राज्य
02-May-2024


:: म.प्र. लोक सेवा आयोग द्वारा अपनायी गई नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया तथा आरक्षण सही घोषित :: नौकरी जॉइन कर चुके चयनित अभ्यर्थीयों को राहत :: परीक्षा के विगत 4 वर्षों से चल रहे सभी विवादों का हुआ पटाक्षेप इन्दौर (ईएमएस)। राज्य सेवा परीक्षा-2019 का 571 पदों के लिए प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 12/01/2020 को प्रदेश के सभी 52 जिला मुख्यालयों पर किया गया था। आयोग द्वारा तद्समय संशोधित परीक्षा नियमों के आधार पर आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों का श्रेणीवार प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया, जिससे आरक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थी प्रारंभिक परीक्षा कटऑफ अंकों से कम प्राप्तांको के कारण मुख्य परीक्षा हेतु अर्ह नहीं हो सके थे। तब किशोर चौधरी एवं अन्य याचिकाकर्ताओं द्वारा डब्ल्यू.पी. 542/2021 तथा अन्य याचिकाएं उच्च न्यायालय में दायर कर संशोधित परीक्षा नियमों को चुनौती देकर प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम निरस्त करने की मांग की गई। उस समय राज्य शासन द्वारा भी परीक्षा नियमों में किए गए संशोधनों में निरस्त कर पूर्ववत कर दिया गया इसी दौरान मुख्य परीक्षा का आयोजन मार्च 2021 में होकर 1918 उम्मीदवारों को संशोधित नियमों से साक्षात्कार हेतु अर्ह घोषित किया गया। दिनांक 07/04/2022 को किशोर चौधरी के प्रकरण में जबलपुर उच्च न्यायालय की डबल बैंच द्वारा पूर्व घोषित श्रेणीवार प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम को निरस्त घोषित करते हुए असंशोधित परीक्षा नियमों से परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने के आदेश दिए गए। आयोग द्वारा कोर्ट आदेश का पालन करते हुए प्रांरभिक परीक्षा का परिणाम दिनांक 10/10/2022 को संशोधित करते हुए 13180 उम्मीदवारों को मुख्य परीक्षा हेतु अर्ह घोषित कर पुनः मुख्य परीक्षा के आयोजन की सुचना अर्ह उम्मीदवारों को दी गई। किन्तु पहले आयोजित मुख्य परीक्षा में सम्मिलित उम्मीदवारों जो कि संशोधित प्रारंभिक परीक्षा परिणाम में भी सफल घोषित हुए उन्होंने माननीय न्यायालय में याचिका डब्ल्यू, पी. 23828/2022 दायर कर पुनः आयोजित होने वाली मुख्य परीक्षा में बैठने से मना करते हुए, पूर्व आयोजित मुख्य परीक्षा के प्राप्तांक मान्य किए जाने की मांग की गई। जबलपुर उच्च न्यायालय की न्यायाधीश नंदिता दुबे द्वारा उनकी मांग मान्य करते हुए केवल नवीन अर्ह हुए अभ्यर्थीयों के विशेष मुख्य परीक्षा का आयोजन कर दोनों परीक्षाओं में सम्मिलित परीक्षार्थीयों के अंको का नॉर्मलाइजेशन कर मुख्य परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने के आदेश दिए। आयोग द्वारा निर्णय के प्रकाश में सांख्यिकी विषय विशेषज्ञों से अभिमत के पश्चात नॉर्मलाइजेशन फॉर्मुला तैयार कर मुख्य परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया। जिसमें 1983 उम्मीदवार साक्षात्कार हेतु अर्ह पाए गए। न्यायाधीश नंदिता दुबे द्वारा प्रारंभिक परीक्षा के संशोधित परिणाम के आधार पर केवल नए सफल उम्मीदवारों के मुख्य परीक्षा के आयोजन तथा नॉर्मलाइजेशन किए जाने के आदेश को डबल बैंच में चुनौती दी गई। जिसमें याचिकाकर्ताओं द्वारा यह तर्क दिया गया कि आयोग के परीक्षा नियमों में विशेष परीक्षा तथा नॉर्मलाइजेशन का उल्लेख नहीं है, इसलिए प्रांरभिक परीक्षा में अर्ह सभी परीक्षार्थीयों की पुनः परीक्षा का आयोजन किया जाए। किन्तु जबलपुर उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश की डबल बैंच द्वारा उम्मीदवारों की अपील याचिका खारिज कर दी गई। डबल बैंच के निर्णय के विरूद्ध सर्वोच्च न्यायालय में दीपेन्द्र यादव एवं अन्य छः याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका 5817/2023 दायर की गई साथ ही पूर्व में साक्षात्कार हेतु अर्ह घोषित उम्मीदवार वैशाली वाधवानी एवं ममता मिश्रा द्वारा श्रेणीवार आरक्षण को मान्य किए जाने के लिए भी उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई। इसी दौरान नॉर्मलाइजेशन के पश्चात साक्षात्कार हेतु अर्ह पाए गए उम्मीदवारों के साक्षात्कार का आयोजन गत वर्ष अगस्त से अक्टूबर माह तक आयोजित किया गया। इसी बीच में आयोग को उच्च न्यायालय जबलपुर से वैशाली वाधवानी के प्रकरण में स्थगन आदेश प्राप्त हुआ। आयोग द्वारो 571 विज्ञापित पदों में से दिनांक 26/12/2023 को राज्य सेवा परीक्षा 2019 का अंतिम चयन परिणाम घोषित करते हुए 472 उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी कर दी गई तथा शासन के 26 विभागों को नियुक्ति हेतु अनुशंसा की गई। शासन के विभागों द्वारा जनवरी माह में नियुक्ति आदेश जारी कर चयनित अधिकारियों को ज्वाईनिंग भी दे दी गई। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई के दौरान परीक्षा परिणामों में आयोग द्वारा अपनाई गई नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को समझने के लिए सांख्यिकी विषय के विशेषज्ञों प्रो. वास्तोषपति शास्त्री तथा प्रो. इन्द्रेश कुमार मंगल को कोर्ट के समक्ष बुलाकर भलीभाँति समझने के पश्चात घोषित परीक्षा परिणामों की प्रक्रिया को सही मानते हुए केस खारिज कर दिया गया। इसी प्रकार घोषित परीक्षा परिणाम में आरक्षण प्रक्रिया के पालन को भी सही मान्य करते हुए वैशाली वाधवानी तथा ममता मिश्रा की याचिकाए भी खारिज कर दी गई है। सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष म.प्र. लोक सेवा आयोग की ओर से सीनियर एडवोकेट आत्माराम नाडकर्णी, डॉ. हर्ष पाठक मोहित चौबे द्वारा पक्ष रखा गया तथा याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट बाल सुब्रमण्यम तथा गौरव अग्रवाल की टीम द्वारा पैरवी की गई। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर आयोग के अध्यक्ष डॉ. राजेश लाल मेहरा द्वारा संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि निर्णय स्वागत योग्य तथा आयोग की सुचारू कार्य प्रणाली पर मुहर लगाना वाला है। अब अभ्यर्थीयों की समस्त शंकाए दूर हो गई है। शासन ने भी त्वरित कार्यवाही कर जो नियुक्तियां दी थी अब उनपर भी कोई संशय शेष नहीं है। ईएमएस / 02 मई 2024