राज्य
27-Apr-2024
...


भोपाल(ईएमएस)। वरिष्ठ कवि–कथाकार, निदेशक विश्व रंग एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति संतोष चौबे के ताजा निबंध संग्रह परम्परा और आधुनिकता का लोकार्पण 27 अप्रैल को स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, भोपाल के वनमाली सभागार में समारोह पूर्वक किया गया। यह आयोजन वनमाली सृजन पीठ एवं आईसेक्ट पब्लिकेशन, भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार ए. अरविन्दाक्षन ने कहा कि परंपरा और आधुनिकता की बहस बहुत पुरानी है। इस विषय पर इस दौर में यह पुस्तक आना बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने केरल की आयुर्वेदिक पद्धति का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे एकत्र की गई जड़ीबूटियों में से विशेषज्ञ जरूरी जड़ीबूटियों को काम के लिए रखता है और जहरीली या गैरजरूरी चीजों को अलग करते है ठीक उसी दृष्टि को बरतते हुए संतोष चौबे अपने निबंधों में बहुमूल्य विषयों को शामिल करते है। अपनी रचना प्रक्रिया पर संतोष चौबे ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मनुष्य की पहचान साहित्य, कला और संस्कृति से स्थापित होती है। कलाएँ जीवन में शीतल छाँव की तरह होती हैं। साहित्य, कला और संस्कृति हमें नई जीवन दृष्टि प्रदान करते है। इस पुस्तक में समाहित निबंधों से परंपरा और आधुनिकता को देखने की नई दृष्टि मिली है। कार्यक्रम में बीज वक्तव्य रखते हुए वरिष्ठ कवि–आलोचक जितेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि एक मुक्त दृष्टि से भारतीय परंपरा को समझने का गंभीर चिंतन है यह पुस्तक। चिंतक का काम तथ्यों से ही प्रासंगिक होता है। संतोष चौबे सही तरह से तथ्यों को देखते परखते हैं। वे उद्दात्त भाव से जीवन मूल्यों तक पहुँचते हैं। इस पुस्तक के सभी निबंध नये ढंग से सोचने की दृष्टि देते हैं। इस अवसर पर स्वागत उद्बोधन में वनमाली सृजन पीठ भोपाल के अध्यक्ष वरिष्ठ कथाकार मुकेश वर्मा ने कहा कि यह पुस्तक वैचारिक निबंधों का महत्वपूर्ण संकलन है। संतोष चौबे ने अपनी लंबी वैचारिक यात्रा के जीवनानुभवों को निबंधों के रूप में इस पुस्तक में संकलित किया है। वरिष्ठ कथाकार अखिलेश ने कहा कि इस पुस्तक में परंपरा और आधुनिकता अंतरध्वनि के रूप में विद्ममान है। संतोष चौबे परंपरा और आधुनिकता दोनों को समान रूप से वैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिभाषित करते हैं। रचनात्मकता और विविधताओं का शिखर इन निबंधों में मिलता है। वरिष्ठ कथाकार और आलोचक भालचन्द्र जोशी ने कहा कि संतोष चौबे परंपरा और आधुनिकता को समग्रता में देखने के पक्षधर है। इस पुस्तक के निबंधों में नई जीवन दृष्टि समाहित है। रजनी गुप्त ने कहा कि परम्परा और आधुनिकता पुस्तक कलाओं की आपसदारी में नये क्षितिज तलाशती है। संतोष चौबे इस पुस्तक के निबंधों में मनुष्य को मनुष्य बनाए रखने के मानवीय मूल्यों को बहुत अधिक महत्व देते हैं। आभार वरिष्ठ कवि बलराम गुमास्ता ने व्यक्त किया। लोकार्पण समारोह का सफल संचालन युवा कथाकार एवं वनमाली कथा के संपादक कुणाल सिंह द्वारा किया गया तथा संयोजन वनमाली सृजन पीठ की राष्ट्रीय संयोजक ज्योति रघुवंशी द्वारा किया गया। इस दौरान कार्यक्रम स्कोप ग्लोबल स्किल्स यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. सिद्धार्थ चतुर्वेदी, वाइस चांसलर डॉ. अजय भूषण और रजिस्ट्रार डॉ. सितेश कुमार सिन्हा के अलावा बड़ी संख्या में रचनाकारों, कलाकारों, साहित्यप्रेमियों, शोधार्थियों, प्राध्यापकों आदि ने भागीदारी की। हरि प्रसाद पाल / 27 अप्रैल, 2024