राष्ट्रीय
30-Apr-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। ग्लोबल इटरनल आयुर्वेद संगठन के पंचकर्म विशेषज्ञ और न्यूरोथेरेपिस्ट के अनुसार, खसखस की तासीर ठंडी होती है, जो शरीर की गर्मी को शांत करती है। गर्मियों में पेट की जलन, त्वचा संबंधी विकारों और शरीर में जलन की समस्या को दूर करने में सहायक है। खसखस न केवल पाचन में सहायक है, बल्कि यह कफ और पित्त दोष को भी शांत करता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह धीमी गति से पचने वाला, ठंडा, हल्का और स्वाद में थोड़ा कड़वा होता है, लेकिन इसके गुण अत्यंत लाभकारी हैं। खसखस का शरबत न सिर्फ शरीर को ठंडा रखता है, बल्कि मन को भी शांत करता है। इसके बीजों में प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक और आयरन जैसे आवश्यक तत्व पाए जाते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। खसखस में मौजूद ओमेगा-6 फैटी एसिड हृदय को स्वस्थ रखते हैं और इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को फ्री रैडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाते हैं। डॉ. शंकर ने बताया कि खसखस का चूर्ण घी के साथ लेने से हृदय संबंधी दर्द में राहत मिलती है। वहीं, मुनक्का के साथ सेवन करने से शरीर के दर्द में कमी आती है। गर्मी में इसका शरबत या खसखस दूध पीने से शरीर का तापमान संतुलित रहता है और डिहाइड्रेशन की समस्या नहीं होती। पेट का पीएच संतुलन बनाए रखने में भी यह सहायक है। हालांकि, आयुर्वेदाचार्य ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि इसका सेवन सीमित मात्रा में करें, क्योंकि यह अत्यधिक मात्रा में लेने पर शरीर को शिथिल कर सकता है। गर्भवती महिलाओं और नशा करने वालों को इसका सेवन करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लेनी चाहिए। बता दें कि आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां वर्णित हैं जो न केवल शरीर को रोगमुक्त रखने में मदद करती हैं, बल्कि मौसमी संक्रमणों से भी सुरक्षा देती हैं। इन्हीं में से एक है खसखस, जिसे आयुर्वेद में उशीरा के नाम से जाना जाता है। छोटे-छोटे दानों वाले इस बीज में अत्यधिक पोषक तत्व पाए जाते हैं और यह गर्मियों के लिए एक प्रभावी औषधि मानी जाती है। सुदामा/ईएमएस 30 अप्रैल 2025