शोधकर्ता वैज्ञानिकों का दिमाग भी घूमा लंदन (ईएमएस)। अस्पतालों में अब एक नया खतरा सामने आया है, जो न सिर्फ मरीजों के लिए बल्कि मेडिकल उपकरणों के लिए भी खतरे की घंटी है। वैज्ञानिकों ने एक बैक्टीरिया की खोज की है, जो प्लास्टिक को खा सकता है और अस्पतालों में 10 से 30 प्रतिशत तक होने वाले संक्रमणों का जिम्मेदार है। इस बैक्टीरिया का नाम है स्यूडोमोनास एरुगिनोसा। यह खोज न केवल चौंकाने वाली है, बल्कि मेडिकल जगत की अब तक की मान्यताओं को भी चुनौती दे रही है। वैज्ञानिकों ने पहली बार पाया कि स्यूडोमोनास एरुगिनोसा नामक बैक्टीरिया न केवल अस्पतालों में संक्रमण फैलाता है, बल्कि टांके, स्टेंट, घाव भरने वाली पट्टियों और इम्प्लांट में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक को भी तोड़ सकता है। यह खोज इसलिए खास है, क्योंकि अब तक माना गया कि रोगजनक बैक्टीरिया मेडिकल प्लास्टिक को नष्ट नहीं कर सकते। प्रोफेसर के नेतृत्व में हुए शोध में एक मरीज के घाव से लिए गए स्यूडोमोनास एरुगिनोसा के स्ट्रेन से पीएपी1 नामक एक एंजाइम को अलग किया गया। लैब टेस्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि इस एंजाइम ने महज सात दिनों में प्लास्टिक के एक नमूने का 78 प्रतिशत हिस्सा तोड़ दिया। और यह बैक्टीरिया प्लास्टिक को अपने भोजन के रूप में इस्तेमाल करता है। यानी, यह प्लास्टिक को सचमुच खा जाता है। स्यूडोमोनास एरुगिनोसा उन बैक्टीरियाओं में से एक है, जो अस्पतालों में होने वाले ज्यादातर संक्रमणों के लिए जिम्मेदार हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति भी प्रतिरोधी है। शोधकर्ता का कहना है, इस खोज का मतलब है कि हमें अस्पतालों के माहौल में रोगजनकों के बारे में दुबारा सोचने की जरूरत है। प्लास्टिक की सतहें इन बैक्टीरियाओं के लिए भोजन बन सकती हैं, जिससे वे लंबे समय तक जीवित रह सकते हैं। आशीष/ईएमएस 21 मई 2025