रांची(ईएमएस)।नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सरकार पर तंज कसा है। सोशल मीडिया पोस्ट में कहा है कि हेमंत सरकार ने भ्रष्टाचार की नई मिसाल क़ायम की है, 417 एकड़ वन भूमि के कागज़ात गायब। 417 एकड़ जंगल की ज़मीन का रिकॉर्ड रातों-रात गायब हो जाता है और सरकार “मौन व्रत” में है। हजारीबाग की चंद्रपुरा ओपन कास्ट परियोजना में करोड़ों की ज़मीन का घोटाला सामने आया है। हेमंत सोरेन से सवाल यह है कि आपके राज में अफसरशाही को जंगल बेचने की खुली छूट कैसे मिल गई? रिटायर्ड अफ़सरों की नियुक्ति कर कब तक अपने काले कारनामे छिपाएगी हेमंत सरकार?दस्तावेज़ों में छेड़छाड़, मूल रजिस्टर से पन्ने फाड़ना और भूस्वामित्व का फर्जीवाड़ा,यह सब कुछ सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के बिना मुमकिन नहीं। सीआईडी ने खुद माना है कि वन भूमि की लीज, मुआवजा और अधिग्रहण से जुड़े रिकॉर्ड 2021 और 2022 में ही गायब कर दिए गए।लेकिन सवाल यह है कि प्राथमिकी दर्ज करने में इतनी देर क्यों? कहीं मुंह छुपाने की वजह यह तो नहीं कि लूट की यह स्क्रिप्ट रांची में ही लिखी गई थी? अचानक से इस ग़ायब जमीन को हैदराबाद की एक कंपनी सुशी इंफ्रा एंड माइनिंग को आवंटित कर दिया गया।क्या वन भूमि देने का फैसला सचिवालय में बैठकर नहीं लिया गया? मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की चुप्पी साफ़ बता रही है कि जंगल ही नहीं, सरकार भी बिक चुकी है। कर्मवीर सिंह/15मई/25