लेख
19-Apr-2024
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इजरायल ने ईरान के ऊपर जबाबी हमला कर दिया है। इस जवाबी हमले के बाद सारी दुनिया के देशों में हाहाकार मचना तय है। इजराइल ने ईरान के कई शहरों और एयरपोर्ट पर खतरनाक मिसाइलों से हमला किया है। ईरान के इसाफहान शहर के एयरपोर्ट पर जबरदस्त धमाका सुना गया है। यहीं पर ईरान की न्यूक्लियर साइड भी मौजूद है। इस हमले के दो महत्वपूर्ण प्रभाव सारी दुनिया के देशों में होंगे। पहला कच्चे तेल की आपूर्ति प्रभावित होने से तेल के दाम बड़ी तेजी के साथ बढ़ेंगे। इसमें दुनिया के वह देश जो इस लड़ाई में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हैं, उनके ऊपर भी इस युद्ध का असर होगा। दूसरा जो देश प्रत्यक्ष रूप से इस युद्ध में भाग लेंगे या समर्थन दे रहे हैं उन देशों को भी इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा। भारत के लिए यह बड़ी चिंता का विषय है। भारत के संबंध ईरान और इजराइल दोनों के साथ हैं। गुरुवार की रात को इजराइल ने ईरान के इसाफ़न प्रांत में हमला किया है। यहां पर ईरान के परमाणु ठिकाने और यूरेनियम संवर्धन प्रमुख केंद्र हैं। ईरान और इजरायल के बीच चल रहे तनाव का मामला संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भी उठा था। सुरक्षा परिषद भी दोनों देशों के तनाव को कम करने में कोई सार्थक भूमिका नहीं निभा पाई। इजराइल के जवाबी हमला करने के बाद भारत को आर्थिक और सामरिक दृष्टि से बड़ा नुकसान होना तय है। ईरान की फौज ने इजराइल का एक माल वाहक जहाज जप्त करके रखा है। इसमें 25 चालक दल में 17 भारतीय थे। ईरान ने मात्र एक महिला चालक को छोड़ा है। शेष सभी ईरान की हिरासत में हैं। इजराइल और ईरान लंबे समय से एक दूसरे के ऊपर छुटपुट हमले करते रहे हैं। लेकिन अब इस युद्ध में अमेरिका, यूरोपीय देशों के साथ-साथ रूस और चीन भी हस्तक्षेप कर रहे हैं। इस कारण तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बन गई है। 1 अप्रैल को इजराइलियों ने दमिशक में एक ईरानी काउंसलेट पर हमला किया था। इस हमले में ईरान के साथ वरिष्ठ अधिकारी मारे गए थे। इस हमले के बाद ईरान को इजराइल के खिलाफ सीधी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। बदले में गुरुवार की रात इजराइल ने भी ईरान पर सीधा जबाबी हमला कर दिया है। जिसके कारण सारी दुनिया के देशों में तनाव की स्थिति बन गई है। ईरान के हमले से बचाव के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जॉर्डन और सऊदी अरब इजराइल की मदद में खड़े हुए हैं। दूसरी ओर ईरान की सहायता के लिए रूस और चीन खुलकर सामने आ गए हैं। इजराइल द्वारा गाजा में जिस तरीके का विनाश हमास से युद्ध करने के नाम पर फिलिस्तीनी नागरिकों का किया है। संयुक्त राष्ट्र संघ और सुरक्षा परिषद की बात को इजराइल ने नहीं माना। उसके बाद से ही स्थिति दिन प्रतिदिन खराब होती चली जा रही है। 7 अक्टूबर को इजराइल ने हमास के ऊपर हमला किया था। उसके बाद भारत ने सऊदी अरब, ईरान, इजराइल, मिश्र और फिलिस्तीन के नेताओं से युद्ध को रोकने के लिए अपने स्तर पर सभी ने प्रयास किए, लेकिन भारत के कोई भी प्रयास सफल नहीं हुए। इजराइल लगातार हमास पर हमला करता रहा। हजारों लोगों की मौत हो गई। अक्टूबर से अभी तक चल रहे इस युद्ध में इजराइल के हाथ भी कुछ नहीं आया है। फिलिस्तीन और गाजा में भारी नुकसान हुआ। वहां की आम जनता को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। ऐसा नरसंहार इसके पहले कभी दुनिया के किसी भी देश में देखने को नहीं मिला। इजराइल और हमास के युद्ध में एक साथ हजारों बच्चों और महिलाओं की मौत हुई है। वहां पर भुखमरी फैली हुई है। रेड क्रॉस और अन्य संस्थाएं वहां मदद नहीं पहुंचा पा रही हैं। भारत के ईरान और इजरायल के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं। भारत ने इजराइल से 2। 9 अरब डालर मूल्य के मिसाइल, रडार, निगरानी ड्रोन, लड़ाकू विमान इत्यादि खरीदे हैं। अमेरिका का प्रतिबंध होते हुए भी भारत ने तेल, गैस ईरान से बड़ी मात्रा में खरीदा है। ईरान से कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक भारत है। जिस तरह से ईरान और इजरायल एक दूसरे के ऊपर हमले कर रहे हैं। इसका बड़ा असर कच्चे तेल और गैस की आपूर्ति पर होगा। कच्चे तेल और गैस की कीमतें बड़ी तेजी के साथ बढ़ सकती हैं। इसका असर सारी दुनिया के देशों में होगा। जल मार्ग भी बाधित होगा। जिसके कारण आयात और निर्यात को लेकर बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न होगी। इजराइल और ईरान के बीच बढ़ते हुए तनाव से तीसरे विश्व युद्ध की आशंका से सारी दुनिया के देश भयाक्रांत हैं। आश्चर्य की बात यह है, कि संयुक्त राष्ट्र संघ और सुरक्षा परिषद जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं शांति बहाल करने में अपना योगदान नहीं दे पा रही हैं। इसने चिंता को और भी बढ़ा दिया है। यूक्रेन और रूस के बीच में पहले ही युद्ध चल रहा है इजराइल और हमास के बीच में भी पिछले 7 महीने से भयंकर युद्ध हो रहा है दुनिया के देश दो भागों में बट रहे हैं परमाणु हमले की आशंका जताई जा रही है ऐसी स्थिति में यदि तृतीय विश्व युद्ध हुआ तो यह अभी तक के विनाश का सबसे बड़ा कारण बनेगा। प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के समय लड़ाई के इतने संसाधन और नए-नए तौर तरीके विकसित नहीं थे, लेकिन वर्तमान संदर्भ में एक से एक बढ़कर विनाशकारी हथियार दुनिया के अधिकतर देशों के पास हैं इससे स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ईएमएस / 19 अप्रैल 24