लेख
05-May-2024
...


देवभूमि उत्तराखंड में यूं तो मां गंगा का उदभव है,जो हमे पतित से पावन बनाती है,लेकिन क्या सिर्फ स्नान करने से हम पतित से पावन बन जाएंगे,इसके लिए जरूरी है ,हमारा मन भी पतित से पावन बने ।इसी के लिए ब्रह्माकुमारीज़ मोटिवेशनल स्पीकर बीके शिवानी देवभूमि उत्तराखंड पधारी और उन्होंने लगातार कई जनसभाएं कर लोगो को रूहानियत की सीख दी और उन्हें जीवन जीने की कला सिखाई।शिवानी को सुनने के लिए जहां जहां भी उनकी जनसभा हुई,वही वही जनसैलाब उमड़ पड़ा। राजयोगिनी बीके शिवानी ने सबसे पहले हरिद्वार के प्रेमनगर आश्रम में कहा कि आज हम साधनों और परिस्थितियों के गुलाम हो गए हैं और हमें इनकी गुलामी से मुक्ति पाकर ही स्वराज यानी आत्मनिर्भर भारत बना सकते हैं। उन्होंने कहा कि राम राज्य कब आएगा, हमें इसका इंतजार नहीं करना है, बल्कि राम राज्य लाने के लिए हमें अभी से प्रयास करने होगें।उनके इस कार्यक्रम का आयोजन प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्‍वविद्यालय सेवा केंद्र हरिद्वार द्वारा किया गया था। शिवानी ने संतों के साथ संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर समारोह की शुरुआत की। बीके शिवानी का हरिद्वार के सेवा केंद्र की प्रभारी मीना दीदी ने उन्हें पुष्प कुछ भेंट कर स्वागत किया। उत्तराखंड सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री विधायक मदन कौशिक, कार्यक्रम के संयोजक ज्ञानेश अग्रवाल, जगदीश लाल पाहवा, ब्रह्म कुमार सुशील भाई, समाजसेवी विशाल गर्ग, समाजसेविका मनु शिवपुरी ने अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर बी के शिवानी का अभिनंदन किया। आध्यात्मिक गुरु बीके शिवानी का हरिद्वार में पहले सार्वजनिक आध्यात्मिक कार्यक्रम था। उनके व्याख्यान को सुनने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। सुबह 6:30 से 8:30 तक शांत भाव से लोगों ने उन्हें सुना। शिवानी ने श्रोताओं को जीवन यापन के कई सूत्र दिए। उन्होंने कहा कि त्रेतायुग में भगवान प्रभु राम और और रावण दोनों हुए हैं। रामराज्य का मतलब सत्य ,शांति, सुखमय और आध्यात्मिक जीवन जीना है जबकि रावण राज्य के मायने विकारों से युक्त जीवन जीना है। रावण के 10 सिर थे यानी 10 विकार काम, क्रोध, लोभ, अहंकार,मोह, निंदा, आलस्य आदि । हमें इन विकारों को जीवन से समाप्त कर यानी पराजित कर रामराज्य की स्थापना करनी है।उन्होंने कहा कि इस समय घोर कलयुग चल रहा है और कलयुग के बाद सतयुग आता है। हमें रामराज्य यानी सतयुग डर गुस्सा नाराजगी दिखाकर नहीं बल्कि प्यार और शांति से लाना होगा। इस समय राम राज्य को लाने के लिए पूरे देश में लहर चल रही है। राम राज्य के बिना स्वराज की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम आज इंद्रियों के गुलाम हो गए हैं।साधनों के ऊपर निर्भर हो गए हैं। हमें साधनों का गुलाम नहीं बल्कि उनका मालिक बनना है। तभी हम आध्यात्मिक सुख की ओर जा सकते हैं। और यही राजयोग का चमत्कार है। यह सब संकल्प से सिद्धि की ओर जाकर ही हो सकता है।