लेख
08-May-2024
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देवभूमि उत्तराखंड में प्रतिवर्ष बाबा विश्वनाथ मां जगदीशिला की डोली राज्य भृमण पर निकलती है और विश्वशांति संदेश के साथ ही सिद्धपीठों से होते हुए मां गंगा का पावन सानीदय प्राप्त करती है।इस वर्ष यह यात्रा रजत जयंती वर्ष में प्रवेश कर रही है जिसके उपलक्ष्य में उत्तराखंड राज्य में मौजूद हजार धामों के चिन्हीकरण का लक्ष्य निर्धारित गया है। साथ ही रजत जयंती के उपलक्ष्य में लोकहितकारी 11 सूत्रीय कार्यक्रम भी पूरे वर्ष चलेंगे।16 मई से यह यात्रा शुरू होने जा रही है और 16 जून को गंगा दशहरा के अवसर पर हरिद्वार में इस यात्रा का समापन होगा।यात्रा संयोजक मंत्री प्रसाद मैथानी ने बताया कि बाबा विश्वनाथ मां जगदीशिला डोली रथ यात्रा इस वर्ष अपने 25 साल पूरे करने जा रही है। इस यात्रा को और बेहतर बनाने के लिए यात्रा को चिन्हित 350 देवालयों से जोड़ा जाएगा।मंत्री प्रसाद नैथानी का लक्ष्य उत्तराखंड में धार्मिक तीर्थाटन को बढ़ावा देना भी है।कार्यक्रम के मुताबिक 16 जून को भक्तगण अपने-अपने जिलों में गौ माता को फलाहार देकर गाय पूजन और उत्तराखंड की जमीन बचाने का संकल्प लेंगे। 26 जुलाई को अमर शहीद श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर समूचे प्रदेश में सभी जिलों पर रक्तदान शिविर लगाए जाएंगे। 31 जुलाई को शहीदों की आत्मा की शांति के लिए यज्ञ का आयोजन किया जाएगा।31 अगस्त को संस्कृत भाषा के उन्नयन के लिए संस्कृत विद्यालय खोलने की शुरुआत की जाएगी। 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों की दशा और दिशा पर विचार गोष्ठी का आयोजन पूरे प्रदेश मुख्यालयों पर किया जाएगा।यात्रा का उद्देश्य अपनी संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने के साथ-साथ विश्व शांति की कामना करना भी है। यात्रा के दौरान यात्री अपनी संस्कृति का प्रचार प्रसार करने के साथ-साथ लोगों को बाबा विश्वनाथ मां जगदीशिला के महत्व के बारे में बताएंगे। मंत्री प्रसाद नैथानी ने बताया कि यह यात्रा प्रत्येक जिले के प्रमुख मंदिरों से होकर गुजरेगी और सभी मुख्य देवालयों में यात्रा जाएगी। विश्वनाथ-जगदीशिला तीर्थाटन समिति की बैठक में तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया है। राज्य तीर्थाटन प्रदेश बने इस पर जोर दिया जाएगा।टिहरी के विशोन पर्वत से यह डोली 15 मई को ऋषिकेश के नेपाली फार्म पहुंचेगी। यहां से 16 मई को डोली यात्रा की शुरूआत होगी।इसके बाद हरिपुल कला हरिद्वार, मधुबन आश्रम कैलाशगेट टिहरी, मां नंदा विहार नवादा, पुरोला, मट्टी गांव गांजणा कठूड़ उत्तरकाशी, कमलेश्वर महादेव श्रीनगर गढ़वाल, श्री घंटाकर्ण मंदिर लोस्तु टिहरी, श्री रघुनाथ मंदिर गौचर, मां चंडिका देवी मंदिर नंदप्रयाग, जोशीमठ, मलारी, श्री विशेश्वर मंदिर बछुआ बाण चमोली, रानीखेत अल्मोड़ा, डोल आश्रम, लोहाघाट चंपावत, डीडीहाट, सत्यूगांव अल्मोड़ा, पस्तौत नैनीताल, सत्यनारायण मंदिर हल्द्वानी, शैल भवन रुद्रपुर, कोटद्वार, पैठाणी, जखोली, ग्यारहगांव, विशोन पर्वत के बाद 16 जून को गंगा दशहरा पर स्नान कराया जाएगा।मंत्री प्रसाद नैथानी ने माना कि मंदिरों का जीर्णोद्धार किया जाना चाहिए, लेकिन उनके स्वरूप न बदला जाए,ताकि प्राचीन सिद्धपीठ मंदिरों का अस्तित्व बना रहे। उत्तराखंड में कैबिनेट मंत्री रहे मंत्री प्रसाद नैथानी ने अपने इस आध्यात्मिक मिशन में जनसरोकारों को भी जौड़ा है।उन्होंने उत्तराखंड में एक हजार संस्कृत विद्यालय खोलने के लक्ष्य के साथ ही एक हजार ध्यान केंद्र खोलने,पर्यावरण की रक्षा का संकल्प कराने तथा बंजर भूमि के सदुपयोग का भी अभियान चलाया हुआ है।पूरी तरह से गैर राजनीतिक उनके इस मिशन के साथ राज्यभर ही नही राज्य के बाहर के लोग भी जुड़े है।जिसके लिए उन्होंने गढ़वाल व कुमाऊं मंडलों में बड़ी संख्या में समन्वयक बनाये है।जो उनकी इस यात्रा व जनसरोकारों के लिए सारथी की भूमिका निभा रहे है।वही हिमालयन पीठाधीश्वर स्वामी वीरेंद्रानन्द महाराज, पूर्व विधायक ललित फर्स्वाण ,प्रोफेसर भानू प्रसाद नैथानी, डॉ केदार दत्त पल्लडिया ,मनोहर लाल जुयाल उनके कार्यक्रम में संयोजक की भूमिका में है। (लेखक आध्यात्मिक चिंतक एवं वरिष्ठ पत्रकार है) ईएमएस / 08 मई 24