 फरवरी, 1989 आया जब जिला बनाने की घोषणा करने के लिये मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी हेलीकॉप्टर से जिलाधिकारी एस. सी. रस्तोगी और पुलिस अधीक्षक अरविंद कुमार जैन को अपने साथ लेकर सरकारी अस्पताल के टीवी वॉर्ड मैदान में आए थे। वह फिरोजाबाद के लिए बहुत ही गौरवमय दिन था। बीते 35वर्षों में फिरोजाबाद ने बहुत तरक्की की हैं, परंतु अभी बहुत कुछ करना बाकी है। फिरोजाबाद अभी भी बहुत सी समस्याओं से जकड़ा हुआ है। विकास की अभी बहुत आवश्यकता है। सभी जनप्रतिनिधियों को अपने मतभेद भुलाकर फिरोजाबाद के विकास के लिए एक साथ मिलकर काम करना होगा तभी यहां की समस्याओं का समाधान हो सकेगा और अपना फिरोजाबाद ऊंचाइयों पर पहुंच सकेगा। शासन स्तर पर फिरोजाबाद जनपद स्थापना दिवस के उपलक्ष में प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री ठा. जयवीर सिंह के निर्देशन में जनपद की स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में पर्यटन विभाग द्वारा शहर के पीडी जैन इंटर कॉलेज के मैदान पर 27 जनवरी से 5 फरवरी 2023 तक 10 दिवसीय फिरोजाबाद महोत्सव का आयोजन किया किया गया था इस बार भी जस्ट जोशी आयोजन किया गया है फिरोजाबाद के लिए 5 फरवरी का दिन सदैव याद रहेगा जिला बनने पर ही फिरोजाबाद का विकास हो रहा है और होता रहेगा इसके लिए प्रदेश सरकार और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह का धन्यवाद बहुत-बहुत आभार। जनपद बनाने के लिए किए गए संघर्ष आंदोलन में सभी वर्गों, संस्थाओं के प्रमुख लोगों द्वारा अपने-अपने ढग़ से सहयोग किया गया था। ऐसे अनेक नागरिक आज हमारे बीच में नहीं रहे हैं, उनको नमन करना भी आवश्यक है। मैं उन्हे याद करते हुए नमन करता हूॅ। वहीं जिला बनाओ संघर्ष के समय सभी वर्गों के तन-मन-धन या किसी भी तरह का सहयोग करने वालों में से जो वर्तमान में प्रमुख है उनका जिला प्रशासन एवं पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस महोत्सव के दौरान सम्मान अवश्य करना चाहिए और जो दिवंगत हो गए हैं उनको भी नमन कर याद करना चाहिए। संघर्ष का साथ देने वालों को भुलाया नही जाना चाहिये। जनपद बनाने व यहां की समस्याओं का समाधान कराने के संघर्ष में तन-मन-धन किसी भी तरह से सहयोग करने वालों में सर्वप्रथम पद्मभूषण दादा बनारसीदास चतुर्वेदी जी, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रकाश चंद चतुर्वेदी (बादशाह वकील), बालकृष्ण गुप्ता, चंद्र कुमार जैन, अनूप चंद जैन एडवोकेट रामनिवास गुप्ता, राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, राजेंद्र कुमार जैन (राजे बाबू), नन्नूमल यादव, रघुनाथ प्रसाद चतुर्वेदी, प्रेम नारायण शर्मा, प्राचार्य नरेंद्र प्रकाश जैन, जगदीश प्रसाद उपाध्याय, किशन लाल असीजा, आश्चर्य लाल नरूला, जगदीश प्रसाद बंसल, मोहनदास गांधी, हर्षकुमार तिवारी, सेठ विमल कुमार जैन, पंडित बालबिहारी लाल शर्मा, रामबाबू जैन राजा, चौधरी सनक सिंह यादव, मक्खन सिंह यादव, प्रषोत्मदास टण्डन, त्रिलोकीनाथ सेठी, खैराती लाल अरोड़ा, बालकिशन विज, मक्खन लाल पाराशर, सांसदों में गंगाराम, छत्रपति अंबेश, रामजीलाल सुमन, ओमपाल सिंह निडर, विधायकों जगन्नाथ लहरी, रघुवर दयाल वर्मा, रामकिशन दादाजू, नसीरउद्दीन सिद्दीकी, गुलाम नबी, रमेश चन्द्र चंचल, पत्रकारों प्रेम नारायण द्विवेदी, गोपाल प्रसाद अग्रवाल, बनारसीलाल भोला, गोवर्धन सिंह नादान, जगदीश मृदुल, रामसेवक शर्मा, श्री बालेंद्र जी, रमेश चंद्र पुष्पपति, रविंद्रमोहन यादव, समाजसेवी पन्नालाल राठी, हनुमान प्रसाद गर्ग, सुशीला ब्रजराज सिंह, बंगालीमल गोयल, स. मालिक सिंह सलूजा, स. राजेंद्र सिंह मल्होत्रा, स. राजेंद्र सिंह बग्गा, जीके अग्रवाल, डीके अग्रवाल, बंगालीमल गोयल, रामप्रकाश राम, अनिल गर्ग, राजनारायण गुप्ता, रामनारायन अग्रवाल, रामगोपाल पालीवाल, नानक चंद अग्रवाल, सतीश प्रकाश मित्तल (सत्तो बाबू), राजेंद्र प्रसाद मढावार, फूलन सिंह यादव, मथुरा प्रसाद मानव, श्रीमती सुखरानी भटनागर, श्री गोपाल अग्रवाल, नरेंद्र प्रकाश मित्तल ईकरी, देवीचरन अग्रवाल, ललितेश जैन, रमेश चंद जैन बैरिस्टर, बृजमोहन बंसल, सुदीप चतुर्वेदी, धर्मेंद्र शर्मा पीताम्बरा, गजेंद्र सिंह बौद्ध, अरुण जैन पीलीकोठी, डॉ. जेपी बंसल, डा. एसपीएस चौहान, डा. पंकज अग्रवाल, हरिओम शर्मा आचार्य, डॉ अजय कुमार आहूजा, बनारसीदास शर्मा, रामकृपा गुब्बरेले, मंगल सिंह राठौर एडवोकेट, बृजेंद्र गुप्ता, बाबूराम निशंक डॉ अशोक खुराना, फराद मीर खां, मिर्जा इसराइल बेग, मुतर्जाहुसैन अंसारी, समीम अहमद खां, वसीम आदिल खां आदि शामिल थे।