राष्ट्रीय
22-May-2024
...


नई दिल्ली (ईएमएस)। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) ने 30 साल की लंबी स्टडी के बाद एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। यह रिपोर्ट उनके लिए रेड अलर्ट है, जो भूख मिटाने के लिए अक्सर स्नैक्स पर टूट पड़ते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि बहुत ज्यादा तले-भुने खाद्य पदार्थ धीमा जहर बन जाते हैं, जिनके खाने से जिंदगी छोटी होती जाती है। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड आइटम्स न केवल हृदय रोगों बल्कि कई अन्य कारणों से मौतों की वजह बनते हैं। डॉक्टरों ने भी इस रिपोर्ट को सही बताया है। आंतरिक चिकित्सा के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. पंकज वर्मा ने कहा, हालांकि कभी-कभार अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड आइटम्स खाने से कोई पूरी तरह बीमार नहीं हो जाता, लेकिन अगर किसी को इसकी आदत पड़ गई हो और वह बहुत ज्यादा स्नैक्स लेता है, तब निश्चित रूप से चिंता की बात है। सवाल है कि हर दिन अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड कितना खा सकते हैं ताकि स्वास्थ्य पर उल्टा असर नहीं पड़े, तब इसका कोई सटीक उत्तर नहीं दिया जा सकता है। हालांकि, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के खान-पान संबंधी निर्देशों के अनुसार, हम खान-पान में प्रोसेस्ड फूड के सीमित उपयोग और बिल्कुल शुद्ध भोजन को ही प्राथमिकता देने की सलाह देते हैं। हमारी राय है कि वसा (फैट), शर्करा (शुगर) और नमक (साल्ट) की खपत को कम करते हुए फलों, सब्जियों, साबुत अनाज, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट जैसे पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की पूरी रेंज पर जोर देते हैं। स्वस्थ आहार की आदतें रोग की रोकथाम और तंदुरुस्त के लिए सर्वोपरि हैं। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड आइटम्स में पहले से तैयार भोजन, सॉसेज, नगेट्स, मिठाई, बिस्कुट, पेस्ट्री, बन्स, केक और चिप्स आदि शामिल हैं। चीफ डाइटीशियन डॉ. रितिका समादार ने कहा, चूंकि ये खाद्य पदार्थ में शुगर और सैचुरेटेड फैट्स ज्यादा मात्रा में होते हैं, इसलिए इनका सेवन हार्ट डिजीज, डाइबिटीज और मोटापे का कारण बनते हैं। इसतरह के खाद्य पदार्थों का सेवन कम करके साबुत अनाज, फलियां, फल और सब्जियां जैसे बहुत सारे साबुत खाद्य पदार्थ शामिल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड आइटम्स में मांस/पोल्ट्री/समुद्री भोजन आधारित रेडी-टू-ईट प्रॉडक्ट्स को विशेष रूप से चिंताजनक माना गया है। चिकित्सा के निदेशक डॉ. अजय अग्रवाल ने भी इसके हानिकारक प्रभावों पर चर्चा की। उन्होंने कहा, इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि बहुत ज्यादा तले-भुने खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन से हृदय रोग से संबंधित मौतों का जोखिम लगभग 50 प्रतिशत बढ़ता है। इस तरह, चिंता-तनाव और सामान्य मानसिक विकारों का रिस्क 48-53 प्रतिशत जबकि टाइप 2 डाइबिटीज का जोखिम 12 प्रतिशत बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति को जितना हो सके अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। आशीष/ईएमएस 22 मई 2024