नई दिल्ली (ईएमएस)। अंग्रेजी में कस्टर्ड एप्पल या शुगर एप्पल के नाम से पहचाना जाने वाला सीताफल आयुर्वेदिक चिकित्सा में भी खास महत्व रखता है। आयुर्वेद के प्रमुख ग्रंथों जैसे चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टांग हृदयम में इसे एक श्रेष्ठ औषधीय फल माना गया है। सीताफल में विटामिन, मिनरल्स, फाइबर, पोटैशियम, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट जैसे तत्व भरपूर होते हैं, जो इसे संपूर्ण स्वास्थ्यवर्धक फल बनाते हैं। गर्मियों में ठंडक और मिठास देने वाला सीताफल, जिसे शरीफा भी कहा जाता है, न सिर्फ स्वाद के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके औषधीय गुण भी किसी खजाने से कम नहीं हैं। इसके पेड़ की पत्तियां सदाबहार होती हैं और इनमें मौजूद पोषक तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। यह फल महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, खासकर प्रसव के बाद की स्थिति में। अगर डिलिवरी के बाद महिलाएं सीताफल की जड़ का एक से दो ग्राम चूर्ण नियमित रूप से सेवन करें, तो पीरियड्स में असंतुलन, अत्यधिक रक्तस्राव, जोड़ों के दर्द जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। सीताफल में मौजूद विटामिन-बी6 दिल की बीमारियों का खतरा घटाता है, वहीं इसमें पाया जाने वाला मैग्नीशियम और कैल्शियम हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह शरीर में कैल्शियम की कमी को भी पूरा करता है, जिससे हड्डियों को मजबूती मिलती है। एनीमिया के मरीजों के लिए यह फल बेहद लाभकारी माना जाता है। इसकी पत्तियों में विटामिन-सी भरपूर मात्रा में होता है, जिसका रस पीने से पाचन तंत्र दुरुस्त होता है और त्वचा पर मुंहासे, दाग-धब्बे व झाइयां जैसी समस्याएं दूर होती हैं। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा की गहराई से सफाई कर उसे चमकदार बनाते हैं। बीजों को पीसकर सिर पर लगाने से जुएं समाप्त हो जाती हैं और बालों का रंग भी बना रहता है। वहीं,इसके पेड़ की छाल में मौजूद टैनिन दवाइयों के निर्माण में उपयोग होता है। इसके पत्तों की चाय दस्त, कब्ज और अपच की परेशानी में राहत देती है। सीताफल का नियमित सेवन कोलेस्ट्रॉल लेवल को संतुलित बनाए रखता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव होता है। अस्थमा के मरीजों को भी इससे लाभ मिलता है। सुदामा/ईएमएस 29 मई 2025