अंतर्राष्ट्रीय
20-May-2025
...


वाशिंगटन (ईएमएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब केवल अपना हित देख रहे हैं। दुनिया में उनकी खिल्ली उड़े तो उड़े, उन्हे इसकी भी परवाह नहीं रही। परिवार के हित साधने के लिए ट्रंप 85 करोड़ के इनामी आतंकी को दुलारने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं। इस तथ्य को साबित करने वाली ताज़ा तस्वीर इस वक्त हर कहीं सुर्खियों में है, जहां डोनाल्ड ट्रंप उससे हाथ मिला रहे हैं, जिसे अमेरिका सर्टिफाइड आतंकी मानता रहा है। अभी 6 महीने पहले की बात है, अमेरिका उसे पोस्टर छपवाकर ढूंढने वाले को करोड़पति बनाने का दावा कर रहा था। आज अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उसे भरी सभा में ‘आकर्षक, जवान और मजबूत शख्स’ कहकर संबोधित कर रहे हैं। वाकई अमेरिका से बड़ा दोगला देश कोई हो ही नहीं सकता है। हम बात कर रहे हैं सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल शरा की, जो अमेरिका की सिक्योरिटी एजेंसीज़ का दुश्मन हुआ करता था, लेकिन अब डोनाल्ड ट्रंप के पसंदीदा लोगों में से एक है। बता दें कि अल-शरा के आतंकी बनने की शुरुआत उस अल कायदा संगठन से हुई थी, जिसने अमेरिका में 9/11 का खौफनाक आतंकवादी हमला किया था। 2003 में हुए इस हमले के बाद ही अल-शरा अलकायदा में शामिल हुआ और साल 2006 में पकड़ा गया था। जेल से वापसी के बाद उसने अल नुसरा बनाया भी था अलकायदा के समर्थन से ही था। साल 2017 में अमेरिका ने अल-शरा को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया और उसके सिर पर पूरे 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा। उधर साल 2024 में अल-शरा की एचटीएस ने सत्ता हासिल कर ली और अमेरिका की नज़र में उसके सारे दाग धुल गए।अमेरिका की हिपोक्रेसी का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता कि अल-शरा से मिलने के बाद ट्रंप ने उसे न सिर्फ आकर्षक, जवान और मजबूत आदमी कहा बल्कि एक बेहतरीन अतीत वाला इंसान भी बताया। उन्होंने सीरिया पर लगाए गए सारे व्यापक प्रतिबंधों को हटा दिया। डोनाल्ड ट्रंप अब तो सीरिया के साथ रिश्ते भी बेहतर बनाना चाहते हैं और उनसे डील भी कर रहे हैं। कौन है अमेरिका का दुलारा अहमद अल शरा सबसे पहले ये जान लीजिए कि अमेरिका का प्यारा-दुलारा बना हुआ अहमद अल शरा है कौन? इसे मोहम्मद अल जुनानी के नाम से जानते हैं और अमेरिकन वॉन्टेड पोस्टर पर भी इसका यही नाम लिखा है। इसके साथ ही इसे पकड़ने वाले को करीब 85 करोड़ के इनाम देने का भी वादा किया गया था। 1982 में सऊदी अरब में पैदा हुए अल-शरा दमिश्क में ही रहे। साल 2006 में अमेरिका ने उसे गिरफ्तार भी किया था और वो 2011 तक कुख्यात कैंप बुका जेल में रहा। यहीं उसकी मुलाकात आईएसआईएस के अबू बकर अल बगदादी से हुई और वो उसके कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित हुआ। साल 2012 में वो सीरिया में अल-नुसरा फ्रंट फ्रंट बनाकर काम करने लगा। इस संगठन ने सीरियाई राष्ट्रपति रह चुके बशर अल-असद से विद्रोह किया। इस दौरान उसने जमकर हत्या, अपहरण और नरसंहार किए। साल 2013 में वो इस्लामिक स्टेट से अलग हुआ। इसके बाद वो राजनीतिक गलियारे में भी घुस गया और एचटीएस बनाकर असद के हटने के बाद खुद सीरिया का अंतरिम राष्ट्रपति बन गया। वीरेंद्र/ईएमएस 20 मई 2025