अंतर्राष्ट्रीय
30-May-2025


ट्रेड कोर्ट ने टैरिफ को असंवैधानिक बताकर स्थायी लगा दी थी रोक ट्रम्प का टैरिफ फिर बहाल वॉशिंगटन(ईएमएस)। अमेरिका की फेडरल अपील कोर्ट ने ट्रम्प के टैरिफ पर रोक वाले ट्ऱेड कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ को फेडरल ट्रेड कोर्ट ने असंवैधानिक करार देते हुए स्थायी रोक लगा दी थी। इस फैसले को ट्रम्प प्रशासन ने फेडरल सर्किट की अपीलीय कोर्ट में चुनौती दी, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बाद निचली अदालत (ट्रेड कोर्ट) के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी गई। यानी ट्रम्प का टैरिफ फिलहाल जारी रहेगा। इससे पहले बुधवार को मैनहट्टन की फेडरल कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड के तीन जजों की बेंच ने टैरिफ पर रोक लगाते हुए कहा था कि ट्रम्प ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और संविधान के दायरे से बाहर जाकर ये टैरिफ ये टैरिफ लगाया। कोर्ट ने कहा था कि ट्रम्प ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट का गलत इस्तेमाल किया। ये कानून राष्ट्रपति को आपातकाल में कुछ निर्णय लेने का विशेष अधिकार देता है। लेकिन, ट्रम्प ने बिना ठोस कारण के इन पावर्स का इस्तेमाल किया। कोर्ट ने ये भी कहा था कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ट्रेड पार्टनर्स पर भारी भरकम टैरिफ लगाया। अमेरिकी संविधान दूसरे देशों के साथ व्यापार को रेगुलेट करने का अधिकार संसद को देता है। लेकिन ट्रम्प ने अपने विशेष अधिकारों को संविधान से ऊपर रखकर टैरिफ पर फैसला लिया। राष्ट्रपति के स्पेशल पावर्स का मतलब यह नहीं कि किसी भी हालात को इमरजेंसी का नाम देकर कुछ भी करें। फैसले में दम नहीं, पलट जाएगा व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार केविन हैसेट ने गुरुवार को फॉक्स बिजनेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि फेडरल कोर्ट के फैसले में कोई दम नहीं है, इसे आखिरकार पलट दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा था कि टैरिफ के रास्ते हमने जो बिजनेस डील के लिए प्लेटफॉर्म तैयार किए हैं, कोर्ट का यह फैसला उस रास्ते में बाधा नहीं बनेगा। टैरिफ पर फैसला देने वाले जज एक्टिविस्ट हैं। इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है। भारत-पाक संघर्ष विराम में टैरिफ का बड़ा रोल रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रम्प प्रशासन ने अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत में दावा किया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई 2025 को हुए युद्धविराम को संभव बनाने के लिए टैरिफ शक्तियों का उपयोग किया। कॉमर्स मिनिस्टर हॉवर्ड लुटनिक ने कोर्ट में कहा कि ट्रम्प ने दोनों देशों को पूरी तरह युद्ध खत्म करने के लिए अमेरिका के साथ बिजनेस करने का प्रपोजल दिया, जिसके चलते युद्धविराम हुआ। हॉवर्ड कहा कि टैरिफ के खिलाफ फैसला भारत-पाकिस्तान के इस युद्धविराम को खत्म कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और लाखों लोगों के जीवन को खतरा हो सकता है। हालांकि अमेरिकी कोर्ट ने ट्रम्प प्रशासन की दलील को खारिज करते हुए टैरिफ को अवैध ठहराया और कहा कि इसका भारत-पाकिस्तान युद्धविराम से इसका कोई लेनादेना नहीं है। दो मुकदमों के आधार पर टैरिफ रोका गया था लिबर्टी जस्टिस सेंटर ने 5 छोटे अमेरिकी बिजनेसेज की ओर से मुकदमा दायर किया, जो इन टैरिफ की वजह से प्रभावित हो रहे थे। 12 अमेरिकी आयातकों ने भी कोर्ट में याचिका दायर की थी। इन दोनों ने तर्क दिया कि टैरिफ से छोटे व्यवसायों को भारी नुकसान हो रहा है, क्योंकि आयातित सामान की कीमत बढऩे से उनकी लागत बढ़ रही थी। कोर्ट ने इन दलीलों को सही माना और कहा कि राष्ट्रपति के पास इतने बड़े पैमाने पर टैरिफ लगाने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। 2 अप्रैल को ट्रम्प ने दुनियाभर के कई देशों पर टैरिफ लगाया था 2 अप्रैल 2025 को ट्रम्प ने ‘लिबरेशन डे’ का नाम देते हुए दुनिया भर के 100 से ज्यादा देशों से आने वाले सामान पर नए टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उनका दावा था कि ये टैरिफ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे और उन देशों को सबक सिखाएंगे जो अमेरिका से कम सामान खरीदते हैं और ज्यादा बेचते हैं। हालांकि बाद में चीन को छोडक़र बाकी देशों पर टैरिफ पर 90 दिनों के लिए रोक लगा दी थी। ट्रम्प के टैरिफ के जवाब में चीन ने भी टैरिफ लगाया था। इसी वजह से चीन को टैरिफ से राहत नहीं दी गई थी। चीन का टैरिफ बढ़ाकर 145 प्रतिशत कर दिया गया था। बातचीत के बाद चीन पर से भी टैरिफ को कम कर दिया गया। विनोद उपाध्याय / 30 मई, 2025