ज़रा हटके
24-Mar-2024
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-एफएमजी को मानने वाले समुदायों की महिलाएं खतना करती हैं बांजुल (ईएमएस)। यूनिसेफ ने अपना टारगेट रखा है कि वो महिलाओं के खतना की प्रथा को 2030 तक पूरी तरह से खत्म करवा देगी। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में एफजीएम सर्वाइवर्स की संख्या 230 मिलियन से ऊपर है। इस प्रथा के खतरों को देखते हुए कई देशों ने इस पर कानूनी पाबंदी भी लगा रखी है, लेकिन गाम्बिया ऐसा देश है, जो बैन हटाने की सोच रहा है। एफजीएम को भले ही धार्मिक चोला पहनाया जाता हो लेकिन हकीकत में ये महिलाओं की यौन इच्छाओं पर दबाने एक टूल है। खुद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने माना था कि बच्चियों की कम उम्र में खतना कर दी जाती है। इस दौरान एक्सटर्नल प्राइवेट पार्ट के उन हिस्सों को कट किया जाता है, जिनसे यौन इच्छाओं का संबंध होता है. इसके पीछे महिलाओं के शादी के पहले संबंध न बनाने, या फिर यौन सुख न पा सके जैसी सोच हो सकती है। विगत दिवस गाम्बियन लॉमेकर्स ने बैन हटाने को लेकर वोटिंग करवाई। माना जा रहा है कि बहुत जल्द इस प्रथा को कानून की मंजूरी मिल जाएगी। इसकी वजह है धर्मगुरुओं का विरोध। खतना को गैरकानूनी बनाए जाने के बाद सरकार ऐसे लोगों पर जुर्माना लगाने लगी जो बच्चियों की खतना करते थे। इसपर इस्लामिक धर्मगुरु नाराज हो गए उनका कहना है कि सरकार उनकी परम्परा और प्रथा के साथ छेड़खानी नहीं कर सकती। इसपर मानवाधिकार संस्थाएं भी डरी हुई हैं कि इसके बाद चाइल्ड मैरिज (बाल विवाह) से पाबंदी भी हट जाएगी। दूसरी तरफ ऐसी महिलाएं भी हैं जो खुद इस प्रथा के सपोर्ट में हैं। एफएमजी को मानने वाले समुदायों की महिलाएं खतना करती हैं। वे मेडिकल प्रोफेशनल नहीं होतीं, न ही उन्हें हाइजीन की खास जानकारी रहती है. ऐसे में पाया गया कि खतना की हुई बच्चियां शॉक, हेमरेज मतलब बहुत ज्यादा खून बहना, टिटेनस या गंभीर इंफेक्शन का शिकार हो सकती हैं। बहुत ज्यादा दर्द, बुखार और यूरिनरी संक्रमण को आम माना जाता है. कई बार इंफेक्शन कंट्रोल न होने पर सेप्टिसीमिया हो जाता है, जिससे उसकी जान भी जा सकती है। डब्ल्युएचओ ने इसपर रोक लगाने के लिए वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में एक रिजॉल्यूशन पास किया। वो सारे देशों से इसे बंद करने की अपील करने लगा। इसका असर भी दिखा कई देशों में इसपर पाबंदी लग गई। लेकिन छुपकर सब कुछ चलता रहा। वहीं मुस्लिम-बहुल अफ्रीकी देशों में ये प्रथा कॉमन है। सोमालिया में 98 प्रतिशत से भी ज्यादा महिलाएं खतना की प्रक्रिया से गुजरती हैं। एशिया और लैटिन अमेरिका के मुस्लिम-बहुल समुदायों को मिलाकर कुछ 30 देशों में ये रिपोर्टेड तौर पर हो रहा है। क्या है एफजीएम - एक प्रोसेस में यौनांग के ऊपरी हिस्से क्लिटोरिस को अलग कर दिया जाता है - क्लिटोरिस को हटाते हुए साथ में वल्वा के भीतर हिस्से को भी हटाया जाता है - एक टाइप इनफिब्युलेशन है, जिसमें वजाइनल ओपनिंग को सिलकर संकरा कर देते हैं सिराज/ईएमएस 24 मार्च 2024