लेख
16-Apr-2024
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इजराइल और ईरान युद्ध की आहट और आशंका के चलते दुनिया भर के शेयर बाजारों में हाहाकार मच गया है। भारतीय शेयर बाजार में एक दिन के अंदर 8.21 लाख करोड़ रुपए निवेशकों के डूब गए हैं। इजराइल और ईरान के बीच जिस तरह से तनातनी बढ़ रही है। अमेरिका और यूरोप के देश इजराइल के समर्थन में एकजुट हैं। वहीं ईरान के समर्थन में रूस और चीन जैसी महाशक्तियों के एकजुट होने से तृतीय विश्व युद्ध की आशंका से सारी दुनिया भयाक्रान्त हैं। भारत के शेयर बाजार में इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है। दुनिया में भारत का शेयर बाजार ही ऐसा बाजार था, जो बेलगाम घोड़े की तरह भाग रहा था। शेयर बाजार को नियंत्रित करने वाले अडानी और अंबानी भी इस घाटे से नहीं बचे। सेंसेक्स और निफ्टी बुरी तरह से टूट कर बंद हुआ। 75000 की छलांग लगाने वाला सेंसेक्स 73400 के स्तर पर बंद हुआ। इस कारण भारतीय निवेशकों के 8.1 लाख करोड रुपए कुछ ही घंटे के अंदर स्वाहा हो गए। इजराइल- हमास युद्ध में ईरान के शामिल हो जाने के कारण, मिडिल ईस्ट के देशों में तनाव दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। यही तनाव दुनिया के अन्य देशों के बीच देखने को मिलने लगा है। संयुक्त राष्ट्र संघ और सुरक्षा परिषद जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को इस तनाव को कम करने के लिए, जिन महाशक्तियों के माध्यम से शांति कराने के प्रयास करने थे, वही शांति के स्थान पर अशांति फैलाने का काम कर रहे हैं। 7 अक्टूबर 2023 के बाद से मिडिल ईस्ट के देशों के साथ तनाव बढ़ता ही जा रहा है। हाल ही में ईरान ने इजराइल पर 300 से ज्यादा ड्रोन मिसाइल से हमला किया। इसके पहले ईरान की सेना के अधिकारियों की दूतावास में हत्या के बाद से यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद ने एक आपातकालीन बैठक जरूर बुलाई है। इस बैठक को संबोधित करते हुए ईरान के राजदूत अमीर सईद इरावनी ने कहा, ईरान अपनी आत्म रक्षा के अधिकार का प्रयोग करेगा। ईरान ने कहा वह किसी भी हमले और आक्रामकता का मुंह तोड़ जवाब देगा। वहीं इजरायल के रक्षा मंत्री योव गैलेंट द्वारा जवाबी हमले की धमकी दी गई है। इजरायल मंत्रिमंडल की युद्ध कैबिनेट की बैठक हुई, जिसमें इजरायल द्वारा कहा गया, कि वह ईरान से इजराइल पर किए गए हमले की कीमत वसूलेगा। देर सबेरे इजरायल बदला जरूर लेगा। पिछले कई माह से रूस और यूक्रेन के बीच भीषण युद्ध चल रहा है। नाटो देशों ने रूस को अपना निशाना बनाया हुआ है। रूस और यूक्रेन के लाखों लोग इसके शिकार हुए हैं। फिलिस्तीन और इजरायल के बीच में भी पिछले कई माह से घातक युद्ध चल रहा है। हजारों निर्दोष नागरिकों की मौत हो चुकी है। इसका असर सारी दुनिया के देशों पर पढ़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां हाथ पर हाथ रखकर बैठी हुई है। उसका भी मुख्य कारण है, जिन महाशक्तियों को इस युद्ध को रोकने के लिए पहल करनी चाहिए थी, वही तनाव को बढ़ाने का काम कर रही हैं। अंतरराष्ट्रीय जगत में अब ऐसा कोई देश या राजनेता नहीं है, जो तृतीय विश्व युद्ध को रोकने के लिए आगे आए। दुनिया के देश अंतरराष्ट्रीय समुदाय की बात को मानते हुए शांति बनाए रखने के लिए फैसला कर सकें। इजराइल और फिलीस्तीन के युद्ध को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो प्रस्ताव पास किए गए। उनका पालन नहीं हुआ। अमेरिका, चीन, रूस जिस तरह से आग में घी डालने का काम कर रहे हैं, वह सबसे बड़ी चिंता का कारण बन गया है। सारी दुनिया के देशों में जिस तरह से आणविक और एटम बम के साथ अत्याधुनिक हथियारों के बल पर तृतीय विश्व युद्ध के लड़ने की तैयारी की जा रही है। इसकी आशंका मात्र से दुनिया भर के देशों के नागरिकों में अज्ञात भय देखा जा रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध को समाप्त हुए करीब 80 वर्ष हो चुके हैं। प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध की तबाही भी सारी दुनिया के देशों को पता है। 80 वर्षों में जो विकास सारी दुनिया के देश कर पाए थे। इस विकास को नष्ट करने में दुनिया के शक्तिशाली देश लग गए हैं। इससे आम नागरिकों की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। 1993 से सारी दुनिया के देश का एक दूसरे के साथ व्यापार संधि को लेकर समझौता किया। यह माना जा रहा था, कि इससे एक नए वैश्विक युग की शुरुआत होगी। सारी दुनिया के देशों को वैश्विक व्यापार संधि के बाद पूंजीवाद और कर्जवाद ने जकड़ लिया है। यही सबसे बड़े विनाश का कारण बन रहा है। पिछले 20 वर्षों में दुनिया के देशों में जो भी सत्ता पर बैठे हुए लोग हैं। वह अपने अहंकार के आगे कुछ भी सोचने समझने लायक नहीं रहे। जिसका खामियाजा अब दुनिया के देशों के आम नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है, यही कहा जा सकता है। एसजे / 16 अप्रैल 2024