वही रुड़की के अशोका फार्म में वाह जिंदगी वाह कार्यक्रम अंतर्गत राजयोगिनी बीके शिवानी ने कहा कि हम परिस्थितियों के गुलाम हो गए हैं और हमें मन की गुलामी से मुक्ति पाकर ही आत्मनिर्भरता प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राम राज्य कब आएगा, हमें इसका इंतजार नहीं करना है, बल्कि राम राज्य लाने के लिए हमें अभी से प्रयास करने होगें।इस कार्यक्रम का आयोजन प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्‍वविद्यालय सेवा केंद्र रुड़की द्वारा किया गया था। शिवानी व अन्य ब्रह्माकुमारीज़ बहनों ने दीप प्रज्वलित कर समारोह की शुरुआत की। बीके शिवानी का देहरादून, हरिद्वार व रुड़की के सेवा केंद्र प्रभारियों मंजू दीदी, मीना दीदी व गीता दीदी ने उन्हें पुष्प कुछ भेंट कर स्वागत किया। विधायक प्रदीप बत्रा, राज्य मंत्री स्तर श्यामवीर सैनी,जिला पंचायत अध्यक्ष राजेंद्र सिंह , ब्रह्म कुमार सुशील भाई, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति डॉ श्रीगोपाल नारसन आदि ने बीके शिवानी का अभिनंदन किया। आध्यात्मिक गुरु बीके शिवानी के व्याख्यान को सुनने के लिए रुड़की में जनसैलाब उमड़ पड़ा। राजयोगिनी शिवानी ने श्रोताओं को जीवन जीने की कला के कई गुर सिखाए।उन्होंने कहा कि हम हर रोज बच्चों को पढ़ाई के लिए स्ट्रेस देते है,परन्तु एग्जाम के दिन कहते है स्ट्रेस मत लेना,क्या यह कहने मात्र से स्ट्रेस खत्म हो जाएगा?हम एक दूसरे से अंजान होते हुए भी सड़क पर चलती गाड़ी से प्रतिस्पर्धा कर बैठते है और दूसरे से आगे जाने की होड़ में रेड सिग्नल तोड़ बैठते है।वही अगर मेरी गाड़ी खराब हो जाती है,तो क्या दूसरा अपने उस अंजान प्रतिस्पर्धी की मदद के लिए रुकेगा?वास्तव में जीवन एक रेस है,जिसमे सद्भावना से ही एक दूसरे को खुशी मिल सकती है। भौतिक तरक्की के चक्कर मे हम अपनी खुशी खो बैठते है।जबकि खुशी मन की स्तिथि पर निर्भर करता है।खुशी सोफे पर बैठकर भी नही जमीन पर पालथी मारकर बैठने से भी मिल सकती है। हमें सतयुग को डर या गुस्सा या नाराजगी दिखाकर नहीं ,बल्कि प्यार और शांति से लाना होगा। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम आज इंद्रियों के गुलाम हो गए हैं।साधनों के ऊपर निर्भर हो गए हैं। हमें साधनों का गुलाम नहीं बल्कि उनका मालिक बनना है। तभी हम आध्यात्मिक सुख की ओर जा सकते हैं। और यही राजयोग का चमत्कार है। यह सब संकल्प से सिद्धि की ओर जाकर ही हो सकता है।परमात्मा और आत्मा के गूढ रहस्य को उजागर करते हुए कहा कि हम अपनी आत्मा को शक्तिशाली बनाने के लिए हर विपरीत स्थिति में भी शांत और स्थिर मन और चित को बनाए रखें। हमें कोई भी कष्ट दे या बद् दुआ दे परंतु हम उसे बद दुआ देने की बजाय उसे दुआ दें और दुआ रूपी मरहम से बददुआ के घांव को सहलाएं और भरें। क्योंकि हमारे संस्कार किसी को दुख देने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि परमात्मा से आत्मा का मिलन ही राजयोग है और इसके लिए हमें जीवन में शुद्ध संस्कारों का निर्वहन करना होगा । हमें जीवन में अन्न-जल ग्रहण करते हुए उसकी शुद्धता का ध्यान रखना होगा। कहते हैं जैसा अन्न वैसा मन और जैसा पानी वैसी वाणी। उन्होंने कहा कि मनुष्य के जो कर्म होते हैं , वही उसके साथ अगले जन्म के लिए जाते हैं। और हमारे इस जन्म के कर्म हमें अगले जन्म का निर्धारण करते हैं। और हमारे इस जन्मों के कर्मों का लेखा-जोखा हमारे अगले जन्म को निर्धारित करता है।