14-May-2025
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ढाका,(ईएमएस)। ऑपरेशन सिंदूर के बीच अब बांग्लादेश से एक चौंकाने वाली खबर आ रही है। वहां की अंतरिम सरकार, जिसकी अगुवाई मोहम्मद यूनूस कर रहे हैं, ने बांग्लादेश की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगाया है। यह फैसला तब हुआ हैं, जब भारत पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य अभियान चला रहा है और सीमा पर तनाव चरम पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रतिबंध सिर्फ बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत के लिए एक कूटनीतिक संकेत भी हो सकता है। अवामी लीग वहीं पार्टी है जो कि 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा लिया था और बांग्लादेश को स्वतंत्रता दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। पार्टी का ऐतिहासिक रूप से भारत से गहरा संबंध रहा है। लेकिन अब, जिस तरह से यूनूस सरकार ने कानून में बदलाव कर पार्टी पर प्रतिबंध लगाया है, उससे यह आशंका बढ़ रही है कि पाकिस्तान का प्रभाव बांग्लादेश पर बढ़ता जा रहा है। यूनूस सरकार पर पहले से ही आरोप लगते रहे हैं कि वे जमात-ए-इस्लामी जैसे कट्टरपंथी संगठनों के दबाव में काम कर रही है, जो पाकिस्तान समर्थक हैं। इस फैसले का सबसे बड़ा असर बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों पर देखा जा रहा है, खासकर हिंदू समुदाय पर इसका सीधा असर होगा। जब से शेख हसीना की सरकार को सत्ता से हटाया गया है, अल्पसंख्यकों की स्थिति बहुत खराब है। यूनूस सरकार पर पहले भी हिंदू-विरोधी बयान देने के आरोप लग चुके हैं, और अब यह प्रतिबंध भारत के लिए एक नई चुनौती बनकर उभरा है। बांग्लादेश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की गतिविधियों को लेकर पहले ही भारत ने चिंता जाहिर की थी, और अब जब अवामी लीग जैसी भारत समर्थक पार्टी को हाशिए पर डाला गया है, तब यह साफ संकेत है कि बांग्लादेश धीरे-धीरे पाकिस्तान की ओर झुक रहा है। यह स्थिति न केवल कूटनीतिक रूप से, बल्कि भारत की सीमाओं की सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर मानी जा रही है। आशीष/ईएमएस 14 मई 2025