राष्ट्रीय
06-May-2025
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नई दिल्ली(ईएमएस)। केंद्र सरकार के जातिगत गणना के फैसले से कांग्रेस काफी खुश नजर आ रही है। उसे लग रहा है कि उसकी वर्षो पुरानी मांग पूरी हो गई है। अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जातिगत जनगणना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने देशभर में चलने वाली इस कवायद को लेकर सभी राजनीतिक दलों से बातचीत शुरू करने की अपील की है। पीएम मोदी को उन्होंने इस काम के लिए कांग्रेस शासित तेलंगाना में अपनाए गए मॉडल का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया है। खरगे ने अपने पत्र में कहा है कि राज्यों की ओर से पारित आरक्षण को तमिलनाडु की तर्ज पर संविधान की नौंवी अनुसूची में डाला जाए, आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को खत्म किया जाए और निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण की व्यवस्था लागू हो। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘जातिगत जनगणना सिर्फ आंकड़े इकट्ठा करने के लिए नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास के बड़े मकसदों को हासिल करने के लिए होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनगणना के सवालों को इस तरह तैयार किया जाना चाहिए, जिससे हर जाति के सामाजिक और आर्थिक हालात का सही आकलन हो सके और उनके संवैधानिक अधिकारों को मजबूत किया जा सके। पीएम मोदी को लिखे पत्र में खरगे ने कहा, ‘मैंने 16 अप्रैल 2023 को आपको पत्र लिखकर कांग्रेस की तरफ से जातिगत जनगणना कराने की मांग आपके समक्ष रखी थी। अफ़सोस की बात है कि मुझे उस पत्र का कोई जवाब नहीं मिला। दुर्भाग्य से, उसके बाद आपके पार्टी के नेताओं और खुद आपने कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के नेतृत्व पर इस जायज मांग को उठाने के लिए लगातार हमले किए।’ उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री खुद स्वीकार कर रहे हैं कि यह मांग गहन सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तीकरण के हित में है।’ पत्र में कहा गया है, आपने बिना किसी स्पष्ट विवरण के यह घोषणा की है कि अगली जनगणना (जो वास्तव में 2021 में होनी थी) में जाति को भी एक अलग श्रेणी के रूप में शामिल किया जाएगा। खरगे ने कांग्रेस शासित तेलंगाना में हुए जातिगत सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा, ‘जनगणना से सम्बंधित प्रश्नावली का डिजाइन बेहद महत्वपूर्ण है। जाति से जुड़ी जानकारी केवल गिनती के लिए नहीं बल्कि व्यापक सामाजिक-आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एकत्र की जानी चाहिए। गृह मंत्रालय को जनगणना में पूछे जानेवाले प्रश्नों के लिए तेलंगाना मॉडल का उपयोग करना चाहिए।’ उनके अनुसार, जनगणना के अंत में होने वाली रिपोर्ट में कुछ भी छिपाया नहीं जाना चाहिए ताकि प्रत्येक जाति के पूर्ण सामाजिक-आर्थिक आंकडे सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हों, जिससे एक जनगणना से दूसरी जनगणना तक उनकी सामाजिक-आर्थिक प्रगति को मापा जा सके और उन्हें संवैधानिक अधिकार दिए जा सकें। कांग्रेस अध्यक्ष का कहना है, इसके अलावा जाति जनगणना के जो भी नतीजे आएं, यह स्पष्ट है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गो के लिए आरक्षण पर मनमाने ढंग से लगाई गई 50 प्रतिशत की अधिकतम सीमा को संविधान संशोधन के माध्यम से हटाना होगा। कांग्रेस ने तीन अहम सुझाव दिए 1. तेलंगाना मॉडल को अपनाया जाए, ताकि सही और गहराई से डेटा इकट्ठा किया जा सके। 2. आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा हटाई जाए, जिससे ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल सके। 3. निजी शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण लागू किया जाए, ताकि आर्थिक और सामाजिक बराबरी सुनिश्चित हो। वीरेंद्र/ईएमएस/06मई 2025