लेख
27-Apr-2024
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आज कल चुनाव में घोषणा पत्र पर एक दूसरे पर वार पे वार किये जा रहें है इसकी जरुरत ही नहीं क्योंकि दोनों का काम जनता ने देख लिया है वो ना तो घोषणा पत्र का पन्ना पढ़ कर वोट करने वाली है ना ही घोटाला पर किसी के लिए वो घोटाला लगेगा किसी के लिए सोची समझी नीति और क़ोई कुछ भी ना लें और नोटा पर वोट कर दें इसलिए चुनाव में लोगों की दिलचस्पी नहीं दिखा जो पहले थी अब इसपर नए सिरे से सोचेने की जरुरत है वोट मेरा अधिकार है जिसे देना जरुरी है दरअसल हर 10साल के बाद एंटीइनकॉवेंसी यानि सत्ता पक्ष में कुछ लोगों का विरोध तो होता ही है अब इतनी बड़ी जनसंख्या है 140करोड़ लोगों का देश जब मजदूर क़ो खुश करेंगे तो उद्योगपति क़ो नुकसान होगा और जब मजदूर काम करके भी नहीं खा सकेगा तो ऐ भी उद्योगपति क़ो खुश रखना जैसे होगा,बस सेवा ही एक ऐसा हैजो एक जीवन का हिस्सा है किसी खेल में क़ोई हारता है क़ोई जीतता है लेकिन अपशब्द का प्रयोग किसी भी पार्टी के लिए घातक साबित होगी इसमें शांत रहकर लोगों की सेवा करना चाहिए जो जनता के दिल में जगह बनाएगी जो असली प्रेम होगा सेवा करना इंसान क़ो सत्ता या उससे बाहर भी रहकर कर सकते हैं सत्ता में होंगे तो विरोधी आपका टांग खीचेंगे और जब सत्ता में नहीं रहेंगे तो पावर नहीं होगा जीससे आप काम कर सकें लेकिन अनेकों उदाहरण है जो सत्ता से अलग रहकर भी लोगो की सेवा की और उसी आधार पर भगवान राम हो गए जो सबके पूज्य है सेवा के लिए पहली शर्त प्रेम हैं, अर्थात जिसके दिल में प्रेम हैं, वही सेवा कर सकता है। टॉल्स्टॉय ने कहा है, “प्रेम स्वर्ग का रास्ता है।” बुद्ध का कथन है, “प्रेम इंसानियत का एक फूल है और है और प्रेम उसका मधु।” रामकृष्ण परंमहंस ने कहा है, “प्रेम संसार की ज्योति है।” विक्टर ह्यूगों का कहना है, “जीवन एक फल है और प्रेम उसका मधु।” रामकृष्ण परंमहंस ने कहा है, “प्रेम अमरता का समुदंर है।” कबीर का कथन है, “जिस घर में प्रेम नहीं, उसे मरघट समझ—बिना प्राण के सॉँस लेने वाली लुहार की धौंकनी।” ढाई अक्षर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होए।। उपरोक्त पंक्ति के रचियता कबीरदास हैं। इस पंक्ति के माध्यम से ये कहना चाह रहें है कि बड़ी बड़ी पुस्तकें पढ़ कर संसार में कितने ही लोग मृत्यु के द्वार पहुँच गए, पर सभी विद्वान न हो सके। अलग—अलग शब्दों में सभी महापुरूषों ने प्रेम का बखान किया है। वास्तव में प्रम मानव-जाति की बुनियाद है। प्रेम ऐसा चुम्बक है, जो सबको अपनी ओर खींच लेता है। जिसके हृदय में प्रेम है, उसके लिए सब अपने हैं। भारतीय संस्कृति में तो सारी पृथ्वी को एक कटुम्ब माना गया है—‘वसुधैव कुटुम्बकम्।‘ जो सबकों प्रेम करता है, उससे बड़ा दौलतमंद कोई नहीं हो सकता। वह दूसरे के दिल में ऊँची भावना पैदा कर देता है। यदि गुस्सा होकर सूरज धूप और रोशनी न दे, धरती अन्न न दे, हवा प्राण न दे, तो सोचिए, हम लोगों की क्या हालत होगी! और प्रेम इस तर्क मे बड़ी भूल है। ईश्वर ने सारे इंसानो को एक-सा बनाया है। आदमी आदमी मे कोई अन्तर नही रक्खा। अन्तर तो स्वयं आदमी ने पैदा किया है। एक आदमी दिमाग़ से काम करता है, दूसरा शरीर से। पहले को हम बड़ा मानते है और उसे अधिक पैसा देते है, दूसरे को किसान-मजूर कहकर छोटा मानते है। और उसकी कम कीमत लगाते है। लेकिन यह न्याय नही है। जो दिमाग काम करता है, उसे भी खाने को अन्न चाहिए और अन्न बिना शरीर की मेहनत के नही मिल सकता। शरीर से काम करे वाले को दिमागी काम करने वाले का सहारा चाहिए। इस तरह दोनों एक-दूसरे के पूरक है। एक के बिना दूसरे का काम नही चल सकता। पर आज का समाज उन्हें एक-दूसरे का पूरक या साथी मानता कहाँ है? बुद्धि से काम करने वाला शरीर की मेहनत को छोटा और ओछा मानता है और उससे बचता है। वह मानता है कि मजूर से मेहनत लेने का उसे अधिकार है।ईश्वर सच्चिदानन्द है, असीम शक्ति का भंडार है। ईश्वर हमारे लिए एक अनन्त एवं अक्षय शक्तिस्रोत है। यदि आपका आत्मविश्वास विलुप्त हो चुका है, आप प्रभु भक्ति के द्वारा उसे पुनः प्राप्त कर सकते हैं। भावपूर्ण प्रार्थना करना एक विचित्र संबल देता है। धर्मों के नाम पर परस्पर घृणा का प्रचार करनेवाले तथा युद्ध भड़कानेवाले धर्म के तत्व एवं उद्देश्य को नहीं समझते हैं। संत किसी एक धर्म के खूंटे से नहीं बँधते हैं और सत्य का सत्कार करते हैं, वह चाहे जहाँ भी प्राप्त हो। एक सच्चा मानव मंदिर, गिरजा, गुरुद्वारा, मस्जिद को समान रुप से पवित्र मानता है तथा उसे अनेक मार्गों (धर्मों) के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। अपनी व्यक्तिगत अनुभूति के आधार पर ईश्वरतत्व को पहचानना तथा अपने स्वभाव के अनुसार उसके साथ एक व्यक्तिगत नाता स्थापित करना ईश्वर-प्राप्ति का श्रेष्ठ मार्ग है।अतः घोषणा पत्र पर ध्यान ना देकर काम पर ध्यान देना चाहिए चंद्रयान 3की सफलता ने तो भारत में इतिहास बना दिया अगर घोषणा पत्र पर ध्यान देते तो कुछ नहीं होता एक होकर लगन से काम किया कल किसने देखा है उसकी भविष्यवाणी आज हम नहीं कर सकते है हाँ ऐ जरुर कर सकते है संकट में एक दूसरे के काम आजायेगा। ईएमएस / 27 अप्रैल 24