उन्होंने माना आज के घोर कलयुग में हम अपनी आत्मिक स्थिति से विमुख होकर सोल कॉन्शियस हो गए हैं, सामने वाले से उसका ओहदा देखकर उससे बात करते हैं, यही हमारे अशांत व दुखी होने का कारण है। उन्होंने कहा कि अच्छी सोच के पॉजिटिव शास्त्र द्वारा नेगेटिव को खत्म किया जा सकता है, जैसे कि सोच, बोल व कर्म में हम करेंगे वही व्यवहार के रूप में हमारे सामने आएगा इसलिए यह प्रश्न निराधार है कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ। उन्होंने सभी श्रोताओं से अनुरोध किया कि अपनो को व स्वयं को खुश रखने व शांत रखने के लिए राज्योग का अभ्यास करें।उनके ऋषिकेश कार्यक्रम में कई महामंडलेश्वर, महंत ,संत ,महात्मा शामिल हुए और शिवानी के रूहानी ज्ञान पर सहमति की मोहर लगाई।देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी उन्हें सुनने के लिए खास से आम तक हजारों की संख्या में आए। देहरादून में शिवानी ने बताया कि हमारा भाग्य परमात्मा लिखता है या हमारे कर्म लिखते है।परमात्मा सबका भाग्य लिखते तो सबका एक समान लिखते,लेकिन हमारे कर्म ही हमारे भाग्य का आधार है।जो हम सोचते करते है,वही कर्म है,मेरे साथ जो भी हो रहा है बहुत बढ़िया हो रहा है। देहरादून में शिवानी की सुनकर लगा जैसे मां सरस्वती ही धरती पर आकर ज्ञान की वर्षा कर रही हो।वे बोली, परिस्थितियां एक अंधेरे के समान हैं उस अंधेरे को दूर वो दिया नही करेगा, वो दिया हमे खुद को बनना होगा, हमे लेने वाला नही देने वाला बनना होगा तभी हम देव संस्कृति को प्रत्यक्ष कर सकेंगे, उन्होंने आगे कहा की संकल्प से सृष्टि बनती है सृष्टि से संकल्प नहीं , इसलिए हमें पहले अपने अंदर स्वर्ग लाना है, फिर अपने घर में, फिर समाज में, फिर संसार स्वर्ग बन जायेगा। कोई परिस्थिति हमे बाहर से परेशान कर सकती है, नुकसान पहुंचा सकती है लेकिन मेरे मन के अंदर कोई नही घुस सकता, अर्थात मेरे मन को कोई डिस्टर्ब नहीं कर सकता, अर्थात मेरी खुशी मेरे हाथ में है, मुझे अपने मन का मालिक बन कर रहना है , इसका रिमोट अपने हाथ में रखना है। आज जो भी हमारे साथ हो रहा है वो मेरे ही कर्म का फल है अतः आज जो वर्तमान मेरे हाथ में है उसे श्रेष्ठ रीति से बिताना है, भविष्य अपने आप अच्छा हो जाएगा, जिसने आज तक मेरे साथ कुछ भी गलत किया उसे मन ही मन क्षमा करें और उससे मन हीं मन क्षमा मांगे क्योंकि मेने भी कभी उसके साथ कुछ गलत किया था। दुआएं देते जाए, तो सब अच्छा अच्छा होता जायेगा।उनकी वाणी को सुनकर विधायक सविता कपूर व देहरादून के पूर्व मेयर गामा आदि घण्टो तक रूहानियत में खोये रहे।इसके बाद शिवानी ने विकास नगर में भी आध्यात्मिक यज्ञ रूपी जनसभा कर लोगो को अपने जीवन मे सकारात्मक बदलाव के लिए प्रेरित किया। (लेखक ब्रह्माकुमारीज़ से जुड़े है और विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ के उपकुलपति है) ईएमएस / 05 मई 24