14-May-2025
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इस्लामाबाद,(ईएमएस)। पाकिस्तान के मौजूदा सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की नीतियां जनरल जिया-उल-हक की तरह ही ढलती जा रही हैं। धार्मिक कट्टरता, भारत-विरोधी सैन्य रणनीति और आतंकी संगठनों से नजदीकी इन सबके मेल ने पाकिस्तान को न केवल आंतरिक अस्थिरता बल्कि क्षेत्रीय परमाणु तनाव के मुहाने पर खड़ा कर दिया है। जनरल मुनीर को पाकिस्तान में ‘मुल्ला जनरल’ कहा जाता है। वे स्वयं को ‘हाफिज-ए-कुरआन’ बताकर सेना में धार्मिक पहचान को स्थापित कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि मुनीर की सोच जनरल जिया-उल-हक की तरह पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता को संस्थागत बनाने पर केंद्रित है। इससे उदारवादी और प्रगतिशील आवाजें दबती जा रही हैं। मुनीर ने कश्मीर को ‘गले की नस’ बताकर एक बार फिर भारत के खिलाफ उग्र रुख अपनाया। पहलगाम हमले और इससे पहले पुलवामा जैसे हमलों में पाकिस्तानी डीप स्टेट और आईएसआई की भूमिका को लेकर उंगलियां उठती रही हैं। असीम मुनीर 2019 में आईएसआई प्रमुख थे, जब पुलवामा हमला हुआ था। पाकिस्तान गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है, आईएमएफ और विश्व बैंक के बेलआउट प्रोग्राम पर निर्भर है, लेकिन इसके बावजूद सेना की आक्रामकता में कोई कमी नहीं आई है। ऑपरेशन सिंदूर जैसे भारतीय सैन्य अभियानों ने पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठा को तबाह कर दिया है। जनरल मुनीर ने इसके जवाब में भारत विरोधी बयानबाज़ी तेज की। मुनीर पर इमरान खान की पार्टी पीटीआई को दबाने और चुनावों में हस्तक्षेप करने के गंभीर आरोप लगे हैं। विश्लेषकों के मुताबिक सेना जनता के असंतोष को भारत-विरोधी एजेंडे से ढकने की कोशिश कर रही है। जनरल मुनीर की टेरर डॉक्ट्रिन और कट्टरपंथी नीति पाकिस्तान को उसी अंधकारमय रास्ते पर ले जा रही है जिस पर कभी जनरल जिया-उल-हक चले थे। इतिहास गवाह है कि जनरल जिया की नीतियों ने पाकिस्तान को लंबे समय तक अस्थिरता और वैश्विक अलगाव की ओर धकेला था। अब वही संकट, एक बार फिर, मुनीर के नेतृत्व में सिर उठा रहा है। जिसका पाकिस्तान को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है। सिराज/ईएमएस 14 मई 2025