फहीम का आरोप राजनीतिक दबाव में कोर्ट के आदेश से पहले कार्रवाई की गई श्रीनगर,(ईएमएस)। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने नासिक में हजरत सातपीर सैयद बाबा दरगाह के विध्वंस पर सुप्रीम कोर्ट के स्थगन का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना को बनाए रखने में सक्षम और सबसे अहम संस्थान है। महबूबा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि नासिक दरगाह के विध्वंस पर सुप्रीम कोर्ट का स्थगन एक अहम हस्तक्षेप है, जो बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा मामले की सुनवाई के लिए समय तय करने में विफलता के मद्देनजर सामने आया है। इस देरी ने स्थानीय प्रशासन को दरगाह के हिस्से को ध्वस्त करने का मौका दिया, जिससे इलाके में तनाव और झड़पें हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नासिक नगर निकाय द्वारा दरगाह को ध्वस्त करने के नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी और बॉम्बे हाईकोर्ट से दरगाह की याचिका को सूचीबद्ध न करने पर रिपोर्ट मांगी। जम्मू-कश्मीर के पूर्ववर्ती राज्य की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ये दरगाहें केवल भौतिक संरचनाएं नहीं हैं, बल्कि आध्यात्मिक स्थल हैं जहां हिंदू और मुसलमान दोनों ही श्रद्धा रखते हैं। दरअसल, नासिक नगर निगम ने 1 अप्रैल को दरगाह को अवैध ढांचा घोषित करते हुए नोटिस दिया था। 15 अप्रैल की रात विध्वंस की कार्रवाई शुरू होने पर स्थानीय लोगों ने पथराव कर दिया था, जिसमें 21 पुलिसकर्मी घायल हो गए। अगले दिन 16 अप्रैल को दरगाह को ध्वस्त कर दिया गया। दरगाह ट्रस्ट के वकील के मुताबिक उन्होंने 8 अप्रैल को हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने मामले को सूचीबद्ध नहीं किया। जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तब तक दरगाह को गिरा दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट को सुनवाई में देरी नहीं करनी चाहिए थी। दरगाह के सदस्य फहीम शेख ने कहा कि विध्वंस की कार्रवाई अचानक रात में की गई। उन्हें सुबह 10 बजे कार्रवाई की जानकारी हुई जब उन्होंने अपने मोबाइल पर मिस्ड कॉल और मैसेज देखे। उन्होंने वकील से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वह कोर्ट में होने के कारण उनसे बात नहीं कर सके। फहीम शेख का आरोप है कि राजनीतिक दबाव में कोर्ट के आदेश से पहले दरगाह को ध्वस्त करने के लिए यह कार्रवाई की गई। उन्होंने दावा किया कि उनके पास 350 साल पुराने दस्तावेज हैं जो साबित करते हैं कि यह ढांचा अवैध नहीं वैध था। नासिक नगर निगम की कमिश्नर ने कहा कि उन्हें अभी तक सुप्रीम कोर्ट का कोई आदेश नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि 16 अप्रैल को सुबह 6 बजे ढांचे को हटा दिया गया था, और वे अपने वकीलों के जरिए से कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। एनएमसी का कहना है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले ही इस ढांचे को अवैध घोषित कर दिया था, इसलिए कार्रवाई की गई। सिराज/ईएमएस 20अप्रैल25 ---------------------------------
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