महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का बड़ा झटका महाराष्ट्र मे डबल इंजन की सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने हजारों करोड़ के ठाणे ट्विन टनल और वसई एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट में पारदर्शिता की कमी को लेकर महाराष्ट्र सरकार को जमकर फटकारा है। इस परियोजना में मेघा इंजीनियरिंग नामक कंपनी को टेंडर देने का मामला सर्वोच्च अदालत तक पहुंच गया है। विश्व प्रसिद्ध एलएंडटी कंपनी को टेक्निकल कारणों से महाराष्ट्र सरकार ने एलएंडटी को अयोग्य ठहराया। चौंकाने वाली बात यह थी। एलएंडटी की बोली मेघा इंजीनियरिंग से करीब 3000 करोड़ रुपये कम की थी। मेगा इंजीनियरिंग को टेंडर देने के लिए एलएनटी को अक्षम बताकर 3000 करोड़ ज्यादा राशि में यह टेंडर मेगा इंजीनियरिंग को दिया गया। यह टेंडर एमएमआरडीए द्वारा जारी किया गया था। जो मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के अधीन था। सुप्रीम कोर्ट ने इस चयन प्रक्रिया को मनमाना और अपारदर्शी बताते हुए कहा ,यह जनता के पैसे की बर्बादी है। एक तरह से यह रिश्वतखोरी और कदाचरण की ओर इशारा करता है। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा सरकार अपनी एफडी तोड़कर ये पैसा नहीं दे रही है। यह टैक्सपेयर का धन है।इसकी जवाबदेही तय होगी। इस मामले की चर्चा इस वजह से और भी तेज हुई। क्योंकि मेघा इंजीनियरिंग ने 2019 से 2024 तक करीब 966 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। जिनमें से 644 करोड़ का चंदा बीजेपी को दिया। मेघा इंजीनियरिंग ने इस टेंडर के मिलने के बाद कंपनी ने 115 करोड़ के नए चुनावी बॉन्ड खरीदे। इस पर अदालत ने अभी कोई टिप्पणी नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट इस पूरे मामले को समझ गई है। मेघा इंजीनियरिंग को क्यों 3000 करोड रुपए ज्यादा में टेंडर दिया गया। एलएनटी को तकनीकी कारणों से क्यों बाहर किया गया। पिछले एक दशक से केंद्र एवं डबल इंजन की सरकार जिन-जिन राज्यों में है। वहां पर विकास के नाम पर इसी तरह की कार्रवाई चल रही है। चुनावी बॉन्ड सत्ता में बैठे राजनीतिक दलों के लिए खुलेआम रिश्वत लेने के लिये नया जरिया बन गए थे? महाराष्ट्र सरकार की वित्तीय स्थिति पहले से ही खराब है। महाराष्ट्र सरकार के पास जरूरी योजनाओं के लिए जिसमें फसल खरीदने और किसानों को पैसा नहीं दे पा रही है। स्कूल गोद लो योजना के लिए सरकार के पास पैसा नहीं है। जिससे शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है।लाडली बहना योजना का भुगतान नहीं हो पा रहा है। ऐसे में एक ही प्रोजेक्ट में 3000 करोड़ रुपये की मेघा इंजीनियरिंग पर जो कृपा महाराष्ट्र सरकार द्वारा बरसाई गई है। यह टैक्सपेयर्स और आम जनता के साथ सबसे बड़ा धोखा नही है? सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को टेंडर रद्द करने, पुनर्निविदा की प्रक्रिया अपनाने का निर्देश महाराष्ट्र सरकार को दिया है। ऐसा नहीं होने पर न्यायालय के आदेश का इंतजार करने की चेतावनी महाराष्ट्र सरकार को दी है। यह मामला सिर्फ टेंडर की पारदर्शिता का नहीं, बल्कि सरकार की राजनीतिक एवं प्रशासनिक जवाबदेही का भी है। सुप्रीम कोर्ट के इस रुख से स्पष्ट हो गया है, कि डबल इंजन की सरकारों में विकास के नाम पर जो योजनाएं संचालित की जा रही हैं उसमें किस लेवल पर भ्रष्टाचार हो रहा है। चुनावी बांड के जरिए किस तरह से रिश्वत का नया खेल भारत में शुरू हुआ था। पिछले कुछ वर्षों से राम के नाम पर जिस तरह का भीड तंत्र तैयार किया गया है। भाजपा ने आम जनता के बीच यह छबि बनाई है। भाजपा नेता ईमानदार हैं। विपक्ष भ्रष्टाचारी है। पिछले वर्षों में विपक्षी दलों की बेईमान और राम नाम जपने वालों को ईमानदार बताया गया है। राम के नाम पर जो लूट हो रही है, उसका खुलासा सुप्रीम कोर्ट में इस केस के माध्यम से हुआ है। धार्मिक उन्माद और राम के नाम पर डबल इंजन की सरकारें बनी है। अपनी जवाबदेही से बच रही हैं। एलएनटी जैसी संस्था जो तकनीकी के मामलों में भारत ही नहीं दुनिया की सर्वश्रेष्ठ संस्था के रुप में स्थापित है। जिसने राम मंदिर के निर्माण में महती भूमिका का निर्वाह किया है। उसे भी डबल इंजन की सरकार के मुख्य पदों पर बैठे हुए लोगों द्वारा अपने निजी और राजनीतिक लाभ के लिए प्रताड़ित किया जा रहा है। इससे बड़ा कोई उदाहरण हो नहीं सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए परत दर परत सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को उजागर किया है। उसके बाद यह आवश्यक हो गया है। चुनावी बांड के जरिए जो रिश्वतखोरी सरकारों द्वारा की गई है। कुछ चुनिंदा कंपनियों को ही काम दिया गया है। इन सभी मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट को कराना जरूरी हो गया है। यदि यह नहीं हुआ तो यह भ्रष्टाचार इसी तरीके से बढ़ता और चलता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट और जनता की अदालत को तय करना होगा। वह विकास के नाम पर अभी जो लूट हो रही है। उसकी जवाब देही सरकारों के लिए तय करना चाहती है या नहीं इसमें सुप्रीम कोर्ट की भूमिका अति महत्वपूर्ण हो गई है। एसजे/ 29 मई /2025