राज्य
07-Mar-2024
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- राजधानी भोपाल की एक मात्र सिक्स लेन कोलार रोड का निर्माण प्रदेश सरकार के लिए बन रहा घाटे और परेशानी का सबब... - 56% बढ़ी कोलार सिक्स लेन की लागत, 109 करोड़ की अतिरिक्त मांग, -सिविल कार्य में 28%, विद्युत कार्य में 124% और अन्य कार्यों में 157% की लागत बढ़ाई गई - 36 झुग्गियों की शिफ्टिंग में 1 करोड़ और 15.1 किमी. की सड़क पर प्लांटेशन के लिए 5 करोड़ की मांग की भोपाल (ईएमएस)। बंसल कंस्ट्रक्शन और लोक निर्माण विभाग मध्यप्रदेश सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने की तैयारी में है। सरकार भी बंसल कंस्ट्रक्शन को ये राशि देने की तैयारी कर रही है, लेकिन रिश्वतखोरी मामले के बीच कैबिनेट में प्रस्ताव होल्ड पर रख दिया गया। दरअसल, बंसल कंस्ट्रशन राजधानी भोपाल की एक मात्र सिक्स लेन कोलार रोड़ का निर्माण कर रही है। 29 अक्टूबर 2022 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका भूमिपूजन किया था। निर्माण एजेंसी बंसल कंस्ट्रक्शन को एक साल में इसका निर्माण कार्य पूर्ण करने के निर्देश दिए थे। 15.1 किलोमीटर लंबी और 32 मीटर चौड़ी सिक्स लेन सड़क के लिए एनडीबी योजना अंतर्गत 195.36 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी। लेकिन एक साल से ज्यादा समय हो चुका है और निर्माण एजेंसी आधा काम भी पूरा नहीं कर पायी है। वहीं दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग ने सरकार से 109 करोड़ 72 लाख रुपये अतिरिक्त राशि की मांग की है। सूत्रों का कहना है कि लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने परियोजना परिक्षण समिति के समक्ष प्रेजेंटेशन देकर इसका प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट को भेज दिया है। प्रस्ताव के अनुसार 109 करोड़ 72 लाख रुपये की अतिरिक्त राशि की मांग की है। प्रस्ताव 4 मार्च को आयोजित कैबिनेट बैठक में भी भेज दिया गया। लेकिन बंसल कंस्ट्रक्शन के यहां पड़ी सीबीआई रेड और रिश्वतखोरी में हुई अनिल बंसल की गिरफ्तारी के बाद कैबिनेट में प्रस्ताव को बिना चर्चा के होल्ड पर रख दिया गया। अगर सरकार यह राशि स्वीकृत करती है तो 195.36 करोड़ का यह सिक्स लेन प्रोजेक्ट 305.08 करोड़ रुपये में पूरा होगा। ऐसे में सरकार को करोड़ों रुपये का घाटा होगा, वहीं सड़क के निर्माण में सालों लग जाएंगे। हैरानी की बात है कि परियोजना क्षेत्र में आने वाली ३६ झुग्गियों की शिफ्टिंग के लिए एक करोड़ रुपए की मांग की गई है। उल्लेखनीय है कि कोलार सड़क परियोजना शुरु से ही विवादों में रही है। इस परियोजना के तहत रहवासियों को जबर्दस्ती शिफ्ट किया गया। वहीं कई लोगों के मकान और दुकान तोड़े गए। -डीपीआर में क्यों नहीं रखा ध्यान सवाल यह उठता है कि कोलर सिक्स लेन की डीपीआर बनाते समय लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने उपरोक्त बातों का ध्यान क्यों नहीं रखा। अब अतिरिक्त राशि की मांग के बीच