क्षेत्रीय
10-May-2024
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कोरबा (ईएमएस) सार्वजनिक क्षेत्र के वृहद उपक्रम कोल् इंडिया के अधीन संचालित एसईसीएल बिलासपुर की कोरबा-पश्चिम क्षेत्र में स्थापित खुले मुहाने की गेवरा कोयला परियोजना अंतर्गत एसईसीएल की मेगा प्रोजेक्ट में गेवरा खदान में चल रहे कोयला उत्पादन व मिट्टी निकासी का काम मतदान खत्म होते ही ग्राम पंचायत सुवाभोड़ी, अमगांव के ग्रामीणों ने बंद करा दिया। ग्रामीणों का कहना है कि मुआवजा और आउटसोर्सिंग कंपनियों में रोजगार को लेकर कई बार प्रबंधन के समक्ष प्रस्ताव रखा गया, पर अभी तक समस्या का निराकरण नहीं हो सका। जानकारी मिलने पर स्थल पर पहुंचे एसईसीएल के अधिकारियों ने समझाइश देने का प्रयास किया, पर ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे। ग्रामीणों ने कहा कि ग्राम पंचायत सुवाभोड़ी के मुआवजे को लेकर प्रबंधन टालमटोल की नीति लगातार अपना रही है। इसके कारण मुआवजा प्राप्त करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दस्तावेजों की प्रक्रिया को इतना जटिल कर दिया गया है, इसकी वजह से मुआवजा राशि का भुगतान नहीं हो पा रहा है। इसे सरल किया जाना बहुत जरूरी है। दूसरी ओर अमगांव पंचायत के ग्रामीणों ने अमगांव फेस पर कार्य में लगे मशीनों को बंद कर दिया। आउटसोर्सिंग कंपनियों में रोजगार देने के लिए एसईसीएल दीपका प्रबंधन वादा किया था। दो माह बीत जाने के बाद भी एसईसीएल प्रबंधन द्वारा अमगांव के बेरोजगार नौजवानों को अभी तक आउटसोर्सिंग कंपनियों में नियोजित नहीं कर पाया जिससे नाराज ग्रामीणों ने दीपका कोयला खदान के खनन कार्य में लगे मशीनों को बंद कर दिया। भीषण गर्मी के बावजूद भी अपनी मुआवजा रोजगार को लेकर सड़कों में संघर्ष करना पड़ रहा है। समाज सेवक मनीराम भारती ने बताया कि एसईसीएल और प्रशासन द्वारा जमीन अधिग्रहण तो कर लिया जाता है, पर ग्रामीण अपनी आर्थिक व्यवस्था को मजबूत नहीं कर पाते। इसकी वजह से एसईसीएल का नियम कानून गरीब किसान ग्रामीण के अंदर और कमजोर बना देती है। अपने मुआवजा, रोजगार पुनर्वास को लेकर दफ्तरों के चक्कर ग्रामीण काट रहे हैं, लेकिन समाधान किसी भी संबंधित विभाग या अधिकारी से नहीं हो पाता। इसकी वजह से आंदोलन का रास्ता अख्तियार करना पड़ता है। पीड़ित किसान ग्रामीण कर्ज में और डूब जाते हैं जिसके कारण किसान को आत्महत्या करने के लिए एसईसीएल प्रेरित करता है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। प्रबंधन द्वारा पुलिस भी बुला ली गयी, पर ग्रामीण अपनी मांग पर अडे रहे। 10 मई / मित्तल