राज्य
07-May-2024


नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली हाईकोर्ट ने आईएसआईएस के केरल मॉड्यूल के मामले में आरोपी को जमानत दे दी है। हाईकोर्ट ने यूएपीए के मामले में जमानत देते हुए सोमवार को कहा कि सिर्फ इसलिए कि आरोपी के मोबाइल में आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की तस्वीरें, जिहाद प्रचार और आईएसआईएस के झंडे जैसी आपत्तिजनक सामग्री पाई गई थी और वह कट्टरपंथी या मुस्लिम प्रचारकों के उपदेश सुनता था। कोर्ट ने कहा कि यह सारी बातें उसे आईएसआईएस जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन का सदस्य करार देने के लिए पर्याप्त नहीं होगा। जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि आज के इलेक्ट्रॉनिक युग में इस तरह की आपत्तिजनक सामग्री वर्ल्ड वाइड वेब पर आसानी से उपलब्ध है और केवल इसे एक्सेस करना और डाउनलोड करना यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं होगा कि आरोपी ने खुद को आईएसआईएस से जोड़ा है। जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा कि कोई भी जिज्ञासु व्यक्ति ऐसी सामग्री तक पहुंच सकता है और उसे डाउनलोड भी कर सकता है। हमें लगता है कि यह कृत्य अपने आप में कोई अपराध नहीं है। कोर्ट ने अमर अब्दुल रहमान को ज़मानत देते हुए ये टिप्पणियां की, जिसे अगस्त 2021 में एनआईए ने गिरफ़्तार किया था। उमर पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 120बी के साथ यूएपीए की धारा 2(ओ), 13, 38 और 39 के तहत आरोप लगाए गए थे। आरोपों के मुताबिक अब्दुल रहमान आईएसआईएस के प्रति कट्टरपंथी था। उसने आईएसआईएस के ज्ञात और अज्ञात सदस्यों के साथ मिलकर जम्मू-कश्मीर और उसके नियंत्रण वाले अन्य क्षेत्रों में हिजरा करने के लिए आपराधिक साजिश रची थी। ताकि वह खिलाफत की स्थापना के लिए आईएसआईएस में शामिल हो सके और भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे सके। एनआईए ने आरोप लगाया कि रहमान के मोबाइल फोन की जांच से पता चला कि उसने स्क्रीन रिकॉर्डर का इस्तेमाल करके इंस्टाग्राम से आईएसआईएस और क्रूर हत्याओं से संबंधित वीडियो डाउनलोड किए थे। एजेंसी ने आगे आरोप लगाया कि मोबाइल में ओसामा-बिन-लादेन, जिहाद प्रचार, आईएसआईएस के झंडे आदि की तस्वीरें भी थीं, जिससे उसकी कट्टरपंथी मानसिकता और आईएसआईएस से जुड़ाव की पुष्टि होती है। अजीत झा/ देवेन्द्र/ नई दिल्ली/ ईएमएस/07/मई /2024