लेख
01-May-2024
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आपको बता दें कि लखनऊ की साध्वी आशुतोषमवारी ने 28 जनवरी24 को समाधि ली थी। उन्होंने कहा कि वह अपने गुरु आशुतोष महाराज को वापस शरीर में लाने के लिए समाधि में चली गई थीं। जो 10साल पहले ही दिव्य ज्योति संस्थान के संस्थापक श्री आशुतोष महाराज को जगाने हेतु साध्वी आशुतोषमवारी ने समाधी ली श्री आशुतोष महाराज ने 2014 मे समाधि लीं आशुतोष महाराज का शरीर जालंधर मे उनके आश्रम मे डीप फ्रीज़र me बन्द है माँ आशुतोषमवारी की समाधि को डॉक्टरों का कहना है कि उनकी दिल की धड़कन प्लस नहीं है लेकिन ईसीजी में मूवमेंट दिख रही है और इतने दिनों लगभग 3महीने बाद भी समाधि से वापस नहीं आ रही है अब इसे आस्था की दृष्टि से देखा जाए या विज्ञान की दृश्टिकोण से यदि वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो इसे डेड बॉडी का नाम दिया जाएगा लेकिन आस्था मे इसे समाधि का रूप ही माना जा सकता है चूंकि ऐ सारी घटना कोर्ट से मिलो मंजूरी पर हो रहा है अतः जरूर क़ोई तथ्यों के आधार पर हो रहा होगा महान गायत्री साधक पंडित श्री राम कृष्ण शर्मा आचार्य ने अपनी पपुस्तक मे जिक्र ही नहीं यहाँ तक लिखा है कि जब वो कठिन साधना में जुट जाते तो अपनी आत्मा को अंतरिक्ष में विचरण कराते तो अपार आंनद की अनुभूति होती और पुनः अपने शरीर में बापस आ जाते कुछ तो रहस्य है जिससे हम सभी अनजान हैं क्योंकि जिसे सांप के कटाने से मौत हो जाती तो उसे जलाया नहीं जाता और केलाा के पेड़ से बांधकर नदी में प्रवाहित इसी उम्मीद से करते कि शायद जिंदगी कभी मिल जाए हमने भी कई ऐसे न्यूज में पढ़ा कि चीता पर क़ोई मरा हुआ आदमी उठकर बैठ गया लेकिन जहाँ तक मेरा मत है ऐ एक बार बहुत पहले ऐ रेडियो पर न्यूज आया कि जय प्रकाश नारायण नहीं रहें और स्कूल में लोग छुट्टी होगा बाहर भी निकल गए और बाद में रेडियो पर न्यूज आया कि जीवित है और छुट्टी कैंसिल हो गई मेरे अनुसार यह एक अंध्विश्वास है क्योंकि जब ईश्वर किसी की जितने सांसे लिख देता वह उतनी ही लेता है और मरा हुआ आदमी कभी जिन्दा नहीं हो सकता है लेकिन जब यह पडने को मिलता कि रामकृष्ण परमहंस अपनी चीता से बापस लौट कर जिन्दा हो गए तो आत्मा के रहस्य को समझ ही नहीं पाता और जब ऐ सुनने को मिलता है कि ईशामसीह जमीन से नहीं क़ब्र से बाहर निकल गए थे तो हैरान गों जाता आखिर ऐ कैसे संभव है हमने तो यहाँ तक सुना है कि देवराहा बाबा जब कठिन तपस्या कर कहीं जा रहें थे तो अपनी शक्ति का परीक्षण के लिए किसी चिता पर लें जा रहे मरे हुए शरीर को जिन्दा किया था बाद में मरे हुए शरीर को बहुत से लोग जिन्दा होने की आशा से उनके पास गए तो उन्होंने जीवित करने से यहकहकर मना कर दिया कि ऐ प्रकृति के नियम के खिलाफ है मै इसे अंध्विश्वास मानता हूँ जो एक बार दुनिया से चला गया वो कभी बापस नहीं आता क्योंकि ऐ ईश्वर की मर्जी से हुआ है क्योंकि एक बार क़ोई व्यक्ति मरे हुए शरीर को भगवान बुद्ध के पास जिंदगी के लिए गया तो भगवान बुद्ध ne उसे यह कहकर मना कर दिया कि कौन ऐसा घर है जहाँ क़ोई मरा ना हो अतः ऐ प्रकिया नियति के अनुसार होता है और जो आया है उसे जाना भी निश्चित है।आत्मा एक ऐसा पिंड है जो कभी मरती नहीं और पुराने से नए वस्त्र धारण करती है लेकिन क़ोई व्यक्ति पहले क्या था ऐ मालूम ही नहीं तो वाकई आत्मा होती है इसपर भी सस्पेंस है। मेरे अनुसार जीना मरना वैसा ही है जब स्थूल से सूक्ष्म शरीर यानि पंचतत्व में विलीन हो जाती है। ईएमएस / 01 मई 24