लेख
24-Apr-2024
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- मोदी 6 बच्चों में तीसरे नंबर के - क्या सिर्फ मुसलमानों के हैं ज्यादा बच्चे जैसे कि उम्मीद थी तकरीबन वैसा ही हो रहा है। 2024 के आम चुनाव मंे भी भारतीय जनता पार्टी की इलेक्शन कैंपनिंग कांग्रेस, पाकिस्तान और मुसलमानों के ईर्द-गिर्द ही घूम रही है। चुनाव शुरू होने से पहले और अब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जितनी भी सभाएं हुईं हैं या जितनी दफा भी उन्होंने भाषण दिए हैं उनका केन्द्र या तो पूर्ववर्ती कांग्रेसनीत सरकार की खामियां गिनाना रहा है या फिर पाकिस्तान की बात करना या प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर मुसलमानों का जिक्र करना ही रहा है। मोदी ने अपने अब तक के कार्यकाल की उपलब्धियों को शायद कम ही गिनाया है। इसके पीछे वजह जो भी हो लेकिन मोदी जैसी शख्सियत से ये उम्मीद तो की ही जानी चाहिए कि वो अपने कामों से वोट मांगें। हाल ही में पीएम नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक पुराने भाषण का हवाला देते हुए मुसलमानों पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्हें घुसपैठिए और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाला कहा गया था। पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह के जिस 18 साल पुराने भाषण का जिक्र किया है, उसमें मनमोहन सिंह ने मुसलमानों को पहला हक देने की बात नहीं कही थी। तब मनमोहन सिंह ने 2006 में कहा था, अनुसूचित जातियों और जनजातियों को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। हमें नई योजनाएं लाकर ये सुनिश्चित करना होगा कि अल्पसंख्यकों का और खासकर मुसलमानों का भी उत्थान हो सके, विकास का फायदा मिल सके। इन सभी का संसाधनों पर पहला दावा होना चाहिए। अब, इतने साल बाद मोदी ने मनमोहन सिंह की इस टिप्पणी को अपने भाषण में क्यों इस्तेमाल किया ये बताने की जरूरत नहीं है। जिनके ज्यादा बच्चे हैं.. ये बात वो मोदी कर रहे हैं जो खुद 6 भाई-बहन हैं जिनमें वे तीसरें नंबर के हैं, उनकी एक बहन भी है। ये सभी जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी का जन्म तत्कालीन बॉम्बे राज्य के महेसाना जिला स्थित वडनगर ग्राम में हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी के एक मध्यम-वर्गीय परिवार में 17 सितम्बर 1950 को हुआ था। वह पैदा हुए छह बच्चों में तीसरे थे। हीराबेन मोदी और दामोदरदास मूलचन्द मोदी केे सबसे बड़े बेटे सोमभाई मोदी हैं। दूसरे नंबर पर अमृतभाई मोदी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर हैं। पीएम नरेंद्र मोदी से छोटे उनके भाई प्रह्लाद मोदी, फिर इकलौती बहन वसंतीबेन और सबसे छोटे भाई पंकज मोदी हैं। मोदी का परिवार मोध-घांची-तेली समुदाय से था, जिसे भारत सरकार द्वारा अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। पीएम मोदी के ज्यादा बच्चे और घुसपैठिये वाले बयान के बाद अब खुद मोदी और भाजपा नेता अपनी सरकार को मुसलमान हितैषी बताने की कोशिश कर रहे हैं। यहां ये बताना लाजमी होगा कि कुछ महीनों पहले ही भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने भी मुसलमानों को भाजपा से जोड़ने की कोशिश की थी। भाजपा ने पिछले साल मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने के लिए मोदी भाईजान अभियान शुरू किया था। इसके तहत मुस्लिम बहुल गांवों में कौमी चैपाल मुहिम चलाई थी। लेकिन, जल्द ही भाजपा का कथित मुस्लिम प्रेम ज्यादा दिन परवान नहीं चढ़ सका और राजस्थान में पीएम मोदी ने मुसलमानों को ज्यादा बच्चा पैदा करने वाला और घुसपैठिया तक कर दिया। इससे पहले भी असम में मुसलमानों की तुलना घुसपैठियों से करते हुए मोदी ने बांग्लादेशी प्रवासियों पर भी टिप्पणी की थी। पश्चिम बंगाल में भाषण के दौरान मोदी कह चुके हैं कि बांग्लादेश से केवल उन लोगों का स्वागत है जो दुर्गाष्टमी मनाते हैं। बवाल के बाद मोदी ने ये कहकर पल्ला झाड़ लिया था कि उनके भाषण का गलत मतलब निकाला गया। पीएम मोदी कभी खुद को मुसलमानों का हितैषी बताते हैं तो कभी मुसलमानों को विपक्ष का वोट बैंक। यदि भाजपा में मुस्लिम प्रतिनिधित्व की बात की जाए तो 24 के आम चुनाव में भाजपा ने महज एक मुसलमान अब्दुल सलाम को टिकट दी है। अब्दुल सलाम केरल के मलप्पुरम से प्रत्याशी बनाया गया है। 2019 के लोस चुनाव में भाजपा ने आधा दर्जन मुसलमानों को टिकट दी थी। ऐसा नहीं है कि मुसलमानों में राजनीतिक काबलियत नहीं है। पिछले चुनाव में 27 मुस्लिम सांसद निर्वाचित हुए थे। 1980 के आम चुनाव में तो 49 मुसलमान जीतकर संसद पहुंचे थे। जो भाजपा नेता ये सोचते हैं कि मुसलमान भाजपा को वोट नहीं देते शायद वो ये भूल जाते हैं कि मुस्लिम बाहुल्य सीटों से आखिर भाजपा जीतती कैसे है। मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र सहित देश के अन्य राज्यों के मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा क्षेत्रों का रिकार्ड उठाकर देखा जाए तो साफ हो जाता है कि कई मुस्लिम सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीतें हैं वो भी खासी बढ़त से। बावजूद इसके कभी मुगलों को लेकर तो कभी पहनावे को लेकर या फिर खान-पान को लेकर मुसलमान निशाने पर रहते हैं। भाजपा या अन्य किसी भी दल का नेता इस तरह से मजहबी तौर पर किसी को निशाना बनाए तो इसे अपरिपक्व माना जा सकता है लेकिन प्रधानमंत्री जैसे ओहदे पर बैठे और खासकर मोदी से मंझे हुए राजनेता से इस तरह की टिप्पणी की उम्मीद तो शायद ही किसी को हो। इस आम चुनाव से पहले तक तो प्रधानमंत्री मोदी हिंदू, हिंदुत्व, मुस्लिम जैसे शब्दों का इस्तेमाल कम ही करते थे, हालांकि वो इशारा जरूर कर देते थे कि किस के लिए क्या कहना चाह रहे हैं। बहरहाल, यदि मोदी कुछ कह रहे हैं तो इसके पीछे जरूर कोई गहरी बात होगी। शायद यही कि भाजपा को बहुसंख्यकों का वोट चाहिए। पार्टी के घोषणा पत्र में योजनाएं-नीतियां और विकास कार्यों का खाका तो है लेकिन हिन्दु-हिन्दुत्व की कसर भाषणों से पूरी की जा रही है। कुल मिलाकर, कांग्रेस, पाकिस्तान, हिन्दु-मुसलमान के बिना ये आम चुनाव भी नहीं होगा.....। (अधिवक्ता एवं लेखक भोपाल, मप्र) ईएमएस / 24 अप्रैल 24