अंतर्राष्ट्रीय
20-May-2025
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-यदि यह टैक्स लगता है तो भारत को अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा का होगा नुकसान वॉशिंगटन,(ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बार-बार यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अपने देश को महान बनाना चाहते हैं। ऐसे में वह हर रोज कोई न कोई अजीबो-गरीब फैसले कर रहे हैं। इससे दुनिया के सभी बड़े देश परेशान हैं। इस बीच उन्होंने अमेरिका में रहने वाले भारतीयों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। अगर ऐसा होता है तो भारत के खजाने पर असर पड़ेगा। दरअसल, अमेरिका में गैर-अमेरिकी नागरिकों द्वारा विदेश भेजे जाने वाले पैसे यानी रेमिटेंस पर 5 फीसदी टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया है, इससे भारतीय समुदाय की चिंता गहरा गई है। आर्थिक थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने रविवार को कहा था कि अगर यह प्रस्ताव कानून बन जाता है तो इससे भारतीय परिवारों और भारतीय रुपये पर गहरा असर पड़ सकता है। यह प्रस्ताव ‘द वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ नामक एक बड़े विधेयक का हिस्सा है, जिसे 12 मई 2025 को अमेरिकी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में पेश किया गया। यह टैक्स उन गैर-अमेरिकी नागरिकों पर लागू होगा जो विदेश में पैसा भेजते हैं- जैसे ग्रीन कार्ड धारक और एच-1बी या एच-2ए वीजा पर काम करने वाले अस्थायी कर्मचारी। यह टैक्स अमेरिकी नागरिकों पर नहीं लगाया जाएगा। जीटीआरआई ने चेतावनी दी है कि यदि यह टैक्स लागू होता है तो भारत को हर साल अरबों डॉलर की विदेशी मुद्रा का नुकसान हो सकता है। भारत को 2023-24 में 120 अरब डॉलर का रेमिटेंस मिला था, जिसमें से करीब 28 फीसदी अमेरिका से आया था। जीटीआरआई के संस्थापक ने कहा कि पांच फीसदी टैक्स से घर पैसा भेजने की लागत काफी बढ़ जाएगी। अगर रेमिटेंस में 10-15 फीसदी की कमी आती है तो भारत को हर साल 12-18 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। उन्होंने बताया कि इस नुकसान से भारत के विदेशी मुद्रा बाजार में अमेरिकी डॉलर की आपूर्ति कम हो सकती है, जिससे रुपए पर दबाव बढ़ेगा। अगर यह नुकसान पूरी तरह से होता है तो भारतीय रिजर्व बैंक को रुपए को स्थिर करने के लिए बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ेगा इससे रुपए की कीमत 1-1.5 रुपए प्रति डॉलर तक कम हो सकती है। केरल, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में लाखों परिवार रेमिटेंस पर निर्भर हैं। ये परिवार शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और आवास जैसे जरूरी खर्चों के लिए इस पैसे का उपयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि अगर रेमिटेंस में अचानक कमी आती है तो इन परिवारों की खर्च करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ेगा। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ सकता है जो पहले से ही वैश्विक अनिश्चितता और महंगाई की चुनौतियों से जूझ रही है। जांच एजेंसियों और आर्थिक विशेषज्ञ इस प्रस्ताव पर नजर रखे हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह बिल पास होता है तो यह जुलाई 2025 तक कानून बन सकता है। इस बीच भारतीय प्रवासियों को सलाह दी जा रही है कि वे इस टैक्स से बचने के लिए जल्द से जल्द बड़े रेमिटेंस कर लें। सिराज/ईएमएस 20 मई 2025