अहमदाबाद (ईएमएस)| भारतीय रेलवे को अक्सर देश की जीवनरेखा कहा जाता है। रेल संचालन में रेलवे स्टेशनों की भूमिका अनोखी होती है — कई बार ये स्टेशन किसी शहर की पहचान बन जाते हैं। अधिकांश रेलवे स्टेशन शहर के केंद्र में स्थित होते हैं, जहाँ से आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ विकसित होती हैं। इसलिए रेलवे स्टेशनों का विकास केवल ट्रेनों के ठहराव तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उन्हें शहर के गौरव और सम्मान का प्रतीक बनना चाहिए। जब रेलवे स्टेशनों को स्थानीय सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और धार्मिक परंपराओं के आधार पर भव्य बनाया जाता है, तो वे स्थानीय और विदेशी यात्रियों के लिए शहर से पहला और यादगार संपर्क बन जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व में भारत की वैश्विक विश्वसनीयता बढ़ी है। रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के शिलान्यास के समय उन्होंने कहा था, विकसित बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ता भारत अब अमृतकाल की शुरुआत में है। नई ऊर्जा है, नई प्रेरणा है, नए संकल्प हैं। इसी दृष्टिकोण से प्रेरित होकर भारतीय रेलवे ने देशभर के 1300 से अधिक रेलवे स्टेशनों के कायाकल्प की प्रक्रिया आरंभ की। मात्र दो वर्षों से भी कम समय में अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत पुनर्विकसित 103 स्टेशनों के उद्घाटन के लिए भारत तैयार हो चुका है — यह एक अद्वितीय उपलब्धि है। प्रधानमंत्री ने कई बार यह कहा है कि जिन परियोजनाओं का शिलान्यास वे करते हैं, उनका उद्घाटन भी वही करते हैं। यह विकसित भारत की नई कार्यसंस्कृति को दर्शाता है, जिसमें कार्य की गति और पूर्णता की प्रतिबद्धता स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। इस योजना के अंतर्गत विकसित किए गए 103 स्टेशनों पर भव्य प्रवेशद्वार, आकर्षक फ़साड, हाई मास्ट लाइटिंग, आधुनिक प्रतीक्षालय, टिकट काउंटर, आधुनिक शौचालय और दिव्यांगजन हेतु सुगम रैम्प जैसी सुविधाएँ विकसित की गई हैं। प्लेटफ़ॉर्म शेल्टर, कोच इंडिकेशन सिस्टम और डिजिटल डिस्प्ले भी स्थापित किए गए हैं। सभी सुविधाओं को दिव्यांगजन अनुकूल बनाया गया है। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक स्टेशन पर स्थानीय लोककला की झलक भी देखने को मिलती है, जो राज्य की संस्कृति और परंपरा का प्रतिबिंब प्रस्तुत करती है। गुजरात के कच्छ ज़िले में स्थित सामाख्याली जंक्शन को लंबे समय से इस क्षेत्र के प्रवेशद्वार के रूप में माना जाता है। 1950 के दशक में कच्छ राज्य रेलवे के विस्तार के दौरान स्थापित यह स्टेशन प्रारंभ में व्यापार और कृषि गतिविधियों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से विकसित किया गया था। आज यह पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद मंडल में स्थित एक महत्त्वपूर्ण जंक्शन है, जहाँ से यात्रियों और मालवाहन दोनों के लिए सहज मार्ग उपलब्ध हैं। वर्तमान में, यह स्टेशन एनएसजी-4 श्रेणी में वर्गीकृत है, जिसमें पाँच प्लेटफॉर्म, 48 ठहरने वाली ट्रेनें और प्रतिदिन लगभग 700 से 1000 यात्रियों की आवाजाही दर्ज की जाती है। यात्रियों के अनुभव को अधिक आरामदायक बनाने के उद्देश्य से, अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत सामाख्याली जंक्शन का कायाकल्प किया गया है। ₹13.64 करोड़ के निवेश के साथ यहाँ आधुनिकता, कार्यक्षमता और सांस्कृतिक विशिष्टता का अनोखा मिश्रण प्रस्तुत किया गया है। पुनर्विकास के अंतर्गत प्लेटफ़ॉर्म कवर शेड, फुट ओवर ब्रिज का विस्तार, दिव्यांगजनों हेतु लिफ्ट, रैम्प, हैंडरेल, मार्गदर्शक टाइल्स और सुगम शौचालय जैसी सुविधाएँ जोड़ी गई हैं। वास्तुकला में स्थानीयता और आधुनिकता दोनों तत्वों को सम्मिलित किया गया है। मड आर्ट का उपयोग कर कच्छ की लोककला को स्टेशन के डिज़ाइन में दर्शाया गया है। नया प्रवेशद्वार सौंदर्य और स्वागत का भाव व्यक्त करता है। फूड प्लाज़ा, उन्नत साइनेज, मॉड्यूलर टॉयलेट, पार्किंग सुविधाएँ, स्टाफ क्वार्टर्स और एलिवेटेड ट्रांजिट क्षेत्र जैसी सुविधाओं का भी विस्तार किया गया है, जिससे यात्रियों की यात्रा को और अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके। इस प्रकार, सामाख्याली रेलवे स्टेशन अब केवल एक ट्रांज़िट पॉइंट नहीं, बल्कि एक प्रगतिशील, सांस्कृतिक और सुविधाजनक केंद्र के रूप में कच्छ की नई पहचान बन रहा है। यह रूपांतरण स्टेशन के इतिहास को भविष्य से जोड़ता है और इसे क्षेत्र के प्रमुख रेलवे केंद्र के रूप में पुनःस्थापित करता है। भारतीय रेलवे देश के विकास का पहिया है। रेलवे स्टेशन इस विकास यात्रा के महत्त्वपूर्ण मोती हैं। हर नागरिक का केवल इसका उपयोग करना ही नहीं, बल्कि इसे संजोकर रखना और स्वच्छ बनाए रखना भी हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। सतीश/19 मई