राष्ट्रीय
19-May-2025


-पर्यटक संकेतों को न करें नजरअंदाज़, लग सकता है सिक्योरिटी ब्रीच का आरोप नई दिल्ली,(ईएमएस)। पहलगाम हमले के बाद अब जांच हो रही है कि आखिर कैसे और कहां से संवेदनशील जानकारियां दुश्मन देश तक पहुंच रही हैं। इस कड़ी में कई गिरफ्तारियां हुईं, जिनमें एक नाम ट्रैवल व्लॉगर ज्योति रानी का है। खुफिया एजेंसियों का आरोप है कि ज्योति का ट्रैवल सिर्फ कंटेंट के लिए नहीं था, बल्कि ये सिक्योरिटी ब्रीच का मामला है। उनके पास पाकिस्तान के इंटेलिजेंस से जुड़े लोगों के नंबर भी मिले हैं। वहीं कई बार अनजाने में भी ट्रैवलर ऐसी जानकारियां शेयर कर देते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन जाती हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध से मतलब किसी भी ऐसी घटना से है जिसमें आरोपी ने सेंसिटिव डेटा लीक किया हो, दुश्मन देश से शेयर किया हो, या फिर कुछ भी ऐसा किया हो, जिससे देश की संपत्ति, लोगों या एकता में दरार आने का डर हो। कुछ जगहें हैं, जो सिक्योरिटी सेंसिटिव मानी जाती हैं, जैसे सेना के ठिकाने, हवाई अड्डे का रनवे, नेवी के जहाज या आर्मी की ट्रेनिंग से जुड़ी चीजें. न्यूक्लियर सेंटर से जुड़ी चीजें, प्लानिंग या मॉडल भी शेयर नहीं किए जा सकते। यहां तक कि इससे जुड़े वैज्ञानिकों की जानकारी भी शेयर करना इंडियन ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट 1923 के तहत अपराध है। तस्वीरों के अलावा अगर कोई खुद बनाई हुई स्केच भी डाले, जिसमें इनसे जुड़ी कोई जानकारी हो तब भी यही मामला बनता है। बिना अनुमति सरकारी इमारतों की रिकॉर्डिंग भी शक का आधार बन सकती है, खासकर इमारत अगर सीमा चौकियों, रडार स्टेशन या ऐसी गतिविधि से जुड़ी हों, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील होती हैं। इसी तरह से बॉर्डर इलाके में भी तस्वीरें लेते या वीडियो बनाते हुए खास एहतियात बरतनी चाहिए। खासकर भारत-पाकिस्तान, भारत-बांग्लादेश या भारत-चीन के सीमावर्ती इलाकों में फोटोग्राफी करते समय खास सावधानी जरूरी है। जब भी किसी जगह पर फोटोग्राफी प्रतिबंधित या नो ड्रोन जोन जैसे निर्देश लिखें हों, वहां रुक जाना बेहतर है। कई बार सेना या सुरक्षा एजेंसियां खुद रोकती हैं। ऐसे में एडवेंचर के लिए भी तस्वीरें लेना भारी पड़ सकता है। कई जगहें इसलिए भी पाबंदी होती हैं क्योंकि वहां वीवीआईपी रहते हैं, या फिर ऐसी जनजातियां रहती हैं, जिन्हें प्रोटेक्शन की जरूरत हो। अक्सर पर्यटक संकेतों को नजरअंदाज़ कर देते हैं या स्थानीय नियमों से अनजान होते हैं। लद्दाख में कुछ पर्यटकों ने सेना के काफिले की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालीं, फिर सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया था। बाद में उन तस्वीरों को हटा दिया गया और टूरिस्ट भी छोड़ दिया गया था। कुछ ऐसे मामले भी आते हैं, जिनमें आम लोग अनजाने ही ऐसे लोगों से मेलजोल कर बैठते हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा हों। ऐसे में भी ट्रैप होने का डर रहता है। बता दें ऐसा एक बड़ा मामला फिल्म डायरेक्टर महेश भट्ट के बेटे राहुल भट्ट से जुड़ा हुआ था। राहुल की मुलाकात डेविड हेडली से हुई थी। हेटली ने खुद को एक्स अमेरिकी आर्मी की तरह पेश किया और घुलता-मिलता रहा। बाद में पता लगा कि हेडली तो लश्कर का जासूस था और मुंबई हमलों में शामिल था। राहुल की भी जांच हुई लेकिन वे इनोसेंट साबित हुए। हवाई अड्डों और एयरफोर्स बेस के पास फोटोग्राफी पर रोक है. इसका उल्लंघन करने वालों पर एयरक्राफ्ट रूल्स 1937 लागू होता है। अगर कोई पर्यटक या रिसर्चर ड्रोन्स से शूट करना चाहे तो उसे अनमेन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम रूल्स 2021 के तहत डीजीसीए से अनुमति लेनी होती है। बता दें रेड जोन में बिना अनुमति ड्रोन उड़ाना गैरकानूनी है। सिराज/ईएमएस 19मई25