जबलपुर, (ईएमएस)। मप्र उच्च न्यायालय के सामने स्थित हजरत ख्वाजा अमीनुद्दीन चिश्ती कचहरी वाले बाबा साहब के कुल शरीफ के साथ उर्स का समापन हुआ। हजरत ख्वाजा अमीनुद्दीन चिश्ती कचहरी वाले बाबा साहब के पांच दिवसीय उर्स शरीफ के अंतिम दिन दोपहर 3 बजे आयोजित कुल शरीफ में महफिले सिमा का एहतमाम किया गया। महफिले सिमा की सदारत बाबर खां बंदानवाजी एवं खादिम-ए-आला चंगेज़ खान अशरफी ने फरमाई। महफिले समा में दरबारी कव्वालों ने आगाज़ क़ौल से किया, जिसके बाद मशहूर सूफ़ी हजऱत बेदम वारसी द्वारा रचित नात आई नसीम-ए-कू-ए-मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पेश कर समाईन को दाद देने पर मजबूर कर दिया। अंत में, हजऱत अमीर खुसरो के कलाम आज रंग है ऐ माँ रंग है री, मेरे महबूब के घर रंग है पढ़ा गया, जिसे सुनकर सूफ़ी हजऱत भाव-विभोर हो गए। महफिलें सिमा के पश्चात खादिम-ए-आला बाबर खां बंदानवाजी ने अकीदतमंदों के लिए खास दुआएं कीं और हिंदुस्तान में अमन-शांति और खुशहाली की दुआएं मांगीं। अकीदतमंदों का किया शुक्रिया अदा............. कुल शरीफ की न्याज़ के बाद लंगर तकसीम किया गया। खादिम-ए-आला चंगेज खान अशरफी ने उर्स शरीफ में दूर-दराज व शहर से शिरकत किए अकीदतमंदों का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने उर्स शरीफ में सहयोग देने के लिए जिला प्रशासन, पुलिस, नगर निगम और प्रेस मीडिया का आभार व्यक्त किया। आमिल साबरी के सूफियाना कलामों ने बांधा समां...... बीत रात कव्वाली में फनकार आमिल साबरी ने अपने सूफियाना कलाम से समां बांधा। कव्वाली का आगाज़ हमद-ए-पाक व नात-ए-पाक से किया गया। इसके बाद, समाईन की फरमाइश पर मौला-ए-कायनात की मनकबत पेश कर खूब दाद बटोरी गई। समाईन ने इस कलाम पर दिल खोलकर नजऱाना पेश किया। कव्वाली में हिंदू-मुस्लिम धर्मावलंबियों के साथ जनप्रतिनिधिगण ने भी शिरकत की और दरगाह में हाजऱी दी। अल सुबह तक चली कव्वाली का समापन सलातो-सलाम के साथ हुआ। सुनील साहू / मोनिका / 24 मई 2025/ 01.36