सरकार को करोड़ों रुपये का नुकसान होगा। आनन फानन में मांगी गई अतिरिक्त राशि में कई कार्य ऐसे है जिसमें जरुरत से ज्यादा राशि दी जा रही है। सिविल कार्य में 28 प्रतिशत लागत बढ़ाई गई है। विद्युत कार्य में 124 प्रतिशत लागत बढ़ाई गई है। वही अन्य कार्यो में 157 प्रतिशत राशि लागत बढ़ाई गई है। -काम लंबा खींचने से जाम में फंसा कोलार सिक्स लेन का काम लम्बा खींचने से यातायात की भीड़ ऐसी है कि वाहन चलते नहीं बल्कि रेंगते हैं और निर्माण कार्य से निकलने वाली धूल स्थिति को और भी बदतर बना देती है। स्थिति यह है कि निवासी अपने घर तक पहुंचने के लिए मुख्य सड़क का सहारा लेने से बचते हैं। 15 किलोमीटर लंबी छह लेन वाली सड़क का निर्माण लगभग 3.5 लाख लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है, लेकिन काम की धीमी गति वरदान के बजाय अभिशाप साबित हो रही है। एक वर्ष से अधिक समय हो गया है और अब तक किया गया कार्य पूरा होने से कोसों दूर है। जिस तरह से इसे अंजाम दिया जा रहा है, पूरी सड़क बनने में 2-3 साल और लगेंगे। - एक साल में कैसे बढ़ी लागत, प्लांटेशन के नाम पर बंदरबांट निर्माण एजेंसी ने एक साल पहले ही सिक्स लेन का ठेका लिया था। एक साल में सड़क का निर्माण कार्य आधा भी नहीं हुआ है और लोक निर्माण विभाग ने सड़क की लागत 56 प्रतिशत बढ़ा दी है। इसमें निर्माण एजेंसी और अधिकारियों की मिलीभगत नजर आ रही है। 15.1 किलोमीटर लंबी और 32 मीटर चौड़ी सिक्स लेन में सीसी रोड़ के साथ पुल-पुलिया, नाली निर्माण, फुटपाथ पर पेवर ब्लॉक, रेटेनिंग वॉल डिस्मेंटल एवं रोटरी इलेक्ट्रिक पोल और ट्रांसफार्मर शिफ्टिंग, स्ट्रीट लाइट का प्रावधान किया गया था। एक साल में पूर्ण होने वाले इस कार्य की अचानक लागत बढ़ गई है। सड़क के बीच 36 पुल-पुलिया का प्रावधान किया गया था इसके बाबजूद अतिरिक्त 9 पुल-पुलिया के लिए 17 करोड़ रुपये की मांग की गई है। इलेक्ट्रिक पोल और ट्रांसफार्मर शिफ्टिंग सहित स्ट्रीट लाइट के लिए 25 करोड़ रुपये की अतिरिक्तमांग की गई है। वाटर सप्लाय लाइन की शिफ्टिंग, सीसीटीवी कैमरे और पेड़ लगाने सहित 41 करोड़ रुपये की अतिरिक्तमांग की गई है। इसमें मात्र १५.१ किलोमीटर में 5 करोड़ रुपये प्लांटेशन के लिए मांगे है जबकि एसओआर के मुताबिक 3.5 मीटर की सड़क की लागत 10 लाख रुपए आती है और इस प्रस्ताव के मुताबिक 15.1 किलोमीटर की सड़क के लिए लगभग 33 लाख रुपए प्रति किलोमीटर प्लांटेशन के नाम पर प्रतावित किए गए हैं। यह विषय चर्चा में बना हुआ है। इसके साथ ही ऐसे कई कार्य हैं जिनको दूसरे विभाग को करना था लेकिन निर्माण एजेंसी और लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों ने इन कार्यों को भी पुनरीक्षित लागत में जोड़ दिया। - इस तरह बढ़ेगी परियोजना की लागत निर्माण कार्य मूल लागत पुनरीक्षित लागत अतिरिक्त लागत/ प्रतिशत सिविल कार्य 149.11 192.76 43.65 २८% विद्युत कार्य 20.02 44.83 24.81 १२४% अन्य कार्य 26.23 67.49 41.26 १५७% कुल लागत 195.36 305.08 109.72 ५६%