एमपी-एमएलए कोर्ट ने निरस्त किया परिवाद जबलपुर, (ईएमएस)। एमपी-एमएएल विशेष न्यायालय के न्यायाधीश डीपी सूत्रकार ने आजादी नहीं भीख के विवादित विवाद मामले में अभिनेत्री व सांसद कंगना रनौत को राहत प्रदान कर दी है। कोर्ट ने अभिनेत्री के विरुद्ध दायर परिवाद को अनुचित करार देते हुए निरस्त कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि लोकतंत्र में प्रत्येक व्यक्ति को ये अधिकार है कि वह अपने आप को कब आजाद माने। कोई व्यक्ति वर्ष 1947 से अंग्रेजों की आजादी के बाद भी स्वयं को गुलाम महसूस करता है तो वे उसके व्यक्तिगत विचार हो सकते हैं, जो तब तक मानहानि की कोटि में नहीं रखे जा सकते, जब तक कि किसी दूसरे व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन न करें। परिवादी जबलपुर निवासी अधिवक्ता अमित साहू ने अभिनेत्री व बीजेपी सांसद कंगना रनौत द्वारा वर्ष-2011 में दिए गए बयान को चुनौती दी थी। कंगना ने अपने बयान में कहा था कि 1947 में भारत को मिली आजादी, आजादी नहीं भीख थी। असली आजादी तो 2014 में मिली, जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने। इसे विवादित बयान की संज्ञा देते हुए पहले थाने में शिकायत दर्ज कराई गई। लेकिन एफआइअार दर्ज नहीं हुई। इसीलिए अदालत में परिवाद दायर कर एफआइआर के निर्देश जारी किए जाने पर बल दिया गया। अधिवक्ता साहू का कहना था कि कंगना के बयान से देश के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देने वाले अमर सेनानियों का अपमान हुआ है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारों के साथ हर भारतीय को ठेस भी पहुंची है। देश को आजादी लंबे संघर्ष और बलिदान के बाद साल 1947 में आजादी मिली थी। इसीलिए कंगना के बयान के बाद देश में हंगामा खड़ा हो गया था। समाज के अलग-अलग वर्गाें ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इंटरनेट मीडिया पर पद्मश्री वापस लेने पर भी बल दिया गया था। कोर्ट ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान कंगना को नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया था। सुनील साहू / शहबाज / 08 मई 2025/ 09.00
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