ग्राम बनिया की घटना से ग्रामीणों में आक्रोश कोरबा (ईएमएस) कोरबा जिले के कटघोरा वन मंडल अंतर्गत ग्राम बनिया में गत दिवस एक हाथी के द्वारा किए गए हमले में ग्रामीण की मौत ने ग्राम में शोक के साथ आक्रोश व्याप्त कर दिया हैं। जानकारी के अनुसार ग्रामीण इस बात को लेकर आक्रोशित हैं कि ग्राम में हाथी घुस आया लेकिन वन अमले ने किसी भी तरह की ना तो मुनादी की, ना तो लाउडस्पीकर चलाया गया और ना ही ग्रामीणों को सचेत करने का कोई भी कार्य किया गया। वन अमला खुद हाथी के मुव्हमेंट से पूरी तरह बेखबर रहा और ग्रामीणों को हाथी के आने की कोई भी भनक नहीं लग सकी। घटना की सूचना उपरांत शाम लगभग 7:30 बजे तकरीबन 5 घंटे विलंब से वन अमला घटना स्थल पर पहुंचा, इससे ग्राम की महिलाएं नाराज हैं। घटना के बाद से ग्राम बनिया, गाड़ागोड़ा, सेमरापारा, डंगोरा, सिटीपखना, चोटिया, लमना, परला, कांपा नवापारा, लालपुर में भययुक्त चिंता व्याप्त है। ग्रामीण वन विभाग के रवैया के खिलाफ आंदोलन का भी मन बना रहे हैं। * डीएफओ प्रशिक्षण में, ले रहे पूरी जानकारी ग्राम बनिया में हुए हाथी के हमले से मौत के बाद इसे डीएफओ कुमार निशांत ने गंभीरता से लिया है। हालांकि वे वर्तमान में विभागीय प्रशिक्षण पर हैं किंतु पूरे घटनाक्रम पर उनकी नजर बनी रही। उन्होंने इस आशय के निर्देश अधीनस्थ को दिए हैं कि हाथी नियंत्रण केंद्र में कोई भी कर्मचारी नहीं रुकेगा, बल्कि सभी कोई फील्ड में ही रहेंगे। उनका भोजन, पानी फील्ड में पहुंचा कर दिया जाएगा। इसके अलावा बनिया पंचायत के लिए दो चौकीदार अलग से रखे जाने के लिए भी कहा गया है जो हाथियों का लोकेशन जानते हुए ग्रामीणों को विभिन्न माध्यमों से मुनादी कर सतर्क भी करेंगे। वन प्रबंधन समिति के माध्यम से इन्हें वेतन का भुगतान किया जाएगा। * दी गई सहायता राशि हाथी के हमले में मृतक तीजराम के परिजन को तात्कालिक तौर पर 25000 रुपये की आर्थिक सहायता राशि प्रदान की गई है। शेष राशि के लिए विभागीय वैधानिक कार्यवाही की जा रही है। * हाथी-मानव द्वंद्व रोकने कोई ठोस व कारगर पहल नहीं हाथी प्रभावित क्षेत्र के निवासी डॉ. खेम चंद्र कहते हैं कि हाथियों का द्वंद कैसे रोका जाए, इस पर अभी तक न सरकार की तरफ से कोई ठोस पहल की जा रही है न वन विभाग की तरफ से सतत निगरानी की जा रही है। रात में कभी भी हाथियों का झुंड रिहायशी इलाकों में आ जाता है जिसका पता भी नहीं चल पा रहा है। इस वजह से जान-माल दोनों को क्षति पहुंच रही है। सरकार और वन विभाग को समन्वय बनाकर हाथियों से निजात हेतु ठोस पहल करना चाहिए क्योकि यह बहुत बड़ी समस्या है इस क्षेत्र के लिए। आये दिन इस प्रकार की घटना घटती रहती है। यह समस्या 5 वर्ष से ज्यादा की हो रही है जिसे जनता झेल रही है, परंतु आज दिनांक तक इससे कैसे छुटकारा पाया जाए, इस बात पर गम्भीरता नहीं दिखाई दी, न ही इसके निराकरण के उपाय पर बात हुई, जिसका असर आसपास के क्षेत्रों के जनमानस पर सीधे पड़ रहा है। 31 मई / मित्तल