ज़रा हटके
26-Mar-2024
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-ऐसा हो ही नहीं सकता कि खोई हुई कोई चीज मिले नहीं टोक्यो (ईएमएस)। जापान के कई सिस्टम हैरत में डाल देते हैं। इन्हीं में एक है यहां का खोया पाया तंत्र। जापान में ऐसा हो ही नहीं सकता कि आपकी कोई चीज खोई हो और वह मिले नहीं। चाहे आप टैक्सी में फोन छोड़ दें या फिर कहीं ब्रीफकेस, बेशक नोटों से भरा पर्स ही कहीं भूल आए हों तब भी ये आपको सही सलामत मिल जाएगा। हर साल 12.6 करोड़ जापानी अपना कोई ना कोई सामान खो ही देते हैं लेकिन ज्यादातर चीजें मिल ही जाती हैं। इसके लिए जापान का तंत्र बहुत शानदार काम करता है।जापान का ये सिस्टम इस तरह काम करता है कि दुनियाभर के देशों के लोग हैरान हो सकते हैं। इस प्रक्रिया की शुरुआत स्थानीय कोबन से होती है जो छोटे से एक या दो कमरे के घर जैसे पुलिस केबिन जैसा होता है। यह जापान की कानून लागू करने वाली सामुदायिक आधारित प्रवृत्ति है। कोबन बहुत सफल हैं। पूरे जापान में 6300 कोबन या छोटे पुलिस स्टेशन हैं। जापान की राजधानी टोक्यो जैसे भीड़ भाड़ वाले महानगर में साल 2018 में 41 लाख गुमशुदा चीजें पुलिस के हवाले की गई थी। रिकॉर्ड बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से तीन चौथाई मामलों में लोगों को चीजें वापस मिल रही हैं। टोक्यो में अधिकारी कोबन में अपनी रिपोर्ट में मिली हुई गुमशुदा वस्तु और लाने वाले की जानकारी का रिकॉर्ड लिखते हैं। मिली हुई वस्तु को टोक्यो मेट्रोपॉलिटन पुलिस विभाग को भेजा जाते हैं। वहां इसको लॉस्ट एंड फाउंड सेंटर पर रख दिया जाता है। जापान में एक बार मिली हुई वस्तु जब लास्ट एंड फाउंड सेंटर यानि कोबन तक पहुंच जाती है तो उसकी पड़ताल की जाती है जिससे उसके मालिक के बारे में कुछ जानकारी मिल सके। हां अगर तीन महीने तक सही मालिक नहीं मिलता है तो ये पाई हुई वस्तु को उस व्यक्ति को दे दी जाती है, जिसे ये मिली थी। या फिर इन्हें नगरपालिका को दे दिया जाता है। जापानमें रेलवे स्टेशन बहुत व्यस्त होते हैं। इन रेलवे स्टेशनों पर भी गुमी हुई चीजों देने के लिए अलग अलग स्थानों पर व्यवस्थाएं की गई हैं। जापान की संस्कृति का भी इस तंत्र में एक बड़ा योगदान है। वहां बच्चों को नौतिक शिक्षा दी जाती है कि कोई भी खोई हुई लावारिस चीजे मिले तो उसे तुरंत पुलिस को दे दें। जापान के संपत्ति कानून भी देश की खोई हुई वस्तुओं को लौटाने में मददगार रहा है। क्या यह मॉडल दूसरे देशों में लागू हो सकता है, इसका सीधा जवाब मुश्किल है क्योंकि इसके लागू करना आसान नहीं है। इसमें सांस्कृतिक और नौतिक पक्ष की भूमिका ज्यादा अहम है जिसे सख्ती से लागू नहीं किया जा सकता है। बता दें कि जापान ऐसा देश है, जहां बहुत सी बातें इतनी निराली और शानदार हैं कि हर देश को सीखनी चाहिए। इसमें सबसे खास बात अगर सफाई है तो जबरदस्त अनुशासन भी। सुदामा/ईएमएस 26 मार्च 2024