राज्य
09-May-2024


नई दिल्ली (ईएमएस)। आप यह कैसे सुनिश्चित करेंगे कि लैंडफिल साइट के बगल में चल रही डेयरियों से उत्पादित दूध से आम जनता की सेहत को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा? कैसे तय करेंगे कि मवेशी लैंडफिल साइट पर जमा खतरनाक कचरे को न खाएं और उन्हें चरने के लिए पर्याप्त जगह मिले? दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी से इन सारे सवालों का जवाब मांगा, जिन्होंने लैंडफिल साइट के बगल में बसी गाजीपुर और भलस्वा डेयरी कॉलोनियों को मौजूदा स्थान से कहीं और बसाने के सुझाव पर असहमति जताई। चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार ने एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत पी एस अरोड़ा की बेंच से कहा कि 200 एकड़ में फैली गाजीपुर और 65 एकड़ जमीन पर बसी भलस्वा डेयरी को रिलोकेट करने के लिए लगभग 265 एकड़ जमीन की तत्काल जरूरत पड़ेगी, इससे इन इलाकों का इकोसिस्टम प्रभावित होगा। गोयला डेयरी से काफी दूरी होने की वजह से इन्हें वहां पर शिफ्ट करना भी आसान नहीं होगा। जहां तक लीगेसी वेस्ट (लैंडफिल साइट पर सालों से जमा कचरा) की बात है तो सीएस ने कोर्ट को भरोसा दिलाया है कि अगले डेढ़ साल के भीतर गाजीपुर और भलस्वा लैंडफिल साइट से कचरे का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा। उन्होंने दावा किया कि पिछले एक साल में इन दोनों साइटों से जमा कचरे को तेजी से निपटाया गया है। अजीत झा/ देवेन्द्र/ नई दिल्ली/ ईएमएस/09/मई /2024